जब-जब भारत में व्यवसायी वर्ग की ओर नज़र जाएगी कुछ नामों का नाम लिए बिना राह पूरी नहीं हो सकती। टाटा-अंबानी और अडानी। इन तीनों पर भारत एक देश और व्यावसायिक रूप से जितना आश्रित है वो किसी से छुपा नहीं है पर इन सभी को जितना कटाक्ष देकर सुनाया जाता है वो भी किसी से छुपा नहीं है। एक व्यवसायी के रूप में अडानी जो की एक बहुराष्ट्रीय समूह कंपनी का स्तर आज बहुत बड़ा है, वो दिनों दिन तरक्की की नई राह पर बढ़ते हुए देश को मजबूत करने के लिए निश्चित रूप से योगदान दे रहा है। हाल ही में हुए कई अनुबंध इस बात की पुष्टि भी करते हैं कि गौतम अडानी एक बड़े और जुनूनी व्यवसायी के रूप में सामने आते हैं।
अब इस क्रम में व्यवसायी बुद्धि का 100 प्रतिशत उपयोग करते हुए अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी खरीदारी करने की होड़ में लग चुके हैं। अदानी समूह ने हाल ही में स्विस निर्माण सामग्री निर्माता होल्सिम लिमिटेड की भारत की संपत्ति अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी लिमिटेड को $ 10.5 बिलियन (80,000 करोड़ रुपये) में खरीदने के लिए सहमति व्यक्त की, जो किसी भारतीय समूह द्वारा अब तक के सबसे बड़े अधिग्रहण में से एक है। अडानी समूह ने अधिग्रहण को पूरा करने के लिए JSW समूह और अल्ट्राटेक की पसंद को पछाड़ दिया और सीमेंट क्षेत्र में प्रवेश करने के केवल दो साल बाद दूसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान
निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अडानी समूह का योगदान कोई मानें या न मानें पर आंकड़े इस बात की पुष्टि भी करते हैं। भारत आने वाले दशकों में दुनिया की सबसे बड़ी मांग-संचालित अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, और सीमेंट एक अर्थव्यवस्था के निर्माण का एक मौलिक हिस्सा है, हाल के दिनों में, गौतम अडानी एक बड़े और जुनूनी व्यवसायी के रूप में सामने आए हैं, जो कुछ भी और सब कुछ खरीदने के लिए तैयार हैं।
ज्ञात हो कि, सीमेंट के अतिरिक्त हाल ही में अडानी समूह ने मीडिया कंपनी क्विंट के भी एक बड़े हिस्से को खरीद लिया है जिसके बाद मीडिया समेत तमाम कॉर्पोरेट जगत में अलग ही चहल-पहल बढ़ गई। गौतम अडानी अब वामपंथी डिजिटल मीडिया पोर्टल-द क्विंट में एक शेयरधारक बन गए। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी के एएमजी मीडिया नेटवर्क्स, उनके समूह अडानी एंटरप्राइजेज की एक इकाई ने क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है।
किसी भी देश के लिए व्यवसाय का सबसे बड़ा स्त्रोत इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट वाले विषय से आता है, ऐसे में इसे तटस्थ और सुनियोजित आकर देने के लिए अडानी समूह ने इसमें में ताकत झोंक दी है। अडानी समूह, अधिग्रहण के माध्यम से, 2014 में शुरू हुआ, सात समुद्री राज्यों में मौजूद 24 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत में सबसे बड़ा वाणिज्यिक बंदरगाह ऑपरेटर बन गया है। कंपनी ने पहले 2014 में धामरा पोर्ट कंपनी का अधिग्रहण किया और बाद में गंगावरम, ओशन स्पार्कल और कृष्णापट्टनम का अधिग्रहण किया। कंपनी ने क्वींसलैंड से बाहर संचालित होने वाली एबॉट प्वाइंट बल्ककोल प्राइवेट लिमिटेड नामक एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी की सेवाओं का अधिग्रहण करके विदेशों में भी उद्यम किया। कंपनी ने हाल ही में मुंबई हवाई अड्डों में बहुमत हिस्सेदारी हासिल की थी और वर्तमान में नवी मुंबई हवाई अड्डे का निर्माण कर रही है।
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सभी क्षेत्रों में बढ़ता वर्चस्व
यह कोई नई बात नहीं है कि अडानी जैसा बड़ा समूह सभी क्षेत्रों में पैर पसारते हुए हर ओर से आर्थिक स्त्रोत उत्पन्न कर रहा है। ऊर्जा और डायमंड से जुड़े व्यवसायों में पहले से ही अडानी समूह अपनी स्थिति मजबूत बनाता चलता आया है। अडानी समूह ऊर्जा क्षेत्र में भी काफी हद तक प्रसारित है। इसका कुल नवीकरणीय पोर्टफोलियो भारत में अधिग्रहण के माध्यम से विकसित 5.4 गीगावाट में सबसे बड़ा है। सबसे बड़े सौदों में से एक में, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने पिछले साल जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प और भारती एंटरप्राइजेज लिमिटेड के स्वामित्व वाली सौर ऊर्जा उत्पादक एसबी एनर्जी इंडिया का 3.5 अरब डॉलर के उद्यम मूल्य के अधिग्रहण को पूरा किया।
चूंकि इलेक्ट्रिक जगत में अब देश क्या विश्व में अपनी पैंठ बना चुका है, ऐसे में चहुदिशा में विद्यमान अडानी समूह यहाँ कैसे चूक सकता है। भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह भी इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी बनाने और पूरे देश में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। यह मुंद्रा में विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक अनुसंधान और विकास केंद्र भी स्थापित करेगा। ईवी क्षेत्र में कुछ प्रतिस्पर्धियों के साथ बढ़त बनाने के साथ, अब अडानी समूह पहले से ही कदम उठाने की सोच रहा है। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह अन्य बाजारों में यूके, यूरोप, इज़राइल और जापान में साझेदारी सहित अधिग्रहण के लिए खोज कर रहा है।
प्लास्टिक के व्यवसाय से लेकर यहाँ तक पहुँचने वाले गौतम अडानी का देश में जिस गतिशीलता से व्यावसायिक मांगों की पूर्ति कर रहे हैं, निस्संदेह ऐसे में कटाक्ष और उनके प्रति मन में जहर रखने वाले लोगों के लिए वेब सीरीज़ महारानी के बड़े अच्छे कथन को दोहराया जा सकता है कि, “हाथी चले बाजार, कुत्ता भौंके हज़ार।” सारगर्भित बात यही है कि, गौतम अडानी एक बड़े विचार वाले जुनूनी व्यवसायी वाली छवि को पुनर्जीवित कर चुके हैं।
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