Nepal plane crash: बीते दिन भारत के पड़ोसी देश नेपाल में एक बड़ा हादसा हुआ, जहां नेपाल के पोखरा में यति एयरलाइंस का ATR-72 विमान दुर्घटना में 68 लोगों की मौत हो गई। इस विमान ने काठमांडू से पोखरा के लिए उड़ान भरी थी। खबरों के अनुसार, तकनीकी खराबी या मानवीय त्रुटि, गलत संचालन, पायलट की थकान के कारण ये बड़ी दुर्घटना हुई है लेकिन इस विमान हादसे (Nepal plane crash) के पीछे के वास्तविक कारणों की पुष्टि तो जांच के बाद ही संभव होगी।
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4 भारतीयों की मौत की पुष्टि
नेपाल उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, विमान में 68 यात्री और 4 क्रू मेंबर्स सवार थे। इसमें 5 भारतीय भी शामिल थे हालांकि 4 भारतीयों की मौत की पुष्टि हो गयी है। ये चारों यात्री उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले थे। ये विमान बीते दिन नेपाल के पोखरा में एयरपोर्ट पर उतरते समय पहाड़ी से टकराते हुए खाई में गिर गया।
सोशल मीडिया पर इस विमान क्रैश (Nepal plane crash) से कुछ समय पहले का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि असमान बिलकुल साफ था और मौसम भी ठीक था। ऐसे में अब प्रश्न है कि इस दुर्घटना (Nepal plane crash) का असल कारण क्या होगा? इस विमान क्रैश की वायरल वीडियो क्लिप के अनुसार, इस विमान का ऊपरी भाग थोड़ा ऊपर उठा और फिर उसके पंख बाईं ओर झुकने लगे। फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट Flightradar24 के अनुसार, यह विमान 15 साल पुराना एटीआर 72-500 है, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 9N-ANC और सीरियल नंबर 754 है। यह विमान अविश्वसनीय डेटा वाले पुराने ट्रांसपोंडर से भी लैस था।
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क्यों होती हैं नेपाल में ऐसी दुर्घटनाएं
क्या ये पहली बार है जब नेपाल में ऐसी कोई बड़ी हवाई दुर्घटना हुई है? हां, पिछले 10 साल में नेपाल में 20 से भी अधिक विमान दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। आइये जानते हैं इसके पीछे के कारण।
नेपाल में इस दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट स्थित है और दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में से 8 नेपाल में ही है, जिस कारण हवाई उड़ानों को कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये भी नेपाल में होने वाली हवाई दुर्घटना का एक मुख्य कारण हो सकता है।
इतना ही नहीं नेपाल में ही दुनिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट में से एक लुक्ला एयरपोर्ट भी है। इस एयरपोर्ट को सबसे खतरनाक एयरपोर्ट इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसके रनवे को पहाड़ों के बीच चट्टान काटकर निर्मित किया गया है, वहीं इसके एक ओर गहरी खाई भी है। जिस कारण यहां पर प्लेन को सुरक्षित उतरना बहुत कठिन काम है।
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वेदर रडार की कमी
यहां की भौगोलिक स्थिति भी विमान हादसों के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार हो सकती हैं। नेपाल में कई ऊंची-ऊंची और खतरनाक चोटियों के बीच संकरी घाटियां स्थित हैं। जिस कारण विमानों को मोड़ने में ठीक तरह की जगह नहीं मिल पाती है। इसी के साथ यहां कई पहाड़ी इलाके भी हैं। ठंड के मौसम में कई बार यहां घने कोहरे के चलते भी हवाई हादसों का खतरा बढ़ जाता है।
इन सभी कारणों के अलावा नेपाल में बढ़ते विमान हादसों (Nepal plane crash) की एक सबसे बड़ा कारण तकनीकी कमी भी है। विशेषकर रडार तकनीक का ठीक न होना है। नेपाल के कई पुराने विमानों में आधुनिक तकनीक वाले वेदर रडार की कमी है। जिसके कारण पायलट को मौसम की ठीक जानकारी नहीं मिल पाती है। अभी हाल ही में हुए हादसे में भी ऐसा ही कुछ होता प्रतीत हो रहा है, हालांकि घटना को लेकर जांच होना अभी बाकी है।
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