यह वही आम आदमी पार्टी है जो धर्म और जाति को राजनीति से दूर रखने के बड़े-बड़े वादों के साथ सत्ता में आयी थी। परंतु अपने गठन के एक दशक के भीतर ही वे पूरी तरह से अपने रंग-ढंग बदल चुकी है और वहीं आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल धर्म के एक चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल करते नजर आने लगे हैं। आम आदमी पार्टी पर लगातार हिंदू विरोधी होने के आरोप लगते रहते हैं और लगे भी क्यों न? एक के बाद एक पार्टी के नेता हिंदू धर्म के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। चाहे वह आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम हो या गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया। दिवाली जैसे हिंदुओं के अहम त्योहारों पर केजरीवाल पटाखों पर प्रतिबंध लगाकर अपना हिंदू विरोधी रूख दिखा देते है। अब अरविंद केजरीवाल द्वारा ऐसे मुद्दों को लेकर जमकर राजनीति की जा रही है, जिसे सनातन धर्म के अपमान की तरफ देखा जा रहा हैं। दरअसल, बीते दिनों से केजरीवाल करेंसी नोट पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की तस्वीर छपवाने की मांग उठा रहे है। आज हम जानेंगे कि क्यों केजरीवाल का यह सुझाव हिंदू धर्म का अनादर हैं?
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केजरीवाल की नोट वाली राजनीति
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं, जिसके चलते आम आदमी पार्टी को यह एहसास हो गया है कि अगर उसकी छवि में बदलाव नहीं हुआ, तो उसे राजनीतिक रूप से वैसे ही बाहर कर दिया जाएगा, जैसे कांग्रेस को उसकी नीच तुष्टिकरण की राजनीति के चलते खत्म कर दिया गया है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी गुजरात चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए हिंदू कार्ड खेलने के प्रयास कर रही है।
इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने एक बेहद ही फिजूल की मांग रख दी। बीते दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की तस्वीरों को करेंसी नोट पर छपवाने की अपील की। इस दौरान केजरीवाल द्वारा तर्क दिया गया कि हिंदू देवताओं-लक्ष्मी जी और गणेश जी की तस्वीरों वाले करेंसी नोट से भारतीय अर्थव्यवस्था समृद्ध होगी।
केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा– “मैं केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करूंगा कि नये नोटों पर गणेश जी और लक्ष्मी जी की तस्वीरें भी लगायी जाये। यदि इंडोनेशिया ऐसा कर सकता है, तो हम क्यों नहीं?” केजरीवाल ने आगे कहा- “देश की अर्थव्यवस्था नाजुक दौर में है। डॉलर के मुकाबले रुपया दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है, जिसकी वजह से आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। दिवाली के अवसर पर हम सभी ने गणेश जी और लक्ष्मी जी का पूजन किया। हम सब ने भगवान से सुख शांति की प्रार्थना की। हमने अपने परिवार के साथ ही देश की समृद्धि के लिए भी प्रार्थना की। हम देखते हैं कि जो लोग भी व्यापार करते हैं, वह अपने यहां लक्ष्मी-गणेशजी की मूर्ति लगाकर रखते हैं।” गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति लगाकर उनका आर्शीवाद लेना और नोटों पर उनकी तस्वीर छपवाने में कितना अंतर है, शायद यह आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल नहीं जानते, जब ही तो केवल राजनीति चमकाने के लिए वे ऐसी मांगें रख रहे हैं।
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हिंदू विरोधी है केजरीवाल का यह सुझाव
केजरीवाल का यह सुझाव स्पष्ट रूप से हिंदू विरोधी हैं और अगर इसे करेंसी नोट पर लागू किया गया तो इससे हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। यहां हम आपसे एक प्रश्न पूछना चाहेंगे कि आप कैसे नोटों का प्रयोग करते हैं यानी जब भी कभी आप नोट को छूते हैं तो क्या आपके हाथ स्वच्छ ही होते हैं? नहीं न? जाहिर तौर पर अक्सर ही लोग गंदे हाथों से मुद्रा को छूते नजर आते हैं। यहां तक कि कुछ लोग नोट गिनने के लिए थूक तक का इस्तेमाल करते हैं। क्या आप भगवान की मूर्तियों को कभी भी गंदे और अस्वच्छ हाथों से छूते हैं? इसके अलावा कुछ लोग तो नोटों का जुआ, रिश्वत, वेश्यावृत्ति और शराब की दुकानों जैसी पापपूर्ण गतिविधियों के लिए दुरुपयोग करते हैं। तो ऐसे में यदि भगवान की तस्वीर उन नोटों पर छपी होगी, तो क्या यह उनका अपमान नहीं होगा?
यह हर तरह से हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं पर सीधा हमला है। चूंकि मूर्तियों या देवताओं या हिंदू धर्म के प्रतीकों को सम्मानित तरीके से देखा जाता है। कभी भी लोग गंदे हाथों से मूर्ति को छूते नहीं। यह हिंदू धर्म के लिए बहुत ही अपमानजनक होगा कि उनके पूजनीय देवताओं का उपयोग भयावह गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। देवी-देवताओं के प्रतीकों और प्रतिमाओं के साथ भक्तों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं। भगवान अत्यंत सम्मान के पात्र हैं और किसी भी तरह से अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
यही कारण है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस तरह का सुझाव देने के लिए दिल्ली के सीएम को कड़ी फटकार लगायी है। CAIT vs दिल्ली के सीएम केजरीवाल के सुझाव की निंदा करते हुए इसे पूरी तरह से हास्यास्पद, बेतुका और अतार्किक करार दिया है। इसमें इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि यदि उनके सुझाव को लागू किया गया तो इससे सनातन धर्म का अपमान होगा और केंद्र सरकार को उनके सुझावों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इसके अलावा ट्रेडर्स यूनियन ने भी AAP के राष्ट्रीय संयोजक के सुझाव को राजनीति से प्रेरित बताया है। ऐसा प्रतीत होता है कि केजरीवाल भूल गए हैं कि लोग उनके हिंदू विरोधी चेहरे से भली-भांति परिचित हो चुकी है और वे अब उनके इस तरह के बहकावे में नहीं आएंगे, जिसे वह दिखाने की तो कुछ और ही कोशिश कर रहे हैं, परंतु गुप्त रूप से हिंदू विरोधी और स्पष्ट रूप से हिंदूफोबिक है।
समझने वाली बात है कि भारतीय समाज पश्चिमी समाज से बिलकुल अलग है। पश्चिम के लिए अंडरगारमेंट्स, डोरमैट और अन्य सामानों पर अपने राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग करने में कुछ भी गलत नहीं है। परंतु हमारे यहां तो यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है और हम इनका अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते। फिर भगवान की तस्वीरों को यूं नोटों पर छपवाकर उन्हें गलत कामों में प्रयोग में लाना तो दूर की बात रही।
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केजरीवाल का हिंदू कार्ड फेल
खैर, केजरीवाल के इस सुझाव की बात करें तो दिल्ली के सीएम का यह रूख स्पष्ट तौर पर राजनीति से प्रेरित ही नजर आता है। केजरीवाल अच्छे से जानते हैं कि उनकी और उनके पार्टी के अन्य नेताओं की हरकतों के कारण आम आदमी पार्टी की छवि हिंदू विरोधी बनी है। हिंदू वोटबैंक उनसे छिटकने लगा है और क्योंकि हिंदू बहुसंख्यक हैं, तो उनके बिना तो केजरीवाल की नैया पार नहीं लगने वाली। खासतौर पर जिन गुजरात चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं, वहां केजरीवाल हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ने के प्रयास कर रहे हैं। परंतु उन्हें यह समझने की आवश्यकता है कि इस तरह की बेफिजूल बातों से जनता उनके बहकावे में नहीं आने वाली। यह केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के हिंदू विरोधी चेहरे को छिपाने की नाकाम कोशिश नजर आती है।
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