मौजूदा समय में भारत की स्थिति दुनिया के अन्य समान देशों की तुलना में काफी बेहतर है। देश की सुरक्षा, एकता, अखंडता के साथ-साथ हमारी अर्थव्यवस्था भी काफी अच्छी स्थिति में है। देश विकास के पथ पर सरपट भाग रहा है लेकिन देश अभी भी ‘घुसपैठ’ की समस्याओं का सामना कर रहा है। घुसपैठिए कभी शरणार्थी बनकर आते हैं तो कभी सीमा पर जवानों की नजर से बचकर लेकिन उनका मकसद एक ही है, देश में विस्तार कर या तो अपना वर्चस्व स्थापित करना या फिर अपने मिशन में असफल होने पर उस देश को ही अस्थिर करना। भारत ऐसे घुसपैठियों की मुश्किल परेशानी का सामना कर रहा है। एक तरफ बांग्लादेशी मुसलमान हैं तो दूसरी तरफ रोहिंग्या। ये आज देश के अलग-अलग इलाकों में किसी ‘बीमारी’ की तरह फैल चुके हैं। उन्हें निकालने हेतु CAA-NRC की प्रकिया पर काम जारी है लेकिन आवश्यकता यह भी है कि सीमाएं इतनी चाक चौबंद हो कि एक भी नया घुसपैठिया देश में दाखिल न हो सके और इसीलिए अब सीमा सुरक्षा बल (BSF) भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है।
एक खबर ने देश की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं और यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर उनसे कहां चूक हो रही है और उन्हें अपनी नीतियों में क्या बदलाव करने होंगे? दरअसल, यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश और असम से जुड़ी है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्य असम तक में इंटरनेशनल बॉर्डर से लगे जिलों में पिछले 10 वर्षों में अप्रत्याशित जनसांख्यिकी बदलाव हुआ है। ग्राम पंचायतों के ताजा रिकॉर्ड के आधार पर UP और असम की पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अलग-अलग रिपोर्ट भेजी है जिसने गृह मंत्रालय को अपनी नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने पर विवश कर दिया है।
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BSF का दायरा 100 किमी करने की मांग
दोनों ही अहम राज्यों की रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉर्डर के साथ लगने वाले जिलों में मुस्लिम आबादी वर्ष 2011 के मुकाबले 32 फीसदी तक बढ़ गई है, जबकि पूरे देश में यह बदलाव 10 फीसदी से 15 फीसदी के बीच है। स्पष्ट तौर पर कहें तो इन इलाकों में मुस्लिम आबादी सामान्य से 20 फीसदी ज्यादा की रफ्तार से बढ़ी है। सुरक्षा एजेंसियों और राज्यों की पुलिस ने इस बदलाव को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना है। ऐसे में दोनों राज्यों ने सिफारिश की है कि BSF के अधिकार क्षेत्र का दायरा 50 किमी से बढ़ाकर 100 किमी किया जाए। BSF को सीमा से 100 किमी पीछे तक जांच और तलाशी करने का अधिकार होगा जो कि एक सहज फैसला हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के नेपाल से लगने वाले जिलों की बात करें तो पीलीभीत, खीरी, महराजगंज, बलरामपुर और बहराइच में मुस्लिमों की आबादी वर्ष 2011 के राष्ट्रीय औसत अनुमान के मुकाबले 20 फीसदी से ज्यादा अधिक बढ़ी है। UP के 5 सीमावर्ती जिलों में 1,000 से अधिक गांव हैं। इनमें से 116 गांवों में मुस्लिमों की आबादी अब 50 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है। वहीं, कुल 303 गांव ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से 50 फीसदी के बीच है। इन जिलों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2022 तक 25 फीसदी बढ़ी है। वर्ष 2018 में सीमावर्ती जिलों में कुल 1,349 मस्जिदें और मदरसे थे जो अब बढ़कर 1,688 हो गए हैं।
इसी तरह बांग्लादेश से लगते असम के जिले धुवरी, करीमगंज, दक्षिण सलमारा और काछर में मुस्लिम आबादी 32 फीसदी तक बढ़ी है। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के राष्ट्रीय औसत अनुमान के लिहाज से आबादी में बढ़ोत्तरी 12.5 फीसदी और राज्य स्तरीय अनुमान के मुताबिक 13.5 फीसदी होनी चाहिए थी। गौरतलब है कि पहले ही असम घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है जिसके कारण NRC और CAA का लागू होना काफी जरुरी हो गया है। इसके बावजूद राज्य के जिलों में तेजी से मुस्लिम जनसंख्या का बढ़ना राज्य और देश की सुरक्षा, दोनों के लिए घातक है जिसके कारण अब इस मामले को लेकर राज्य सरकार एक्टिव हो गई है।
हमेशा से यह सामने आता रहा है कि भारत में बड़े अपराध करने वाले लोग या तो असम के रास्ते देश छोड़ते हैं या फिर नेपाल के रास्ते। ठीक उसी तरह असम और नेपाल दोनों ही इलाकों से आतंकियों की घुसपैठ भी आसानी से हो जाती है। यासीन भटकल नाम का आतंकी यूपी के इन्हीं सीमावर्ती इलाकों से अपने आतंक का नेटवर्क चलाता रहा है और उसी के कारण अब दोनों राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय से आग्रह किया है कि सीमा सुरक्षा बल यानी BSF का दायरा सीमावर्ती इलाकों में 50 किमी से बढ़ाकर 100 किमी कर दिया जाए।
घुसपैठियों को छोड़ा नहीं जाएगा
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश और पंजाब में पाकिस्तान के रास्ते से खूब घुसपैठ होती रही है। इसके कारण ही केन्द्र सरकार ने पिछले वर्ष बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के दायरे को 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किया था, जिसका राजनीतिक गतिरोध के कारण विरोध भी किया गया था। हालांकि, इस फैसले को वापस नहीं लिया गया लेकिन अब स्थिति को देखते हुए खुद राज्यों की ओर से ही यह मांग की जा रही है। यह माना जा रहा है कि यूपी और असम जैसे राज्यों द्वारा गृह मंत्रालय से मांग करने के कारण यहां बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ना किसी राजनीतिक गतिरोध का कारण नहीं होगा क्योंकि दोनों ही राज्यों की सरकारें बीजेपी शासित ही हैं। ऐसे में यदि इन दोनों राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों के सुझावों के आधार पर की गई मांगों को गृहमंत्रालय द्वारा स्वीकार किया जाता है तो यह असम और नेपाल के रास्ते घुसपैठ कर देश को अस्थिर करने की सोच रखने वालों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है और साथ ही इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता हो जाएगी।
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