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तिरुपति: आस्था और धर्म की ‘घोषणा’ में घालमेल, जगन रेड्डी इन सवालों के जवाब दें

जगन रेड्डी 2019 से 2024 के बीच आंध्र प्रदेश के सीएम रहे। वर्तमान सीएम चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया है कि जगन के कार्यकाल में तिरुपति प्रसादम में एनमिल फैट की मिलावट की गई। उन्होंने गुजरात की एनडीडीबी लैब रिपोर्ट का हवाला दिया है।

Sudhakar Singh द्वारा Sudhakar Singh
28 September 2024
in मत, राजनीति
तिरुपति: आस्था और धर्म की ‘घोषणा’ में घालमेल, जगन रेड्डी इन सवालों के जवाब दें

जगन मोहन रेड्डी (सौजन्य: साक्षी डॉट कॉम)

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तिरुमला की वेंकटाद्री पहाड़ी पर स्थित हैं भगवान वेंकटेश्वर। लाखों-करोड़ों सनातनी दर्शन करने से पहले उनको अपना केश अर्पित करते हैं। अटूट आस्था की ऐसी ही बहुत सी परंपराएं हैं, जिनका भगवान वेंकटेश्वर के भक्त सदियों से पालन करते आ रहे हैं। लेकिन आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी को दर्शन से पहले परंपराओं और नियमों को मानने में समस्या है। जगन मोहन रेड्डी कहते हैं कि सभी धर्मों में उनकी समान आस्था है, लेकिन वह चारदीवारी के अंदर एक धर्म की ही किताब पढ़ते हैं। जगन रेड्डी ने ऐलान किया था कि 27 सितंबर को तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर के सामने क्षमा अनुष्ठान करेंगे। अब वह कह रहे हैं कि उन्हें तिरुमला जाने से रोका जा रहा है। तिरुपति के लड्डू विवाद पर घिरे वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन रेड्डी को इन सवालों के जवाब देने चाहिए।

पहला सवाल- चारदीवारी के अंदर आप बाइबिल पढ़ते हैं, फिर धर्म बताने में दिक्कत क्यों है?  

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जगन रेड्डी ने कहा है कि घर की चारदीवारी के भीतर वह बाइबिल पढ़ते हैं लेकिन हिंदू, इस्लाम और सिख धर्म का सम्मान करते हैं। सवाल इस बात का है कि जब आप खुद मान रहे हैं कि ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल ही आपके लिए सर्वश्रेष्ठ है, फिर आपको अपना धर्म बताने में समस्या क्या है?

दूसरा सवाल- तिरुपति जाने से किसने रोका, नोटिस सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं जगन रेड्डी?

जगन रेड्डी ने तिरुपति जाने से रोकने की बात की है। रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री के समकक्ष व्यक्ति को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं है, फिर दलितों के साथ कैसे व्यवहार किया जाता होगा? इस पर आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि जगन झूठ फैला रहे हैं। रेड्डी को मंदिर में प्रवेश से रोकने के लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया है। नायडू ने ठीक ही सवाल पूछा है कि क्या किसी ने आपको मंदिर जाने से रोका है और अगर नोटिस मिला है तो मीडिया को क्यों नहीं दिखा रहे हैं? दूसरा इसमें दलितों के साथ व्यवहार की बात कहां से आ गई। आज किन-किन मंदिरों में दलित समुदाय के लोग नहीं प्रवेश पा सकते हैं, इसके बारे में कोई आंकड़ा आपके पास है?

तीसरा सवाल- इससे पहले भी आपने बिना फेथ फॉर्म भरे तिरुपति मंदिर में प्रवेश क्यों किया था?

तिरुपति मंदिर में एक नियम है कि कोई गैर हिंदू अगर दर्शन के लिए आता है, तो उसे एक डिक्लेरेशन फॉर्म (घोषणापत्र) भरना होता है।  इस फॉर्म पर उस शख्स को अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। आंध्र प्रदेश राजस्व बंदोबस्ती-1 के नियम-16 के तहत गैर हिंदुओं को मंदिर में दर्शन से पहले वैकुंठम परिसर में घोषणा करनी होती है। इसमें लिखा होता है कि दर्शन करने वाले का भगवान वेंकटेश्वर पर विश्वास है। टीटीडी जनरल रेगुलेशन रूल्स-136 के मुताबिक यह जरूरी है। इसे फेथ फॉर्म भी कहा जाता है। लेकिन जगन मोहन रेड्डी एक नहीं कई बार इस फॉर्म को भरे बिना दर्शन के लिए जा चुके हैं। मई 2012 (कडप्पा सांसद रहते), सितंबर 2019 (सीएम बनने के बाद), सितंबर 2020 (ब्रह्मोत्सव) और सितंबर 2022 (कोरोना काल) में जगन तिरुपति मंदिर गए लेकिन उन्होंने कभी इस घोषणापत्र पर दस्तखत नहीं किए। इस बार मंदिर जाने से पीछे हटने के पीछे घोषणापत्र तो वजह नहीं है?

We are given to understand that Jagan Mohan Reddy intends to visit Tirumala on the 28th of this month. The practice of declaring one's faith has been in vogue for decades in Tirumala. As per G.O. MS NO- 311 of AP Revenue Endowments–1, Rule no 16, Non Hindus must give a… pic.twitter.com/MKwafeXsDe

— Daggubati Purandeswari 🇮🇳 (@PurandeswariBJP) September 25, 2024

चौथा सवाल- किसी पूजास्थल की परंपरा का पालन न करके आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

एक पूर्व सीएम और जनप्रतिनिधि होने की वजह से आप सार्वजनिक जीवन से जुड़े हैं। ऐसे लोगों को परंपरा का पालन करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हर धर्म की कुछ मान्यताएं और परंपराएं होती हैं। उन परंपराओं का आप सम्मान अगर नहीं कर सकते हैं, तो दिखावे के लिए यह कहने की क्या जरूरत है कि मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। ऐसा करके आप करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंचाते हैं। आखिर भगवान वेंकटेश्वर मंदिर की परंपरा से परहेज करके आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

पांचवां सवाल- जब एपीजे अब्दुल कलाम आस्था का फॉर्म भर सकते हैं तो आप क्यों नहीं?

एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति थे। वह भी तिरुमला के वेंकटेश्वर मंदिर दर्शन के लिए गए थे। दर्शन से पहले कलाम साहब ने डिक्लेरेशन वाला फॉर्म भरा था। सवाल इस बात का है कि जब देश की सर्वोच्च संवैधानिक कुर्सी पर बैठने वाले कलाम साहब ने करोड़ों श्रद्धालुओं की मान्यता का ध्यान रखते हुए इस नियम का पालन किया, फिर आप क्यों नहीं यह फॉर्म भरकर अपने दस्तखत करना चाहते हैं?

छठा सवाल- आपने एक ईसाई धर्म को मानने वाले को टीटीडी ट्रस्ट का अध्यक्ष क्यों बनाया?

10 अगस्त 2023 को भुमना करुणाकर रेड्डी ने टीटीडी ट्रस्ट के अध्यक्ष का पद संभाला था। करुणाकर रेड्डी के ईसाई होने की वजह से इस नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया था। सीएम रहते हुए जगन मोहन रेड्डी ने ही उनकी नियुक्ति की थी। टीडीपी ने उस समय भी आरोप लगाया था कि करुणाकर रेड्डी की हिंदू धर्म में आस्था नहीं है। उनका ईसाई धर्म से संबंध है और उनकी बेटी की शादी भी ईसाई रिवाज से हुई थी। करुणाकर रेड्डी ने कहा था कि उनका परिवार ईसाई धर्म का पालन करता है, लेकिन वे हिंदू धर्म को मानते हैं। टीडीपी ने यह भी आरोप लगाया था कि टीटीडी अध्यक्ष के अपने पहले कार्यकाल में करुणाकर ने घोषणा की थी कि तिरुमला में सात नहीं बल्कि पांच पहाड़ियां हैं। ऐसे शख्स को आपने टीटीडी ट्रस्ट का अध्यक्ष क्यों बना दिया?

सातवां सवाल- आपके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी ने क्यों नहीं भरा था फेथ फॉर्म?

जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी भी जब आंध्र के सीएम थे तो 2006 से 2008 के बीच उन्होंने भी करुणाकर को टीटीडी का अध्यक्ष बनाया था। 2006 में राजशेखर रेड्डी और सोनिया गांधी ने भी फेथ फॉर्म नहीं भरा था। राजशेखर रेड्डी उस समय आंध्र के सीएम थे। उस वक्त भी इसको लेकर सवाल खड़े हुए थे। जाहिर सी बात है कि राजशेखर रेड्डी ईसाई धर्म को मानते थे। हिंदू धर्मावलंबियों की मान्यता का ध्यान नहीं रखकर उन्होंने एक गलत परिपाटी उसी समय से शुरू कर दी थी।

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