आज के समय में देखा जाये हिंदू धर्म को सॉफ्ट यानी टारगेट बना दिया गया है। आप देखेंगे कि आज कोई भी व्यक्ति मुंह उठाकर सनातन धर्म के विरुद्ध कुछ भी बोल देता हैं। वहीं कुछ लोगों ने तो इसे ही अपना एजेंडा बना लिया है कि स्वयं को दलितों का सबसे बड़ा मसीहा और शुभचिंतक दिखाओ, उन्हें बताओ कि कैसे हिंदुओं द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया गया और इसी की आड़ में सनातन धर्म के विरुद्ध जहर उगलते चले जाओ। यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने आकर तो इन लोगों के काम को और आसान कर दिया, क्योंकि इसके माध्यम से यह लोग ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बनाकर सनातन विरोधी अपने एजेंडे को तेजी से बढ़ावा दे सकते हैं। वे दलितों को हिंदू धर्म से अलग दिखाने के प्रयास करते हैं। ऐसा ही कुछ काम अर्जक संघ नाम का एक संगठन भी कर रहा है।
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सनातन विरोधी है अर्जक संघ संगठन
अर्जक संघ संगठन की स्थापना वैसे तो वर्ष 1968 में रामस्वरूप वर्मा द्वारा की गयी थीं। अर्जक संघ मानववादी संस्कृति का विकास करने का कार्य करने के दावे करता है। इस संगठन का उद्देश्य समता का विकास करना, ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करना और सबकी उन्नति के लिए काम करना है। परंतु अपने उद्देश्यों पर यह संगठन कितना काम करता है उसके बारे में तो हम क्या ही कहें। इसके विपरीत सनातन धर्म के विरुद्ध विष उगलने में सबसे आगे हैं। अर्जक संघ संगठन के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता अपनी वीडियो के माध्यम से सनातन धर्म को अपमानित करते नजर आते हैं।
आप इस चैनल पर डाली गयी कुछ वीडियो के शीर्षक देखेंगे तो भली भांति यह समझ जाएंगे कि कैसे अर्जक संघ सनातन धर्म के विरुद्ध अपना एजेंडा चला रहा है। उदाहरण के लिए आप इन शीर्षकों पर नजर डालें-
“देवी देवता साजिश के तहत बनाई गई है”
“अंधविश्वास, पाखंड तथा ब्राह्मणवाद पर जबरदस्त प्रहार”
“हिन्दू धर्म के सभी देवी-देवता काल्पनिक है …”
“मूर्ति पूजा व ईश्वर की खुल गयी पोल”
“बोल बम एक पाखंड”
“ईश्वर महाझूठ है”
इससे यह साफ हो जाता है कि अर्जक संघ का उद्देश्य दलितों के एक संगठन की आड़ लेकर सनातन धर्म को अपमानित करना, नीचा दिखाना ही है। कहते है न कि बातों और कार्यों में जमीन आसमान का अंतर होता है। ऐसा ही कुछ यहां भी देखने को मिलता है। जिन बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को प्रेरणा मानकर इस संगठन की स्थापना की गयी, उनके उद्देश्यों पर तो यह कतई चलता नजर नहीं आता।
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धर्मांतरण का चल रहा खेल
केवल इतना ही नहीं देखा जाये तो इस वक्त धर्मांतरण का नया मॉडल बाजार में मिल गया है। कोई भी अत्याचार होता है, उसे जातिवाद का रंग दे दो और अगड़ा पिछड़ा का नारा बुलंद कर धर्मांतरण कराओ। हाल ही में इसका एक उदाहरण राजस्थान में देखने को मिला था, जहां एक हिंसक झड़प के पश्चात 250 लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था।
राजस्थान के बारां जिले में सवर्ण समाज के लोगों की मारपीट से आहत 250 दलित लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था। इन लोगों ने अपने घरों से देवी-देवताओं की मूर्तियों और तस्वीरों को बैथली नदी में विसर्जित कर दिया था। इन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ दिनों पूर्व मां दुर्गा की आरती करने पर सवर्णों ने दलित समुदाय के दो युवकों के साथ मारपीट की थी। इन्होंने इनकी शिकायत भी की, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर पिछले कुछ समय के मामलों को देखें तो यह एक ट्रेंड बन गया है, कुछ भी हुआ तो धर्मांतरण कर लो।
परंतु देखा जाये अर्जक संघ जैसे संगठन तो केवल एक उदाहरण है यदि आप यूट्यूब खोलकर देखेंगे तो आपको ऐसे कई चैनल देखने को मिल जाएंगे, जो दलित चिंतक होने का दावा करेंगे, अपने आप को दलितों का सबसे बड़ा शुभचिंतक दिखाएंगे और इसी के बहाने यह अपने सनातन विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे, सनातन धर्म का अपमान करेंगे और इनमें दिलीप मण्डल जैसे लोग अग्रणी रहते हैं।
देखा जाये तो कोई भी धर्म दोषहीन नहीं होता है। परंतु अपने ही देश के अंदर जितनी आलोचना हिंदू धर्म को झेलनी पड़ती है, शायद ही किसी और धर्म के साथ ऐसा हो। दलितों को दबा-कुचला दिखाकर हर कोई उनका इस्तेमाल करना चाहता है। कोई अपने राजनीतिक फायदे के लिए दलितों का लाभ उठाता है, तो कोई अपना एजेंडा चलाने और सनातन धर्म को अपमानित करने के लिए इनकी आड़ लेता है। परंतु जिस हिंदुस्तान में आप रह रहें हैं, वहां आप यूं सनातन धर्म का अपमान कर अपना एजेंडाधारी दुकान चलाएंगे, यह तो हिंदुस्तान के लोगों को किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होगा। इसलिए यह बेहद ही आवश्यक हो जाता है कि इन सनातन विरोधी अर्जक संघ और अरुण कुमार गुप्ता जैसे लोगों के खिलाफ शीघ्र से शीघ्र कड़ी कार्रवाई की जाए और ऐसे लोगों को सलाखों के पीछे भेजा जाये।
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