घर से बाहर निकलते समय बिल्ली ने रास्ता काट दिया, अब तो कुछ गड़बड़ होगी। अरे उल्टी चप्पल को सीधा करों नहीं तो किस्मत उल्ट जाएगी। दशकों से हम इस तरह की कई सारी बातें अपने बड़े-बुजुर्गों और लोगों से सुनते आ रहे हैं। इसी के साथ हम ये भी सुनते आ रहे हैं कि महाभारत ग्रंथ को घर में नहीं रखना चाहिए और न ही घर में इसका पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे घर में लड़ाई-झगड़े हो जाते हैं। परंतु क्या महाभारत ग्रंथ को लेकर बनाई गई यह धारणा सही है? क्या युद्ध की बातें केवल महाभारत में ही हैं? आज हम इसी पर चर्चा करेंगे।
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महाभारत को लेकर धारणा
कई दशकों से ये बात कही जाती रही है कि महाभारत को घर में नहीं रखा जाना चाहिए। इसके पीछे कई कारण बताएं जाते हैं जैसे इसे घर में रखने से लड़ाई हो जाती है और इसमें युद्ध की बात है। कहा ये भी जाता है कि महाभारत से जुड़ी किसी भी वस्तु को घर में रखने से अशुभ घटनाएं घटने लगती हैं।
परंतु क्या केवल महाभारत में ही युद्ध की बात हुई है? क्या अन्य किसी भी ग्रन्थ में युद्ध से सम्बंधित किसी भी बात का वर्णन नहीं है? ऐसा बिलकुल नहीं है। कई घरों में दुर्गा सप्तशती, रामायण, पुराण या अन्य ग्रंथ होते ही हैं और इन सभी में युद्ध का वर्णन मिलता है तो जब हम इन सभी ग्रंथो को घर में रख सकते हैं, तो महाभारत को क्यों नहीं?
इतना ही नहीं कुछ लोगों का तो ऐसा भी मानना है कि इसे घर में रखने से रिश्तों में नोंक-झोंक होती है, परिवार में दूरियां बढ़ती है। परंतु ऐसा तो रामायण में भी देखने को मिलता है। रामायण में दाम्पत्य जीवन को लेकर कितने सारे उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं लेकिन रामायण को घर में रखते समय तो हम ये नहीं सोचते कि इससे दाम्पत्य जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। अधिकतर घरों में ऐसे कई सारे उपन्यास मौजूद होते जहां रिश्तों को लेकर बहुत कुछ लिखा होगा, क्योंकि हर धर्मंग्रंथ रिश्तों और युद्ध को लेकर कुछ न कुछ बात तो करते ही हैं।
लोगों के बीच महाभारत ग्रंथ को लेकर धारणा यह भी बनी हुई है कि इसका पाठ घर में न करके मंदिर या फिर किसी खुले स्थान में करना चाहिए और साथ ही इसे पूरा न पढ़कर एक पृष्ठ को खाली छोड़ देना चाहिए। इन बातों के पीछे के कारण यह बताए जाते हैं कि जैसे रामायण में एक भाई दूसरे भाई के लिए सिंहासन छोड़ देता है। तो वहीं महाभारत में सिंहासन के लिए एक भाई, दूसरे भाई का शत्रु बन जाता है और उसके प्राण लेने का प्रयास करता है।
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महाभारत ग्रंथ को लेकर दुष्प्रचार
प्राचीनकाल में महाभारत ग्रंथ को लेकर इस प्रकार की धारणा नहीं थी। लेकिन मध्यकाल में यह धारणा लगभग सभी लोगों के बीच फैल गयी। यह एक तरह की अफवाह ही है जिसे सच के रूप में स्थापित कर दिया गया है। मध्यकाल में हिन्दुओं को उनके धर्मग्रंथों, भाषा और संस्कृति से दूर करने के लिए कई तरह के दुष्प्रचार फैलाए गए थे। उसमें से एक ये भी था, जोकि बिलकुल गलत है।
महाभारत ग्रंथ में वेद, पुराण, उपनिषद, भारतीय इतिहास और हिन्दुओं के संपूर्ण ग्रंथों का सार मिलता है। अत: इस ग्रंथ का घर में होना अति आवश्यक क्योंकि इसे पढ़ने और समझने से संपूर्ण ग्रंथों और इतिहास का ज्ञान प्राप्त होता है। महाभारत में न्याय, अन्याय, रिश्तों और जीवन से जुड़ी हर समस्याओं का वर्णन है। यह ग्रंथ व्यक्ति को बुद्धिमान और समझदार बनाता है। रामायण में जहां इस बात पर जोर दी जाती है कि आपको जीवन में क्या करना चाहिए तो वहीं महाभारत जीवन में क्या नहीं करना चाहिए ये सिखाती है।
फिर भी महाभारत को लेकर ये मिथ्या फैला हुआ है। महाभारत एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो संपूर्ण हिन्दू धर्म और उसके इतिहास का प्रतिनिधित्व करता आया है। इस ग्रन्थ में आपको धर्म, नीति, ज्ञान, तर्क, राजनीति, मोक्ष, विद्या और संपूर्ण कलाओं का ज्ञान प्राप्त होता है। महाभारत में श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान के साथ-साथ कई और ज्ञानों का समवेश मिलता है जैसे- धृतराष्ट्र-संजय संवाद, विदुर नीति, भीष्म नीति, यक्ष प्रश्न आदि। शायद कोई विधर्मी या मूर्ख ही होगा जो इस ग्रंथ को घर में न रखने की बात करेगा।
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