अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना कोई कांग्रेस और उसके नेताओं से सीखे! जिस तुष्टीकरण का आरोप अब तक कांग्रेस पर लगता आया था अब कांग्रेस पार्टी ने सही मायने में उसी राह पर चलना आरंभ कर दिया है। गुजरात में इस वर्ष के अंत में चुनाव होने वाले हैं लेकिन कांग्रेस ने पहले ही मन बना लिया है कि उसे इस चुनाव में काफी गंदे तरीके से हारना है! इसी क्रम में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर के एक बयान ने पूरे राज्य की सियासत का पारा बढ़ा दिया है। चुनावी सरगर्मी के बीच ठाकोर ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की उस बात को दोहरा दिया है जो उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए कही थी। “संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है”, मनमोहन सिंह की इसी सोच को गुजरात कांग्रेस ने पुनर्जीवित किया है।
दरअसल, कांग्रेस की गुजरात इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर अल्पसंख्यक सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐसे भाव-विभोर हुए कि उन्होंने तुष्टीकरण करने का बेड़ा उठा लिया। राज्य में विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस के असल रंग-ढंग सबके सामने हैं। मुस्लिम प्रेम में आकंठ डूबी कांग्रेस ने इस बार यह मन बना ही लिया है कि उसे चुनाव लडना तो है पर जीतने के लिए नहीं बल्कि हारने के लिए। गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने कहा है कि देश की संपत्ति पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। यही नहीं, कांग्रेस की गुजरात इकाई के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष कादिर पीरजादा और अन्य नेताओं को सम्मानित करने के लिए आयोजित समारोह में जिस तरह मुस्लिमों को एकजुट होने और अपना हक लेकर रहने की सीख दी गयी, उससे भी कई तरह के सवाल खड़े होते दिख रहे हैं।
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गुजरात में कांग्रेस का खात्मा तय है!
ध्यान देने वाली बात है कि इस घटनाक्रम के बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम एक बार फिर सामने आ गया है। जगदीश ठाकोर ने मुसलमानों से आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि वो पार्टी नेतृत्व से मांग करेंगे कि मुसलमानों के लिए भी घोषणापत्र अलग से बनाया जाए। हालांकि, ठाकोर के बयान के बाद राज्य में बवाल मचा हुआ है। विश्व हिन्दू परिषद ने उनके बयान पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस दफ्तर के बाहर हज हाउस का पोस्टर लगा दिया गया। इतना ही नहीं, कांग्रेस दफ्तर की दीवार पर कालिख पोत दी गई जिसके बाद विवाद बढ़ गया। मामला उग्र होने से पूर्व पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्थिति पर नियंत्रण कर लिया।
ठाकोर के बयान के बाद मनमोहन सिंह के उस बयान को संदर्भित किया जाने लगा है जो लगभग 15 वर्ष पुराना है। 9 दिसंबर 2006 को उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल को संबोधित किया था और उसी के बाद उनका यह कथित बयान चर्चा में आया था। मनमोहन सिंह का बयान कुछ इस प्रकार था- “मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं- कृषि, सिंचाई – जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक सार्वजनिक निवेश की जरूरतें। साथ ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर उनका पहला हक़ है।”
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…कांग्रेस को अन्य समुदाय के वोटों की क्या ही आवश्यकता है?
ठीक उसी प्रकार जैसा मनमोहन सिंह ने कहा था या यूं कहें कि उनसे भी एक कदम आगे बढ़कर गुजरात के कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने बयान दे दिया है। वो भी केवल इसलिए क्योंकि अल्पसंख्यकों का सम्मलेन था और वहां से वोट हासिल करने के लिए ठाकोर को इससे बडा शस्त्र कुछ और नहीं सूझा और बोल दिया। इसके बाद जो हुआ वो स्वाभाविक ही था। अगर कांग्रेस के लिए केवल एक ही समुदाय प्रताड़ित है तो उसे अन्य समुदायों या हिन्दू वोट की क्या ही आवश्यकता है?
दूसरी ओर, विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि जिस मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति ने उसे रसातल में पहुंचाया, कांग्रेस को रह रह कर उसी की याद सता रही है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को दोयम दर्जे का मानने वाली पार्टी की प्राथमिकता में गला काट गैंग ही तो रहेगी!
सारगर्भित बात यही है कि जमीनी रूप से रसातल में जा चुकी कांग्रेस को अब उसके नेता ही उभरने नहीं देते हैं। ठाकोर का बयान उस तुच्छ सोच का परिचायक है जिसका पोषण अबतक कांग्रेस पार्टी करती आई है। इस वर्ष के अंत में गुजरात में चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में कांग्रेस का एक समुदाय विशेष से ऐसा लगाव उसकी तुष्टीकरण की सोच को उजागर करता है।
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