आपने कभी न कभी मोहल्ले में एक “बिट्टू की मम्मी” अवश्य देखी होंगी। ये ऐसे प्राणी होते हैं, जिनके खुद के घर में भले ही आग लग जाए, परंतु ये दूसरे के घर में तांक झांक न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता। यूनाइटेड स्टेटस ऑफ अमेरिका भी वैश्विक दृष्टिकोण से ऐसी ही “बिट्टू की मम्मी” है। चाहे खुद के यहाँ अर्थव्यवस्था को बचाने के लाले पड़े हो, परंतु दूसरे देशों पर अनुचित प्रभाव डालने की इनकी खुजली इतनी जल्दी नहीं जाने वाली।
इस लेख मे पढिये कि कैसे अमेरिका 2024 के लोकसभा चुनाव से बहुत पूर्व ही भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करने को आतुर है, और कैसे ये बेचैनी उसे बहुत भारी पड़ सकती है।
वो कहते हैं न, चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए। अमेरिका की वर्तमान गतिविधियों को देखते हुए यही लगता है : क्या करें, क्या करें इन लोगों का? नहीं समझे? विगत कुछ माह से अमेरिका को भारत के हाथों कई मोर्चों पर मुंह की खानी पड़ी है, परंतु अमेरिका में इतनी भी लज्जा नहीं कि अपने गलतियों से कुछ भी सीखने का प्रयास करें।
अमेरिकी दूतावास ने बनाया आरजे साएमा को अपना चेहरा
परंतु हुआ क्या? असल में कुछ दिन पूर्व भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक ट्वीट किया, जहां पर एक भारतीय हस्ती को प्रोत्साहित किया गया। इस हस्ती का नाम है साएमा रहमान, जो पेशे से एक रेडियो जॉकी है, और अमेरिका द्वारा प्रचारित #EmbraceEquity अभियान का भाग भी हैं। इन्हे रेडियो के श्रोता “पुरानी जींस” नामक प्रोग्राम के चलते खूब जानते हैं।
US Embassy द्वारा पोस्ट किये गए ट्वीट के अनुसार, “अपने दमदार स्वर से जेंडर संबंधित अनेक बाधाओं को लांघने वाली आरजे साएमा रेडियो प्रसारण में अग्रणी रही है। पेशे से रेडियो जॉकी और यूट्यूबर, आरजे साएमा अपने मंच के जरिए बदलाव को बल देती है, और विविधता की ध्वजवाहक भी हैं”।
Breaking gender barriers with her powerful voice and messages, RJ @_sayema🎙️ is a trailblazer in broadcasting who inspires us to #EmbraceEquity. A Radio Jockey and YouTuber, she often uses her platforms to amplify diverse voices and inspire change. #WomenHistoryMonth pic.twitter.com/Hd0ZddnEsC
— U.S. Embassy India (@USAndIndia) March 12, 2023
अच्छा है, अच्छा है, ये भ्रम भी ‘बहुत अच्छा है’!
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आरजे साएमा का वास्तविक रूप
परंतु आरजे साएमा के साथ समस्या क्या है, जो अधिकांश भारतीय यूज़र्स अमेरिका के इस निर्णय से इतना क्रोधित है? असल में आरजे साएमा की आवाज़ रेडियो पर जितनी मधुर और जीवटता से परिपूर्ण है, वास्तव में वह उतनी ही विषैली और घृणास्पद विचारों को बढ़ावा देने वाली एक्टिविस्ट हैं।
चाहे सनातन धर्म का उपहास उड़ाना हो, या कट्टरपंथियों को बढ़ावा देना हो, आप बोलते जाइए और आरजे साएमा ने वो सब किया है। विश्वास नहीं होता तो CAA विरोधी प्रदर्शनों के समय इनकी सक्रियता देखिए।
प्रत्यक्ष रूप से न सही तो अप्रत्यक्ष रूप से पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगे भड़काने में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका स्वरा भास्कर, संयुक्ता बसु, हर्ष मंदर जैसे लोगों की थी, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका आरजे सायमा की भी रही है! जब CAA लागू हुआ था, तो वामपंथियों ने ये अफवाह फैला दी थी कि ये अधिनियम मुसलमानों से उनकी नागरिकता छीन लेगा, जिसके विरोध में हजारों कट्टरपंथी एकत्रित हुए थे।
RJ Sayema along with other leftist was in regular touch with Khalid Saifi who was actively involved in anti CAA protests leading to Delhi Riots
This lady through her programs was instigating crowds to reach the protest sites even targeting Delhi Police #DelhiRiots https://t.co/UUgHxcQajT pic.twitter.com/8WQHvaOHaJ
— Naina 🇮🇳 (Modi ka Parivar) (@NaIna0806) March 13, 2023
उसी बीच जब कट्टरपंथी मुसलमानों ने दिल्ली में अराजकता फैलाने का प्रयास किया, तो दिल्ली पुलिस ने उनपर प्रतीकात्मक कार्रवाई भी की थी। जिसके विरोध में आरजे सायमा ने भड़काऊ ट्वीट्स किए थे, जिन्हें बाद में डिलीट भी करना पड़ा। एक ट्वीट में उन्होंने अधिक संख्या में CAA विरोधियों को दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव करने को कहा था, और दूसरे में उन्होंने पुलिस की प्रतीकात्मक कार्रवाई की तुलना कश्मीर में आतंकियों पर हो रही सेना की कारवाई से की थी, जो उसकी दृष्टि में ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार’ के समान है।
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अमेरिका की यह कैसी कूटनीति?
तो आखिर अमेरिकी दूतावास ने भारत में अपने अभियान के लिए ऐसे ही व्यक्ति को क्यों चुना? इसके पीछे दो स्पष्ट कारण है। प्रथम तो ये कि 2 वर्ष तक भारत में अमेरिका ने अपना राजदूत नहीं नियुक्त किया था। ये क्यों और किसलिए हुआ, ये आज भी शोध का विषय है। परंतु 2023 में जाकर अमेरिका ने Eric Garcetti नामक व्यक्ति को भारत में अपने राजदूत के रूप में नियुक्त किया।
परंतु इनके नियुक्त होते ही जिस तरह के ट्वीट आ रहे हैं, और जिस प्रकार के लोगों से अमेरिका भारत में अपना प्रचार करा रहा है, उससे इतना तो स्पष्ट होता है कि ये कोई संयोग नहीं है, अपितु एक सोचा समझा प्रयोग है, जिसका एक ही उद्देश्य है, 2024 के लोकसभा चुनाव को प्रभावित करना।
वो कैसे? स्मरण है जॉर्ज सोरोस का वो म्यूनिख वाला व्याख्यान, जहां उसने पीएम मोदी को ‘आड़े हाथ’ लेते हुए कहा था कि इनकी पराजय में ही ‘भारतीय लोकतंत्र की विजय है’? अब ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान अमेरिकी प्रशासन सोरोस के इन्ही विचारों का अक्षरश: पालन कर रहा है, ताकि कैसे भी करके 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को येन केन प्रकारेण अपदस्थ किया जा सके। अमेरिका के वित्तीय संस्थानों को उसी की नीतियों से कितना नुकसान हो रहा है, इससे कोई मतलब नहीं, परंतु जिस प्रकार अमेरिका भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है, ये अति उत्साह उसे बहुत भारी भी पड़ सकता है।
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