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ओवैसी के ‘मुस्लिम कार्ड’ के आगे फेल होंगे अखिलेश, मुसलमानों का वोट तो भूल ही जाओ!

अखिलेश की साइकिल होगी पंचर!

Utkarsh Upadhyay द्वारा Utkarsh Upadhyay
4 March 2022
in राजनीति
AIMIM

Source- Google

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जब भी चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर होते हैं, कुछ नेता जो एक धर्म विशेष की राजनीति कर अपने वोट बैंक को साधना चाहते हैं वो बिलबिला कर अपने असल रूप में आ ही जाते हैं। मजलिस-मजलिस बोलकर अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति करने वाले AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब यूपी चुनाव के अंतिम चरण के चुनाव से पूर्व मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए जी-जान से लगे हुए हैं। साथ ही उन्होंने मुस्लिमों की सगी बनने वाली पार्टी समाजवादी पार्टी को घेरने की तैयारी भी पूरी कर ली है। अपने हालिया चुनाव प्रचार के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने मिर्जापुर की बसही स्थित एक स्कूल ग्राउंड में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करने के लिए कहा। अपने संबोधन में पूर्ण रूप से मुस्लिम वर्ग की पैरवी करने वाले ओवैसी ने मुज़्ज़फ़र नगर दंगों को याद कर अपने पक्ष में हवा बनाने की हर मुमकिन कोशिश की।

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जानें क्या है पूरा मामला?

असदुद्दीन औवेसी ने बीते गुरुवार को नगर विधानसभा के AIMIM प्रत्याशी के समर्थन में नगर के बसही में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यूपी का विधानसभा चुनाव आम चुनाव नहीं है। बल्कि अल्पसंख्यकों को नेता बनाने की लड़ाई है, ये अल्पसंख्यकों को हिस्सा दिलाने की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई योगी और मोदी राज को खत्म कर सकता है। अल्पसंख्यक समाज की दशा और दिशा पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के दस में से सात बच्चे पढ़ना-लिखना जानते हैं। दस में सात हाईस्कूल तक पढ़े हैं, जबकि खौंफनाक तो यह है कि चार से 15 साल तक के अधिकांश बच्चे मजदूरी करते हैं।

अल्पसंख्यकों का हमदर्द बनने के प्रयास में ओवैसी ने अखिलेश यादव सरकार में हुए मुज़्ज़फ़्फ़रनगर दंगों का ज़िक्र करते हुए कहा, “जालिम के जुल्म को याद रखना चाहिए।” बता दें, वर्ष 2013 में अखिलेश सरकार के कार्यकाल में मुज़्ज़फ़्फ़र नगर ने उस भयावह तस्वीर को देखा और जिया था, जिसे आत्मसात करना अब भी मुश्किल जान पड़ता है। ध्यान देने वाली बात है कि यूपी में अगस्त-सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था। जिसमें आंकड़ों के मुताबिक 60 से अधिक लोगों की जान गई थी। इसको लेकर ओवैसी ने कहा कि मुजफ्फरनगर का दंगा अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुआ था। आज वो आपसे वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कौन सा इंसाफ किया? सच तो यह है कि जालिम के जुल्म को नहीं भूलना चाहिए।

सपा को झटका देने की तैयारी में हैं ओवैसी

हालांकि, ओवैसी के बयान को लेकर हमें अचंभित होने की आवश्यकता नहीं है। ओवैसी वोट के खातिर कितने बड़े मुस्लिम धर्म के पैरोकार हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। जिस प्रकार अब ओवैसी, अखिलेश के शासनकाल में हो चुके दंगों के मुद्दे को भुनाकर अपनी राजनीतिक पारी खेलने में तल्लीन नज़र आ रहे हैं, उससे सपा की मुश्किलें बढ़ सकती है। ओवैसी निश्चित रूप से थोड़ा ही सही पर सपा को एकतरफा पड़ने वाला मुस्लिम वोट को AIMIM के खाते में आसानी से खींच सकते हैं और ओवैसी इसी की ताक में लगे हुए हैं। वो भी सोच रहे हैं कि बिहार की तरह उन्हें यूपी में भी चुल्लूभर सीटों पर बढ़त या जीत मिल गई, तो जन्नत नसीब हो जाएगी!

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Tags: AIMIMअसदुद्दीन ओवैसीयूपी चुनाव
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