The Keral Story: इन दिनों भारतीय फिल्मों में “फाइल्स” श्रेणी की फिल्में बनने की होड़ सी मच गई। अभिषेक अग्रवाल द्वारा पोषित एवं विवेक अग्निहोत्री द्वारा कृत “द कश्मीर फाइल्स” ब्लॉकबस्टर क्या हुई, सबने भारतीय राज्यों का अनकहा सच निकालने में होड़ से लगा दी। विवेक अग्निहोत्री स्वयं इस रेस में दो कदम आगे हैं, क्योंकि वे “वैक्सीन वॉर” से लेकर “दिल्ली फाइल्स” जैसे कई प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रहे हैं। वही बंगाली फिल्मकार सुदीप्तो सेन ने “The Keral Story” के झलकी मात्र से ही तहलका मचा दिया है।
परंतु The Keral Story कथा यहीं खत्म नहीं होती है। इस लेख में पढिये The Keral Story के अलावा उन 5 क्षेत्रों के बारे में, जहां के वास्तविक सत्य से सभी को परिचित होना चाहिए।
1) बंगाल फाइल्स:
यूं तो इस श्रेणी पर फिल्म नहीं वेब सीरीज़ बननी चाहिए, परंतु अगर फिल्मों की एक शृंखला इस विषय पर निकाली जाए, तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होंगी। कभी भारत के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक बंगाल में 1946 के बाद से क्या त्राहिमाम मचा हुआ है, इसपे प्रकाश डालना अवश्यंभावी है।
ऐसा इसलिए क्योंकि बंगाल ने एक समय भारतीय संस्कृति के गौरव को एक अलग स्तर पर पहुंचाया था। यहाँ से मानव नहीं, वीर निकलते थे, जिन्होंने हरसंभव क्षेत्र में क्रांति लाई। परंतु चाहे कम्युनिस्ट प्रशासन, या फिर ममता बनर्जी का प्रशासन, जिनके नेतृत्व में घुसपैठियों को उत्पात मचाने की पूर्ण स्वतंत्रता मिली थी, वो सभी ऐसी कथाएँ हैं, जिसके किसी भी अंश को छोड़ा नहीं जा सकता।
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2) पंजाब फाइल्स:
इनका भी हाल बंगाल जैसा ही है, एक कथा ढूंढो, हज़ार मिलेंगे। कभी इस क्षेत्र से ओलंपिक पदकधारी से लेकर क्रांतिकारी निकलते थे। परंतु भिंडरावाले का जब उदय हुआ, तो उसके बाद पंजाब में कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा।
“उड़ता पंजाब” में पंजाब का सच दिखाने का दावा किया गया था, परंतु वह निस्स्वार्थ भाव से किया गया निश्छल प्रयास नहीं था। नेटफ्लिक्स पे प्रदर्शित “CAT” ने अवश्य पंजाब में बिगड़ते हालत पर प्रकाश डालने का प्रयास किया था, परंतु वह काल्पनिक कथा अधिक थी।
“पंजाब फाइल्स” से वो समय दिखाया जा सकता है, जब पंजाब के समृद्ध भूमि पर खालिस्तान का विष बोया जाने लगा, और कैसे भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादियों ने पंजाब को कश्मीर समान नर्क बना दिया था, जहां हिंदुओं को चुनचुनकर गोलियों से भूना जाने लगा था।
3) गुजरात फाइल्स:
अब इतने वर्षों से खान मार्केट बिरादरी गुजरात का सच, गुजरात का सच जप रही है, तो कर्तव्य भी बनता है कि गुजरात का सच दिखाया जाए। परंतु यहाँ पर वो “सच” नहीं दिखाया जाएगा जो ये चाहते हैं, यहाँ तो उन तथ्यों पर प्रकाश डालना चाहिए, जो वास्तविक सत्य है, और जिनसे कोई नहीं भाग सकता।
“गुजरात फाइल्स” में हम गोधरा में ट्रेन जलाने, उसके बाद हिंदुओं पर हमलों के बारे में प्रकाश डाल सकते हैं, जिनसे आज भी वामपंथी कन्नी काटते हैं। इसके बाद उन लोगों पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए, जिन्होंने वास्तविक दंगाइयों का न केवल साथ दिया, अपितु “अल्पसंख्यकों के न्याय” के नाम पर गुजरात प्रशासन से लेकर गुजरात की जनता को एक दशक से भी अधिक समय तक बदनाम किया।
अगर कोई बहुत ही अधिक वीर हो, तो वह इशरत जहां के एनकाउन्टर को भी केंद्र में रखते हुए उन गीदड़ों और गिद्धों की पोल खोल सकते हैं, जिन्होंने एक मृत लड़की को अपने सफलता की सीधी बनाने में कोई लज्जा नहीं दिखाई।
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4) गोवा फाइल्स:
अगर इस प्रकरण पे भी कभी फिल्म बनती है, तो न केवल पुर्तगाल कभी सीधे मुंह भारत से बात नहीं कर पाएगा, अपितु कांग्रेस की भी पोल खुल जाएगी। जब से पुर्तगालियों ने गोवा पर नियंत्रण स्थापित किया, तब से लेकर 1961 तक भारतीयों ने जितने भी अत्याचार सहे हैं, उन सबका कच्चा चिट्ठा खुल सकता है।
“गोवा फाइल्स” में ये भी पता चलेगा कि कैसे भारत की स्वतंत्रता के 14 वर्ष बाद भी गोवा की स्वतंत्रता पर किसी ने ध्यान नहीं जाएगा, और जब बात आत्मसम्मान पे आ गई, तब जाकर 1961 में गोवा को स्वतंत्र कराने हेतु सैन्य अभियान चलाया गया। परंतु इसमें भी कांग्रेस ने भरपूर क्रेडिट लूटने का प्रयास किया, और वायुसेना अधिकारी ऋषिकेश मूलगांवकर एवं सैन्य कमांडर सगत सिंह राठौड़ को उनका उचित सम्मान तक नहीं दिया गया।
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5) नॉर्थ ईस्ट फाइल्स :
एक ऐसा भी क्षेत्र है, जिसका हमारे इतिहास में हर मायने में बहुत महत्व है, परंतु उसे भाव तक नहीं दिया गया : भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र। इसे भारत से अलग करने के बहुत प्रयास किये गए, और यहाँ उग्रवाद एवं ईसाई मिशनरी, दोनों एक साथ बढ़ें। अब इस कनेक्शन को लाइमलाइट में लाना तो बनता है, नहीं?
इन सभी विषयों पर ऐसी फिल्में बन सकती है, जो दर्शकों को भारत के इतिहास के अनछुए पहलुओं से भी परिचित कराएगी, और अविश्वसनीय प्रसिद्धि देगी वो अलग।
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