दिन में चार से पांच घंटे की नींद, दिन-भर 135 करोड़ लोगों के मुद्दों की चिंता और चौबीसों घंटे विपक्षी पार्टियों और अपने विरोधियों के असंख्य वार, इसके बावजूद मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत विश्व पटल अपनी अमिट छाप छोड़ते जा रहा है. जो देश की विपक्षी पार्टियों को तो चुभ ही रहा है साथ ही देश के दुश्मनों को भी चुभ रहा है. भारत सरकार देशहित में कुछ भी करने को तैयार है और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से व्यापार बढ़ाकर मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी के प्रभाव में नहीं है और अपने फैसले स्वयं करने का साहस रखता है. दूसरी ओर विदेश मंत्री एस जयशंकर विश्व पटल पर भारत की स्थिति मजबूत करने में जी-जान से लगे हैं. इसी बीच अब रूसी मंच पर भारत-रूस व्यापार (India Russia trade) में भारत का कद बढ़ाने को लेकर जयशंकर ने कड़ी टिप्पणी की है.
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30 अरब डॉलर पहुंचने वाला है द्विपक्षीय व्यापार
दरअसल, एस जयशंकर (S Jaishankar) अपने दो दिवसीय दौरे पर रूस पहुंच हैं. जी20 समिट से ठीक पहले जयशंकर की रूस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई है. भारत-रूस की मित्रता से पूरा विश्व अवगत है और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान विदेश मंत्री के इस यात्रा को काफी अहम माना जा रहा था और हुआ भी कुछ वैसा ही है. युद्ध की शुरूआत से ही भारत रूस के साथ खड़ा रहा है, भारत ने रूस के साथ अपने व्यापार को काफी ज्यादा बढ़ाया है. रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत की और उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक द्विपक्षीय व्यापार कारोबार 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
जयंशकर ने अपनी दो दिवसीय मास्को यात्रा के पहले दिन मंगलवार को विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय और विश्व मामलों पर वार्ता की तथा रूस के उप प्रधानमंत्री और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ भारत-रूस व्यापार (India Russia trade), आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकि और सांस्कृतिक सहयोग, अंतर सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-पीईसी) की सह अध्यक्षता की. दोनों अवसरों पर अपने प्रारंभिक संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय संबंध लगातार बढ़ रहे है. इन आर्थिक सहयोग संबंधों में दूरगामी स्थिरता के लिए जरूरी है कि इन्हें संतुलित और टिकाऊ बनाया जाए.
विदेश मंत्री ने कहा, अब आर्थिक सहयोग बढ़ाने में दोनों देशों को एक संतुलित, परस्पर लाभकारी और लॉन्ग टर्म पार्टनरशिप बनाने पर ध्यान देना चाहिए. यानी जयशंकर ने यह साफ किर दिया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ना अच्छी बात है लेकिन इससे दोनों को लाभ होना भी उतना ही जरूरी है. ज्ञात हो कि भारत, रूस से काफी ज्यादा मात्रा में आयात करता है. इन दिनों कच्चा तेल और फर्टिलाइजर का आयात सबसे ज्यादा हो रहा है. इसके अलावा अन्य भी कई सामानों का आयात होते रहा है लेकिन जब निर्यात की बात आती है तो वहां हम पीछे छूट जाते हैं. लेकिन भारत अब इस गैप को भी भरने के प्रयास में पूरी तरह से जुट गया है और एस जयशंकर का यह बयान उसी ओर संकेत देता है.
व्यापार में परस्पर साझेदारी के संकेत
ध्यान देने योग्य है कि भारत, रूस से सबसे ज्यादा तेल का आयात कर रहा है. एनर्जी इंटेलिजेंस फर्म, वोर्टेक्स के अनुसार, अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है. यह अब भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 22 प्रतिशत हो गया है, जो इराक के 20.5 प्रतिशत और सऊदी अरब के 16 प्रतिशत से अधिक है. इससे पूर्व भारत अपने तेल की जरूरत का ज्यादातर हिस्सा ईराक, सऊदी अरब और यूएई से पूरा करता था. जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ तो भारत प्रत्यक्ष नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से रूस के पीछे खड़ा रहा. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने अपना स्टैंड क्लियर रखा और आज दोनों देशों की दोस्ती अलग ही लेवल पर पहुंच चुकी है.
साथ ही भारत अब आयातक से निर्यातक बनने की ओर कदम बढ़ा चुका है. भारत मौजूदा समय में दुनिया के 75 देशों को सैन्य उपकरणों का निर्यात करता है. इसके अलावा कई देशों को खाद्य पदार्थों का निर्यात भी किया जाता है. अब भारत अपने मित्र रुस के साथ भी व्यापार (India Russia trade) में परस्पर साझेदारी करने के संकेत दे दिए हैं, जो आने वाले समय में भारत के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है.
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