अमेरिका से भारत भेजे गए अवैध प्रवासियों की मार्मिक तस्वीरें आपने देखी होंगी, 40 घंटे तक इन लोगों को हाथों में हथकड़ियां और पैरों में जंजीर बांधकर रखा गया था। अमेरिका के सैन्य विमान C-17 ग्लोबमास्टर से भारत भेजे गए इन लोगों को कथित तौर पर सीट से हिलते तक की इजाजत नहीं थी। इन्हें वॉशरूम तक जाने के लिए भी अमेरिकी अधिकारियों के सामने मिन्नतें करनी पड़ीं। ऐसी स्थिति पहली बार हो या सिर्फ भारत के साथ हो ऐसा भी नहीं है दुनिया के कई देशों में अमेरिका ने इस तरह ही अवैध प्रवासियों को भेजा है। दुनिया को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाने वाला अमेरिका खुद लोगों के अधिकारों को हथकड़ियों और जंजीरों में बांधकर रख देता है।
विपक्षी नेताओं ने भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने दर्द की दास्तां सुना रहे एक शख्स की वीडियो शेयर कर लिखा, “प्रधानमंत्री जी, इस आदमी का दर्द सुनिए। भारतीय सम्मान और मानवता के पात्र हैं, हथकड़ी के नहीं।” वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “सवाल सिर्फ यह नहीं है कि अमेरिका ने हालात के मारे भारतीयों को दासों की तरह बेड़ियों में जकड़ा और अमानवीय परिस्थितियों में भारत भेजा, सवाल ये भी है कि ‘विश्व गुरु होने का दावा करनेवाले मौन क्यों हो गए?” वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर संसद में कहा कि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा है तो सभी देशों का दायित्व है कि उसे वापस बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि भारतीयों का अमेरिका से निर्वासन पहली बार नहीं हुआ है और ऐसा 2009 से होता आ रहा है।
अवैध प्रवासियों की ज़िम्मेदारी किसकी है?
लोगों का अपना दुख है, विपक्ष के अपने सवाल हैं और सरकार के अपने जवाब हैं। ये अवैध प्रवासी और इनके समर्थक आज भारत सरकार पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन एक सवाल तो इनसे भी पूछा जाना चाहिए कि क्या ये लोग जब विदेश गए थे तो सरकार से इजाजत लेकर गए थे? भारत सरकार अपने जहाजों से लाखों लोगों को अलग-अलग ऑपरेशन के ज़रिए विदेश से लाती रही है चाहे मौजूदा बीजेपी सरकार हो या पिछली सरकारें हों। भारत के जो नागरिक युद्ध के दौरान यूक्रेन में फंस गए थे, यमन में फंस गए थे या तालिबानी शासन के बाद अफगानिस्तान में फंस गए थे उन्हें भारत सरकार ने वहां से निकाला भी था। लेकिन जिन लोगों को अमेरिका ने वापस भेजा है क्या ये लोग क्या भारत सरकार को जानकारी देकर अमेरिका गए थे?
अवैध प्रवासियों ने कराया भारत का अपमान!
अमेरिका ने जिन 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया है उनमें से 48 की उम्र तो 25 वर्ष से भी कम है और 13 नाबालिग बच्चे हैं। ये लोग ना तो वीजा लेकर गए और ना ही पासपोर्ट लिया बल्कि अवैध तरीके से अमेरिका में घुस गए। इतनी कम उम्र के इन लोगों ने हो सकता है कि अमेरिका में घुसने के लिए जान को भी दांव पर लगा दिया हो। बेशक, इन लोगों के मानवाधिकार हैं और उनका सम्मान भी होना चाहिए लेकिन क्या इनकी हरकतों से एक देश के रूप में हमारी साख पर बट्टा नहीं लगता है? किसी दूसरे देश में गलत तरीके से घुस जाना, वहां के कानून का अपमान करना कहां तक सही है? कोई भारत में आकर ऐसा करे, हमारे कानून को तोड़े, हमारे नियमों का मजाक उड़ाए तो क्या हम ऐसा करने देंगे? हमारी सरकार और कानून-व्यवस्था ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक करेगी?
अपराधियों को पैसा क्यों दें भारतीय टैक्सपेयर?
इन लोगों ने अमेरिका में घुसने के लिए कानून को तोड़ा है, ये लोग अपराधी हैं इसमें कोई शक नहीं है, कोई सवाल नहीं है। इन लोगों को अमेरिका में रहने, वहां की लाइफस्टाइल का आनंद उठाने का शौक ऐसा था कि इन्होंने किसी कानून की परवाह ही नहीं की। इन लोगों ने अमेरिका में अवैध तरीके से घुसने के लिए लाखों रुपए खर्च किए होंगे। इन लोगों को भारत में रहना पसंद नहीं था, ये लोग यहां कारोबार नहीं करना चाहते थे।
क्या इन लोगों से यह सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए कि जब भारत में ही रोजगार के अवसर मौजूद हैं, तो फिर ये युवा यहां मेहनत करने की बजाय चोरी-छिपे विदेश जाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? क्या इन अवैध प्रवासियों को यह उम्मीद भी करनी चाहिए कि वे लोग जो भारत में रहते हैं, भारत में मेहनत करके अपने पेट पालते हैं और देश की तरक्की के लिए टैक्स भरते हैं, वे इनके प्लेन का किराया भी दें। भारत के टैक्सपेयर्स के पैसे से इन लोगों को लाया जाए, ये कहां तक जायज होगा?