जब-जब, जो-जो होना है, तब-तब, सो-सो होता है। यह सकारात्मक नज़रिये से तो एकदम सही है पर जब यह नकारात्मक रुख अपना लेता है तब वहां से असल समस्या शुरू होती है। यही हाल खालिस्तान की चाह रखने वाले उन लोगों का हो गया है, जो भारत में रहकर भारत को ही तोड़ने का षड्यंत्र रच रहे हैं। इन सभी का मूल सिद्धांत साम-दाम-दंड-भेद से भारत को तोड़कर अपना राष्ट्र खालिस्तान बनाना है। इसी क्रम में खालिस्तानी समूह अब पंजाब जैसे राज्य के अतिरिक्त देश के अन्य प्रदेशों में अपनी हरकतें आरंभ कर चुकी है। ध्यान देने वाली बात है कि रविवार सुबह धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य द्वार और चारदीवारी पर खालिस्तान के झंडे बंधे मिले। कांगड़ा पुलिस को फाटकों पर खालिस्तान के झंडे लगे होने की सूचना मिली। धर्मशाला के बाहरी इलाके में स्थित विधानसभा परिसर की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक नारे भी मिले। ऐसे में यह प्रतीत होता है कि यह षड्यंत्र और बड़ा होने वाला है और यह एक राज्य तक सीमित तो बिल्कुल नहीं रहने वाला है। इसके बाद सीएम जयराम ठाकुर का जागना आवश्यक हो जाता है क्योंकि खालिस्तानी अब उनके दरवाजे अर्थात् राज्य में दस्तक दे चुके हैं।
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एक्शन में है हिमाचल पुलिस
दरअसल, रविवार सुबह धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विधान सभा के मुख्य द्वार और चारदीवारी पर खालिस्तान के झंडे बंधे पाए जाने के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ठाकुर ने इसे कायरतापूर्ण घटना बताते हुए कहा कि इसकी शीघ्र जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उपायुक्त डॉ निपुण जिंदल ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। उन्होंने कहा, “कुछ बदमाशों ने राज्य विधानसभा के बाहरी गेट पर पांच से छह खालिस्तानी झंडे लगाए थे और दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे थे। झंडे हटा दिए गए हैं और लेखन को साफ कर दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज किया है और एक जांच जारी है।”
पुलिस ने कहा कि यह पंजाब के कुछ पर्यटकों के कृत्य की तरह लग रहा था। अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इस बीच हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा, “यदि आप में साहस है, तो रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिन के उजाले में बाहर आएं।”
धर्मशाला विधानसभा परिसर के गेट पर रात के अंधेरे में खालिस्तान के झंडे लगाने वाली कायरतापूर्ण घटना की मैं निंदा करता हूं।
इस विधानसभा में केवल शीतकालीन सत्र ही होता है इसलिए यहां अधिक सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता उसी दौरान रहती है।
— Jairam Thakur (मोदी का परिवार) (@jairamthakurbjp) May 8, 2022
जयराम ठाकुर को सुप्त अवस्था से बाहर निकलना होगा
यह कोई आम घटना नहीं है, यदि खालिस्तानी गुटों का इस तरह सक्रिय होना राज्य की व्यवस्था पर गहरी चोट करने का काम कर सकती है। यह बिल्कुल अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति है, ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चिरनिद्रा त्याग, अपने राज्य में व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए काम करना चाहिए। जिस प्रकार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में अवैध घुसपैठियों से निपटने के लिए सत्यापन अभियान शुरू किया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उत्तराखंड को कोई शरणगाह न समझे। कई बार देखने में आया है कि बाहर से आकर लोग यहां कतिपय गतिविधियों को अंजाम देते हैं। जिसके बाद इसी तरह के तत्वों का पता लगाने के राज्य में सत्यापन अभियान शुरू किया गया है। यह समय की मांग है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी देवभूमि उत्तराखंड की भांति देवभूमि हिमाचल प्रदेश को भी ऐसे विषैले तत्वों से बचाने का काम करें।
ध्यान देने वाली बात है कि सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक पत्र जारी कर कहा था कि शिमला में भिंडरावाला और खालिस्तान का झंडा फहराया जाएगा। इससे पहले हिमाचल प्रदेश ने भिंडरावाले और खालिस्तानी झंडे ले जाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसने एसएफजे को उत्तेजित कर दिया था। तब इस संगठन ने घोषणा की थी कि वह 29 मार्च को खालिस्तानी झंडा फहराएगा लेकिन भारी सुरक्षा के कारण ऐसा नहीं कर सका। गौरतलबह है कि पन्नू जैसे खालिस्तानियों के हौसले बीते किसान आंदोलन और हाल ही में पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद बुलंद हुए हैं और इसलिए विस्तार पर निकले पन्नू और उसके SFJ संगठन ने देवभूमि को निशाना बनाया है। अब यह ज़िम्मेदारी सीएम जयराम ठाकुर की है वो आंखें खोलें और इन सभी तत्वों पर कड़ी कार्रवाई कर नई मिसाल क़ायम करें, वरना भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव तो जीत जाएगी पर जयराम ठाकुर अवश्य रघुवर दास सिंड्रोम के शिकार होने के साथ ही चुनाव भी हार जाएंगे।
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