ध्रुव राठी ने कह दिया है। लव जिहाद जैसा कुछ नहीं होता है। यह बस एक क्राइम है। मुस्लिम लड़के ने अपनी हिंदू गर्लफ्रेंड को मार दिया, यह सामान्य अपराध है राठी के लिए। इतना सामान्य जितना किसी हिंदू लड़के द्वारा मुस्लिम लड़की को मारना। इसके लिए वो एक वीडियो बनाता है और उदाहरण देता है श्रद्धा वालकर केस का। ऐसा केस जिसकी जांच में अभी तक लव जिहाद पाया ही नहीं गया।
खुद ही मुद्दा उठाओ, खुद ही उदाहरण कुछ और दो? यह कला ध्रुव राठियों ने कहां से सीखी? क्यों करते हैं ये लोग ऐसा? सीधा सा जवाब है, एक षड्यंत्र के तहत मुद्दे के वजूद को खत्म कर देना ही वामपंथियों-इस्लामियों का सबसे बड़ा हथियार रहा है। ध्रुव राठी नया नहीं है। न ही अकेला। और न ही यह आखिरी होगा।
पहले मुगलों का महिमामंडन पाठ्य-पुस्तकों में किया जाता था, उनके अत्याचारों को इतिहास में दबा दिया गया। अब कोई रवीश या ध्रुव राठी वीडियो बना कर यूट्यूब इतिहास दर्ज कर रहा है। अपने लेटेस्ट वीडियो में ध्रुव राठी ने मुद्दा उठाया लव जिहाद का, ताकि इसे खारिज कर दिया जाए। देखने वालों को बता दिया जाए कि यह सिर्फ एक शब्दिक टर्म है। और तो और, समाज में जो भी शख्स इस 2 शब्दों को मानता है, डरता है, जागरूक रहता है, उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
असल मायने में लव जिहाद की हकीकत क्या है देश में? हकीकत यह है कि लव जिहाद के हजारों केस हो चुके हैं सिर्फ भारत में। सैकड़ों बहन-बेटियों को मार डाला गया है। न जाने और कितने ऐसे मामले होंगे, जो मीडिया तक आ ही नहीं पाए होंगे। कुछ पीड़िताओं ने हिम्मत की भी होगी तो मीडिया ने छापे नहीं होंगे। न जाने कितनी पीड़िताएं डर और शर्म के मारे पुलिस तक भी नहीं पहुंची होंगी।
आंकड़े लेकिन किनके लिए? सच को सामने लाना अगर मंशा हो तो आंकड़े सामने हैं, मेहनत करने पर निकल आते हैं। अगर मकसद प्रपंच फैलाना है तो फिर आंकड़े चाहिए ही क्यों? ध्रुव राठी ने बिल्कुल वही किया, जो उसे करना था। लव जिहाद के होने और उसके पीछे छिपे षड्यंत्र को नकारने के लिए ध्रुव राठी को श्रद्धा वालकर का ही केस मिला, जो अभी तक की जांच में लव जिहाद पाया ही नहीं गया।
ध्रुव राठी के लिए अपराधी की मंशा मतलब फर्जी बात
श्रद्धा वालकर और उसके हत्यारोपित आफताब पूनावाला के अलावा कुछ और भी नाम गिनाए ध्रुव राठी ने। इस वीडियो में जितने भी ऐसे अपराध और पीड़िता-आरोपितों का नाम लिया गया, पहले देखते हैं उन नामों को: श्रद्धा-आफताब | नेहा-फयाज | साक्षी-साहिल खान | निकिता-तौसीफ | अरशद-प्रभा | अंकिता-शाहरुख | रितिका-सैयद | मानसी-मुज्जमिल
इतने सारे नाम लेकर वीडियो बना देता तो प्रपंच कैसे रच पाता? इसलिए जैसे ही ये नाम खत्म होते हैं, ध्रुव राठी नामों व अपराधों की दूसरी लिस्ट पढ़ना शुरू कर देता है। पढ़ा जाए इन्हें भी: अंजन दास-पूनम | साहिल गहलोत-निक्की यादव | अमन कुमार-सोनम परवीन | अंशु-नाइमा उर्फ ईशा | सतीश कुमार-गुलनाज खातून | रामानुज साहू-रेखा | प्रवीण-आयनाज | विपुल टेलर-रुखसार उर्फ रिया | प्रदीप-रुखसाना
मुस्लिम लड़के-हिंदू लड़की और हिंदू लड़के-हिंदू+मुस्लिम लड़की का उदाहरण देकर ध्रुव राठी ज्ञान देता है कि सभी हिंदुओं को हत्यारा नहीं कहा जा सकता है, ठीक वैसे ही सभी मुस्लिमों को भी नहीं कहना चाहिए। बिल्कुल सही कहा उसने, लेकिन यहीं वो अपने तर्क में फंस भी जाता है। कैसे?
हिंदुओं के अपराध गिनाते समय वो एक भी ऐसा अपराध नहीं दिखा पाया जहां आरोपित ने अपना नाम बदल कर अलग मजहब वाली लड़की को फंसाया हो। ना ही ऐसा उदाहरण दे पाया जहां किसी मुस्लिम लड़की को शादी के बाद जबरन मंदिर ले जाया गया या ससुर-देवर के साथ सोने पर मजबूर किया गया। गौमूत्र पिलाया गया। जबकि उसके ही दिए अपराधों की लिस्ट में हिंदू लड़की को प्यार में फंसाने के लिए फर्जी हिंदू नाम रख कर जबरन निकाह से लेकर रेप और गौमांस खिलाने तक की खबरें शामिल हैं।
क्या ध्रुव राठी इतने तक पर रुक जाता है? बिल्कुल नहीं। उसने लव जिहाद के प्रचार-प्रसार के लिए हिंदुओं को ही दोषी भी ठहरा दिया। क्योंकि उसके अनुसार ऐसा कुछ हो ही नहीं रहा है समाज में। वो अगर ढंग से मेहनत करता तो एक खबर खोज लेता हिंदू लड़के-मुस्लिम लड़की वाला। फिर ‘रिवर्स लव जिहाद’ पर सबूतों के साथ वो वीडियो बना लेता। तब वो हिंदुओं को और भी ज्यादा शर्मसार कर पाने में सफल होता। आखिर वो क्यों नहीं खोज पाया ‘रिवर्स लव जिहाद’ वाली खबर? और क्या है वो खबर?
‘रिवर्स लव जिहाद’ क्यों नहीं खोज पाया ध्रुव राठी?
खबर है 1 अप्रैल 2024 की। राहुल राज नाम का एक मजदूर अपनी दिहाड़ी से परेशान था। वो अब्दुल के यहां काम करता था। अब्दुल की बेटी थी शबाना। घिस-घिस कर कम मजदूरी पाने के बजाय डायरेक्ट मालिक बनने के लिए राहुल राज ने एक षड्यंत्र रचा। शबाना को अपना नाम शाहरुख बताया। वो हर दिन मस्जिद जाकर 5 बार नमाज फिर पढ़ता था। पक्का मुस्लिम दिखने के लिए दाढ़ी भी बढ़ा ली थी। शबाना गिरफ्त में आ गई। मजहबी शाहरुख को उसने अपना शौहर मान लिया। जब ससुराल आई तो हकीकत पता चली। या अल्लाह या अल्लाह चिल्लाने लगी। लेकिन तब तक राहुल राज गौमूत्र लेकर तैयार था। पटक के शबाना को गौमूत्र पिला दिया। अब शबाना शांति बन गई है।
अगर आपको लगता है कि ऊपर लिखी खबर झूठी है, तो आप सही हैं। पीत पत्रकारिता ऐसे ही की जाती है। ठीक वैसे ही, जैसे ध्रुव राठी ने मंदिर या गाय के साथ अपराध की 4-5 खबरें दिखा, हिंदुओं को आरोपित दिखा आपको दिग्भ्रमित किया, ऊपर की खबर भी उसी स्टाइल में लिखी गई है।
1 अप्रैल का डेट देकर आपको मूर्ख बनाया गया है। लेकिन क्यों? क्योंकि आप समझें कि खबरों के अंदर का पक्ष दबा कर या उभार कर मीडिया ऐसे ही खेल खेलता है। फर्जी खबरें गढ़ी जाती हैं। भ्रमित करने वाली थम्बनेल बना कर उलझाया जाता है आपको। वामी-इस्लामी यूट्यूबर इसी मीडिया की अगली कड़ी हैं, सही मायने में ज्यादा खतरनाक हैं।
घटना जो कभी हुई नहीं, वो खबर बना दी जाती है। टुकड़े-टुकड़े उठा कर, उसे जोड़ कर वीडियो बना दिया जाता है। 10 मिलियन मतलब 1 करोड़ लोग उसे देख भी लेते हैं। वामी-इस्लामी मानसिकता के लोग फिर उस पर चर्चा भी करने लगते हैं।
नतीजा क्या होता है- जिस इंदिरा के साथ सच में कोई अब्दुल नाम बदल अमन बन कर प्यार का ढोंग रचता है, वो किसी नाले में कटी मिलती है। लव जिहाद जिसे हाई कोर्ट तक ने एक हकीकत माना है, जिससे ईसाई समुदाय भी परेशान है, उस षड्यंत्र को छिपा लिया जाता है, चर्चा में पीछे धकेल दिया जाता है।
इसका नतीजा क्या होता है-फिर कोई नाबालिग लड़की अपने अब्दुल से पिटती रहती है लेकिन जब कोई उसे बचाने जाता है तो उलटे कहती है-हां मारेगा ये मुझे, कोई लव-सव-जिहाद नहीं होता है, सब झूठ है।
श्रद्धा की हत्या में मजहब का एंगल क्यों?
जिस श्रद्धा वालकर हत्याकांड का उदाहरण देकर ध्रुव राठी ने प्रपंच से भरा वीडियो बनाया, आखिर क्यों सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोगों ने इस हत्या में मजहब का एंगल खोजा? बावजूद इसके कि अभी तक की जांच में ऐसा कोई एंगल सामने आया नहीं है। आखिर क्यों? क्या ऐसा करने या सोचने वाले सब के सब पागल हैं?
नहीं। लोग मजबूर हैं। डरे रहते हैं। ऐसी खबरों को देख कर अपनी बहन-बेटियों का ख्याल उनके दिमाग में आता है। हर 2-4 दिन पर ऐसी खबरों को पढ़ने-सुनने-देखने वाले हिंदुओं के डर को कट्टरता या धर्मांधता का नाम देना मूर्खता होगी। लेकिन इसी मूर्खता की सीढ़ी का प्रयोग कर वीडियो बनाने और उसे अपने अंधभक्तों के बीच वायरल करने का नाम ध्रुव राठी है।
वीडियो बनाते समय ध्रुव राठी ने जिस चालाकी से श्रद्धा वालकर हत्याकांड को मजहब से दूर रखा, उसे सामान्य अपराध बता दिया, उतनी ही धूर्तता से उसने यह बात छिपा ली कि श्रद्धा के पिताजी ने ऑन-रिकॉर्ड यह कहा था कि उन्हें अपनी बेटी की हत्या में ‘लव जिहाद’ का संदेह है।
श्रद्धा अपना पक्ष रखने के लिए अब इस दुनिया में नहीं है। आफताब पूनावाला ने क्या कभी उसके साथ मजहबी ज्यादती की थी, यह बात अब शायद ही सार्वजनिक हो पाए। लेकिन हिंदुओं ने आफताब में मजहबी चेहरा देखा क्योंकि उनके लिए यह पहली घटना नहीं थी। 2 साल में 306 मामले पढ़ चुके लोगों के मन में छवि बनती है और बननी भी चाहिए।
इसके उलट नाम छुपा कर दूसरे मजहब की लड़कियों को प्रेम जाल में फँसाने का एक भी उदाहरण आज तक नहीं आया है, वरना ध्रुव राठी का ‘रिवर्स लव जिहाद’ वीडियो अब तक बन चुका होता, इससे ज्यादा वायरल होता।
ध्रुव राठी मतलब दुनिया का सबसे बड़ा अंधभक्त
दूसरों पर ऊंगली उठाने वाला ध्रुव राठी, अपनी बातों से परे बात करने वाले को अंधभक्त कहने वाला ध्रुव राठी ही सबसे बड़ा अंधभक्त है। यह आरोप नहीं है बल्कि उसने खुद को साबित किया है। पॉइंट-वाइज समझते हैं इसे, सहूलियत होगी।
- 5 जुलाई 2019 को ध्रुव राठी ने एक वीडियो अपलोड किया था। Article 15 – Reality of Casteism | Analysis by Dhruv Rathee – ये उस वीडियो का टाइटल है। पूरे वीडियो में 2-4 खबरें दिखाई जाती हैं। दलितों के हाथ का छुआ खाना-पानी से परहेज वाली इन खबरों के दम पर ध्रुव राठी यह निष्कर्ष निकाल लेता है कि पूरे का पूरा भारत और यहां का समाज जातिवादी है।
- 26 जुलाई 2018 को Cow Urine Magic! | Hidden Secret in Gaumutra Explained by Dhruv Rathee नाम से एक वीडियो अपलोड हुआ है। इसमें यह गौमूत्र पर वीडियो बनाता है। व्यंग्य की भाषा में दर्शकों को गौमूत्र की जगह अपना मूत्र पीने की सलाह देता है। उसके पीछे का रासायनिक कारण (10-12वीं तक केमिस्ट्री की पढ़ाई करने वाला कोई भी बता देगा) भी बताता है। आखिर है कौन ध्रुव राठी? वैज्ञानिक है या डॉक्टर या गौमूत्र पर कोई रिसर्च पेपर आया है इसका?
- 29 जून 2028 वाला वीडियो तो अल्टीमेट है। Is India World’s Most Dangerous Country for Women? | Analysis by Dhruv Rathee नाम के इस वीडियो में महिलाओं के लिए भारत को सबसे खतरनाक देश घोषित कर दिया जाता है। किस आधार पर? कोई सर्वे हुआ? नहीं। तो किसने तय किया? बड़े-बड़े लोगों ने कहा, इसलिए खतरनाक है तो है।
अब वापस आते हैं शुरुआती सवाल पर। अगर 2-4 हिंदू या मुस्लिम अपराधियों के कारण सभी हिंदुओं या मुस्लिमों को अपराधी नहीं कहने का तर्क ध्रुव राठी लव जिहाद को नकारने में गढ़ता है तो वही तर्क दलितों के साथ छुआछूत पर गायब क्यों हो जाता है?
गौमूत्र का प्रयोग हिंदू घृणा के लिए जिस संदर्भ में आतंकी तक करते हैं, उसी भाषा में अपने मूत्र से उसकी तुलना करना क्या कहलाएगा? देश में रहने वाली लगभग 70 करोड़ महिलाओं में से एक से भी बिना पूछे भारत को सबसे खतरनाक देश घोषित करना किसके गोद में बैठ कर अंधभक्ति करना कहलाएगा?
जिस दिन ध्रुव राठी ने लव जिहाद को खारिज करता वीडियो बनाया, उसके 72 घंटे के भीतर ही 3 लव जिहाद की खबरें मीडिया में आ चुकी हैं। तो क्या जिस दिन तक लव जिहाद की आंच हर हिंदू के घर तक नहीं पहुंचे, उस दिन तक ध्रुव राठी के अनुसार इस भयावह सच्चाई से आंखें फेर ली जाए? लव जिहाद की शिकार बहन-बेटियों के दुखों को खारिज करना किस मजहब या इको-सिस्टम की अंधभक्ति करना है, इसका जवाब कोई रॉकेट साइंस नहीं है, सबको पता है। सबको पता है कि ध्रुव राठी किसकी गोद में बैठा है।
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