Drishyam 2 Movie Review in Hindi- हमारी फिल्में चलती नहीं है! जनता को हमें सबक सिखाना होगा! जनता को हमारा टेस्ट ही नहीं पसंद! ऐसे कई संवाद आपने कुछ स्वघोषित मठाधीशों को दोहराते हुए सुना ही होगा, जो अपने आप में इस देश के सबसे प्रभावशाली फिल्म उद्योग का बँटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। परंतु एक व्यक्ति ने अपने ही धुन में आकर स्पष्ट कह दिया, “बबुआ, टेकनीक ही गलत चुने हो तो रिजल्ट कहाँ से अच्छा आएगा?” दरअसल, सात वर्ष बाद दृश्यम 2 (Drishyam2) रिलीज हो चुकी है। फिल्म की कहानी भी सात वर्ष आगे बढ़ चुकी है और एक बार फिर से ये पुलिस केस खुल चुका है। फिल्म ने पहले ही दिन दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया और इसका बेहतरीन क्लाइमेक्स आपको कुर्सी से उछलने पर मजबूर कर देगा। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे दृश्यम 2 रीमेक होते हुए भी काफी कुछ सिखाती है और वर्तमान में यह बॉलीवुड के लिए एक दर्पण के समान है।
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‘स्मार्ट रीमेक’ है दृश्यम 2
हाल ही में प्रदर्शित दृश्यम 2 मूल फिल्म की भांति मलयाली संस्करण का सीक्वल है, जिसके मूल निर्देशक निशिकांत कामत ही होते परंतु उनके आकस्मिक निधन के कारण ये कार्यभार निर्माता अभिषेक पाठक ने संभाला। कथा आगे बढ़ती है केबल ऑपरेटर विजय सालगांवकर से, जो अब काफी सम्पन्न है, जीवन तनिक बेहतर है परंतु वो और उनका परिवार उस रात को भूला नहीं है। यही बात मीरा और उनके परिवार पर भी लागू होती है, जो अभी तक अपने बेटे की हत्या वाले प्रकरण से उबर नहीं पाया है और कैसे यह बात इन दोनों को पुनः आमने सामने लाती है, ये कथा इसी पर आधारित है।
अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप मूल फिल्म से कितना अलग हो सकते हैं। रीमेक करने के तीन प्रकार है – स्मार्ट, ओवरस्मार्ट और फ्रेम टू फ्रेम। फ्रेम टू फ्रेम में आप जैसा है, उसे वैसा ही बना देते हैं, कोई बदलाव नहीं। ये कभी काम करता है, कभी नहीं, जैसा कि कबीर सिंह और जर्सी के मामले में देखने को मिला है। अब आते हैं ओवरस्मार्ट पर, इसमें आती है राम गोपाल वर्मा की आग और हीरोपंती 2 जैसी फिल्में। परंतु स्मार्ट रीमेक विरले ही देखने को मिलता है और दृश्यम का हिन्दी संस्करण और अब उसका सीक्वल उसी का उदाहरण है।
Drishyam 2 Movie Review in Hindi- सस्पेंस से भरी है पूरी फिल्म
“सच पेड़ के बीज की तरह होता है, जितना चाहे दफना लो, एक दिन बाहर आ ही जाता है” इस संवाद में ही मानो फिल्म का समस्त सार सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त जब पूर्व फिल्म ने एक भयानक विरासत स्थापित की हो, तो उसपर खरा उतरना अपने आप में कठिन हो जाता है। परंतु दृश्यम 2 (Drishyam 2 Movie Review) का हिन्दी संस्करण यहां भी उत्कृष्ट है। जब तक इंटरवल है, आप कथा में इतना खोए हुए हैं कि आपको पता ही नहीं चलता कि कब इंटरवल आ गया।
अब कुछ कहेंगे कि इससे क्या होता है, ये तो रीमेक है, उधार की स्टोरी पर ऐसा होना ही था। पॉइंट है, परंतु उधार की स्टोरी पर तो ‘विक्रम वेधा’, ‘लक्ष्मी’, ‘कठपुतली’ भी बनी, वो तो नहीं चली। ऐसा क्यों बंधु? कारण सरल और स्पष्ट है- किरदारों का ट्रीटमेंट। अगर आप मूल किरदारों के साथ यदि छेड़छाड़ करेंगे या उन्हें एक अनोखा रूप देन में असफल रहेंगे तो आप न घर के रहेंगे, न घाट के और यही हुआ इन तीनों फिल्मों के साथ, जिनमें से कुछ ने तो सिल्वर स्क्रीन की शक्ल तक नहीं देखा।
परंतु दृश्यम 2 इन सब से अलग थी और इसमें केवल अजय देवगन ही स्टार फैक्टर नहीं थे। तब्बू ने बराबर का साथ दिया और IG तरुण अहलावत के रोल में अक्षय खन्ना ने जो बवाल मचाया, उसका कोई तोड़ नहीं है बंधु और फिर गायतोंडे भाऊ को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने अपनी एक्टिंग से चार चांद लगा दिए। ऐसे में जो लोग कह रहे हैं कि अजय देवगन ‘कैथी’ के रीमेक में कुछ नहीं कर पाएंगे, उनके लिए दृश्यम 2 (Drishyam 2) एक संदेश है।
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