बहुत समय पूर्व एक कथित क्रांतिकारी था, मत पूछो किधर। वो गांजा का सेवन बहुत अधिक किया करता था। धीरे-धीरे वह युवाओं का प्रेरणास्रोत बन गया। कालांतर में वही युवा कम्यूनिस्ट कहलाया। उससे प्रभावित भतेरे युवा आपको आज के कई शिक्षण संस्थानों में दिख जाएंगे। यह व्यक्ति है क्यूबा की क्रांति में मुख्य भूमिका निभाने वाला चे ग्वेरा और अब इन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए केरल नया क्यूबा बनने की दिशा की ओर बढ़ चला है।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे देश का सबसे “साक्षर राज्य” अब नशे के परिप्रेक्ष्य में पंजाब को टक्कर देने चला है और ‘कम्यूनिस्ट ब्रैंड’ चे ग्वेरा से अति प्रभावित हुआ जा रहा है।
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ड्रग संबंधी अपराधों में संलिप्त केरल के किशोर
हाल ही में केरल सरकार के एक्साइज़ विभाग ने एक सर्वे आयोजित कराया, सर्वे में जो परिणाम सामने आए वो काफी चिंताजनक दिखे। सर्वे के अनुसार किशोरों में सर्वाधिक प्रयोग में लाया जाने वाला केरल में इस समय Cannabis यानी गांजा है। यह सर्वे 600 किशोरों में कराया गया जो या तो ड्रग संबंधी अपराधों में संलिप्त थे या फिर किसी डीएडिक्शन [De Addiction] यानी नशा मुक्ति केंद्र में अपनी समस्या को लेकर संपर्क साधे हुए थे। सर्वे के अनुसार उक्त किशोरों में 46 प्रतिशत किशोर एक से अधिक बार ड्रग्स का सेवन करते हुए पाए गए हैं।
परंतु बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। इसी सर्वे के अनुसार पता चला है कि कई किशोर गांजा फूंकने के कारण इसके व्यसन में पड़ गए। इस सर्वे में कुछ ऐसे भी आंकड़े आए हैं जो किसी को भी अंदर तक झकझोर सकते हैं। उदाहरण के लिए सर्वे में भाग लेने वाले 70 प्रतिशत किशोरों का कहना है कि उन्होंने ऐसे पदार्थों का सेवन प्रथमत्या 10 से 15 वर्ष की आयु में किया जबकि केवल 20 प्रतिशत किशोरों ने 15 से 19 वर्ष की आयु में प्रथमत्या सेवन किया। इसके अतिरिक्त ये बात भी सामने आई कि सर्वे में भाग लेने वाले 9 प्रतिशत किशोरों ने ऐसे नशीले पदार्थों का सर्वप्रथम सेवन 10 वर्ष की आयु से भी पूर्व किया था। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना, 10 वर्ष की आयु से भी पूर्व।
गंजेरी कम्यूनिस्ट
तो इन सबका क्यूबा की क्रांति में मुख्य भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी चे ग्वेरा से क्या संबंध, और ये केरल के भविष्य के लिए कैसे घातक है? यूं तो क्यूबा अपने हवाना सिगार के लिए काफी चर्चित हैं, परंतु वह उससे भी अधिक गांजा की अवैध खेती और उसके उपयोग के लिए कुख्यात है, जिसके बारे में देश विदेश में चर्चा रहती है। अगर कोई ढंग से शोध करे, तो क्यूबा में गांजा एवं अन्य ड्रग्स का अवैध व्यापार तो कोलंबिया को टक्कर देने लगे, जो एक समय विश्व का “ड्रग कैपिटल” कहा जाता था। भारत में जैसे बिहार के सीएम नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति निरर्थक है, वैसे ही क्यूबा में ड्रग रोधी कानून का असर नगण्य है।
और हो भी क्यों न? भइया क्यूबा वाले हैं गंजेरी कम्यूनिस्ट। एक बार किसी को गांजे की लत लगती है तो छूटती नहीं है और कम्यूनिस्टों से तो भूल ही जाइए। केरल में भी ठहरी कम्यूनिस्टों की सरकार। तो भई परिणाम क्या होगा यह आप स्वयं सोच सकते हैं।
वहीं केरल की ऐसी स्थिति देखकर एक और प्रश्न उठता है कि क्या केरल अब पंजाब का अनुसरण कर रहा है? नशे के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो ऐसा ही प्रतीत होता है क्योंकि नशाखोरी के दलदल में पंजाब किस तरह से फंसा हुआ है यह किसी से नहीं छुपा हुआ है।
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वयस्कों का क्या हाल होगा?
खैर, केरल में हुए सर्वे को लेकर आगे बात की जाए तो एक्साइज मंत्री एमबी राजेश का मानना है कि ये सर्वे केवल किशोर वर्ग, यानी 18 वर्ष से नीचे के व्यक्तियों पर किया गया था। अब सोचिए, जब किशोरों में ये हाल है तो फिर वयस्कों का क्या हाल होगा?
इस सर्वे में इन पदार्थों के दुष्परिणाम इस तरह पाए गए कि लगभग 62 प्रतिशत पीड़ित सूखे मुख, 52 प्रतिशत थकान, और लगभग 39 प्रतिशत नींद संबंधी समस्याओं से पीड़ित है। 37 प्रतिशत पीड़ित हिंसक प्रवृत्ति के पाए गए हैं, लगभग 9 प्रतिशत अवसाद से पीड़ित हैं और 8.6 प्रतिशत स्मरण शक्ति खोते हुए पाए गए हैं। इनमें से अधिकतम किशोर तो या तो इच्छुक होकर, नहीं तो अपने समकक्षों के दबाव में आकर ऐसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, और लगभग 35.6 पीड़ितों का मानना है कि गांजा का सेवन करके वे स्ट्रेस से मुक्त रहते हैं।
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रामभरोसे है केरल की व्यवस्था
एक्साइज़ मंत्री ने दावा किया है कि अगले सर्वे में एक लाख से अधिक लोगों को कवर किया जाएगा, परंतु क्या इसे केरल सरकार लागू भी कर पाएगी? कोविड के समय देश के सबसे साक्षर राज्यों में से एक केरल ने किस प्रकार स्वास्थ्य व्यवस्था का उपहास उड़ाया था, पूरे देश ने देखा है, और इसी राज्य से सबसे अधिक लोग आव्रजन के लिए तत्पर हैं, क्योंकि राज्य में इनके लायक तो कोई अवसर है ही नहीं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि केरल सरकार अब “चे नीति” पर राज्य को आगे बढ़ा रही है और वर्तमान सरकार के रहते ड्रग रोधी नीति एवं प्रशासन अब रामभरोसे हैं।
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