होली आने वाली है। होली, मतलब रंग-गुलाल का त्योहार। अब चूंकि त्योहार हिन्दुओं का है, इसीलिए इस पर हंगामा मचाया जाना और इसके प्रति घृणा फैलाई जानी तो स्वाभाविक है। ऐसा करने वाले वामपंथी होते हैं, जिनका साथ कट्टर इस्लामी लोग बखूबी देते हैं। हिन्दू त्योहारों के खिलाफ प्रोपेगेंडा में मीडिया, बुद्धिजीवी और सेलेब्रिटीज का एक पूरा का पूरा गठबंधन शामिल रहता है।
होली को लेकर समय-समय पर दिया जाता रहा है ज्ञान
ये कोई नई बात भी नहीं है। होली को लेकर पहले भी ज्ञान दिया जाता रहा है। जैसे, होली आते ही सब ‘वॉटर एक्टिविस्ट’ बन जाते हैं और पानी बचाने की बातें करने लगते हैं। ऐसे सेलेब्रिटी जो अपने घर में स्विमिंग पूल में नहा-नहा कर रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद करते हैं, वो भी होली पर पानी बचाने का ज्ञान देते नजर आते हैं। कभी ‘सूखी होली’ खेलने को कहा जाता है तो कभी केवल फूलों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
क्या ईद पर किसी ने आजतक कुछ बोला?
अब जरा सोचिए। क्या ईद पर लोगों को यह सलाह दी जाती है क्या की बकरा न काटें, क्योंकि जीव-जंतुओं की हत्या करना ठीक नहीं है? क्या ऐसी सलाह दी जाती हैं कि जानवरों के खून को सड़क पर न बहाया जाए और बचे हुए मांस के टुकड़ों को सड़क पर न फेंका जाए? इस्लामी मुल्कों में सड़क पर खून की नदियां बहती दिखती हैं। क्या आपने कभी इस पर किसी को कुछ बोलते सुना है जो हिंदुओं के त्यौहारों पर बोलते हैं?
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क्या क्रिसमस पर किसी ने आजतक कुछ बोला?
इसी तरह क्रिसमस और ईसाई नववर्ष के मौके पर कभी ये ज्ञान नहीं दिया जाता कि पटाखे न जलाएं। दीवाली खत्म होते ही इस तरह का ज्ञान देने की तारीख एक्सपायर हो जाती है। क्रिसमस पर कभी आर्टिफिसियल पेड़ों को घर पर न लाने की सलाह नहीं दी जाती। कभी ये नहीं कहा जाता कि पार्टियों में पानी और भोजन बर्बाद न करें। उलटा और खुल कर जश्न मनाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि सारे पर्यावरण का ठेका हिन्दुओं ने ही ले रखा है जो प्रकृति की पूजा करते हैं।
ज्ञान देने वाले हिंदुओं से करते हैं नफरत
होली पर पानी बचाओ और दीपावली पर पटाखे मत जलाओ जैसा ज्ञान देने वाले वास्तव में हिन्दुओं के कट्टर विरोधी और निर्लज्ज मानसिकता के लोग हैं, क्योंकि ऐसे लोग बड़ी ही बेशर्मी से केवल हिन्दुओं को टार्गेट करने और दूरगामी सोच के तहत ऐसा बोलते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियां होली, दीपावली को भूलती जाएं, और धर्मांतरण सहित अन्य प्रपंच किया जा सकें।
खुलकर मनाएं अपने त्योहार
इसलिए त्योहार हमेशा से वैसे ही मनाए जाने चाहिए जैसा हमारे शास्त्रों में वर्णित है और जैसे हमारे पूर्वज पूरे उत्साह के साथ मनाते रहे हैं। हिन्दू त्योहारों में न तो हिंसा के लिए कोई जगह है और न ही किसी और को नुकसान पहुँचाया जाता है। उत्सव के दौरान सब जश्न में डूबे रहते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं और ईश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं। इसमें लिबरल गिरोह के ज्ञान के लिए कोई जगह नहीं है। गया की ज़रूरत जिन्हें है, उन्हें देने में इनकी हालत पस्त हो जाती है क्योंकि वो ‘सिर तन से जुदा’ कर देते हैं।
इसीलिए, खूब अच्छे से होली मनाइए। रंग लगाइए एक-दूसरे को। पानी में रंग घोल कर एक-दूसरे पर उड़ेलिए। हाँ, बस हमें ऐसे रंगों का प्रयोग नहीं करना है जिससे हमारा नुकसान हो जाए। ब्रज में फूलों की होली खेलिए, काशी में चिताभस्म की होली खेलिए और मोहल्ले में अबीर-गुलाल सबका प्रयोग कर के होली खेलिए। पकवान खाइए, पूजा-पाठ कीजिए और ज्ञान देने वाले को दिखा-दिखा कर ये सब कीजिए। ये दोगले लोग अपनी हरकतों से हटने वाले नहीं, इनकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए। अपने त्यौहार खूब धड़ल्ले से मनाने चाहिएं।