Vande Bharat: लगता है कि आज कल वामपंथी गुटों और विपक्षी दलों के पास कोई काम ही नहीं बचा है, लगता तो ऐसा भी है कि उनके पास मोदी सरकार के विरुद्ध कोई मुद्दा ही नहीं बचा है। सोचने वाली बात है कि अगर उनके पास कोई काम होता तो वो व्यर्थ की बातों पर ध्यान नहीं देते और न तो मोदी सरकार के विरुद्ध बिना कारण निशाना साधकर अपना समय बर्बाद करते। ये बेरोजगार राजनैतिक दल किसी बड़े और औचित्य वाले मुद्दे पर सरकार से प्रश्न करते न कि कैसे ट्रेन से भैंस टकरा गई जैसी घटना को मुद्दा बनाते। उनकी ऐसी हरकतें देख कर तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि मानो देश में राजनीतिक विमर्श तेजी से घटता जा रहा है।
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टुच्चे मुद्दों का सहारा
जहां पहले किसी भी सरकार पर निशाना साधने से पहले पार्टियों के पास स्पष्ट वैचारिक तर्क होते थे, वहीं आज कल बिना कारण मुद्दों पर हल्लागुल्ला शुरू कर देती हैं। आजकल विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए टुच्चे मुद्दों का सहारा लेने की आदत डाल ली है। ये तो सभी जानते हैं कि अभी हाल ही में तकनीकी खराबी और दो मुठभेड़ों के कारण वंदे भारत (Vande Bharat) ट्रेनों को लेकर मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष द्वारा इस दुर्घटना को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे ‘मेक इन इंडिया’ ट्रेनों का पूरा ढांचा विफल हो गया हो।
अभी हाल ही में दिल्ली-हावड़ा ट्रैक पर वंदे भारत (Vande Bharat) एक्सप्रेस ट्रेन में अचानक कुछ खराबी आ गयी। खुर्जा रेलवे जंक्शन पर ट्रैक्शन मोटर सीज हो जाने के कारण ट्रेन के ब्रेक जाम हो गए, जिसके बाद ट्रेन के सभी यात्रियों को शताब्दी एक्सप्रेस में शिफ्ट कर दिया गया। ट्रेन में इस तरह की खराबी आने के कारण ट्रेन के चलने में लगभग चार घंटे की देरी दर्ज की गयी।
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ट्रेन की भैंसों के झुंड के साथ भिड़ंत
इसके पहले भी वंदे भारत ट्रेन की भैंसों के झुंड के साथ भिड़ंत हो गयी थी जिस कारण ट्रेन को एक जोरदार टक्कर लगी थी और उसके इंजन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके अगले दिन ही वंदे भारत ट्रेन एक हादसे का शिकार तब हुई जब उससे एक गाय आकर टकरा गयी। जिसके बाद ट्रेन का अगला हिस्सा टूट गया। विरोधियों द्वारा इस ट्रेन की विफलता को लेकर कई सारे ट्वीट कर जनता को ये बताने का बहुत प्रयास किया गया है कि सरकार द्वारा एक बेकार ट्रेन का निर्माण किया गया है। इन सभी दुर्घटना को बहुत अधिक बढ़ा चढ़ाकर जनता के सामने पेश किया गया और मोदी सरकार की विफलता को दिखाने का षड्यंत्र रचा गया।
लेकिन क्षतिग्रस्त वंदे भारत ट्रेनों की मरम्मत का कार्य एक ही दिन के भीतर हो गया जिससे ये साबित होता है कि हमारा राष्ट्र हर दिन तेजी से प्रगति कर रहा है। ऐसा होने के बाद सरकार के खिलाफ बेवजह का हल्ला करने वालों और विरोधियों के मुहं पर एक जोरदार तमाचा पड़ा है। मोदी सरकार को अपने निशाने पर लेने की कोशिश में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस से जुड़े कई हैंडल द्वारा वंदे भारत ट्रेनों को एक विफल प्रयास भी बताने की कोशिश की गयी। लेकिन इन विरोधियों को ये बात कौन समझाए कि जहां पहले ट्रेन अपने समय से 12 या 24 घंटों तक देरी से चलती थी, जहां ट्रेनों में किसी बड़े हादसे के बाद उनकी चर्चा हुआ करती थी, ऐसे में क्या अब के समय में ट्रेन का किसी गाय या भैंस से टकराना यह तय करेगी कि ट्रेन के निर्माण कितना सफल या विफल रहा है?
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दुर्घटनाओं का मूल कारण
शायद विरोधी ये बात भूल गए हैं कि मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे में किस तरह के सुधार किए हैं। सरकार के सकारात्मक कार्यों की सूची बहुत अधिक लंबी है। आज से पहले भारतीय रेलवे की ट्रेन तय समय से बहुत देरी से चला करती थीं लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद ट्रेने अपने समय की पाबंद हो चुकी हैं। पहले रेलवे को बहुत अधिक खराबी और टक्कर का सामना करना पड़ता था साथ ही ट्रेन का पटरी से उतर जाना तो बहुत ही आम घटना हुआ करती थी लेकिन अब ऐसी घटनाओं में बहुत कमी देखने को मिली हैं।
वंदे भारत ट्रेनों के विरुद्ध बोलने वालों को शायद ये बात नहीं पता है कि इन सभी दुर्घटनाओं का मूल कारण वंदे भारत ट्रेनों का विफल होना नहीं है, बल्कि इसका असल कारण आवारा मवेशी हैं। इन लोकोमोटिव ट्रेन को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे किसी भी तरह के टकराव की ऊर्जा को समाप्त किया जा सके साथ ही यात्रियों को इसके प्रभाव से गुजरना न पड़ें।
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अक्सर विपक्ष और वामपंथी उदारवादी सरकार पर अपना निशाना साधने की मंशा से भरे रहते हैं और यह भूल जाते हैं कि ऐसा करने से राष्ट्र के हित को भी नुकसान पहुंच सकता हैं। इसलिए, इन सभी वामपंथी उदारवादी गुटों को भारत के विकास के बारे में अनाब-शनाब बोलना छोड़कर अपने लिए कोई काम तलाशना चाहिए ताकि वो अपना ही कुछ भला कर लें न कि खालीपन में देश और देश की सरकार की छवि को धुमिल करें।
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