थाईलैंड के प्राचीनतम और प्रतिष्ठित महा चुलालोंगकोर्न राजविद्यालय विश्वविद्यालय में गुरुवार को भारत अध्ययन केंद्र (CBS) का शुभारंभ हुआ। इस केंद्र की स्थापना भारत-थाईलैंड के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने और बौद्ध विरासत से जुड़े गहरे संबंधों को और प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से की गई है।
इस शुभ अवसर पर थाईलैंड में भारत के राजदूत नागेश सिंह और विश्वविद्यालय के विदेश मामलों के वाइस रेक्टर फ्रा सिथिवज्रबंडित की उपस्थिति रही। इसके अलावा, भारत, थाईलैंड और अन्य देशों के प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु, विद्वान और शिक्षाविद भी इस समारोह का हिस्सा बने।
भारतीय दूतावास ने X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा:
“यह केंद्र न केवल भारत-थाईलैंड के सदियों पुराने सांस्कृतिक और बौद्ध संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती भूमिका और योगदान को समझने व अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी प्रदान करेगा।”
भारत-थाईलैंड के अकादमिक सहयोग को मिलेगा नया आयाम
राजदूत नागेश सिंह ने अपने भाषण में इस केंद्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारतीय विश्वविद्यालयों और थाईलैंड के शिक्षण संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने इसे ज्ञान और शोध के एक सक्रिय केंद्र के रूप में विकसित करने पर जोर दिया।
थाईलैंड में पहले से ही 5 अन्य भारत अध्ययन केंद्र कार्यरत हैं, जो चूलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय, शिल्पाकोर्न विश्वविद्यालय, थम्मासैट विश्वविद्यालय, महिंद्रा विश्वविद्यालय और चियांग माई विश्वविद्यालय में स्थित हैं।
इसके अतिरिक्त, थाईलैंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 9 भारत कॉर्नर भी स्थापित किए गए हैं, जहां छात्र भारत की संस्कृति, इतिहास और समकालीन उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं। ये केंद्र थम्मासैट विश्वविद्यालय, चूलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय, माई फाह लुआंग विश्वविद्यालय, सूरत थानी राजभट विश्वविद्यालय, प्रिंस ऑफ सोंगक्ला विश्वविद्यालय, चियांग माई विश्वविद्यालय, उबोनरत्चथानी विश्वविद्यालय, श्रीनाखारिनविरोत विश्वविद्यालय और थाईलैंड के राष्ट्रीय पुस्तकालय में स्थित हैं।
बौद्ध धर्म – भारत-थाईलैंड रिश्तों की आध्यात्मिक नींव
भारत और थाईलैंड के संबंध केवल राजनीतिक या आर्थिक तक सीमित नहीं हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी बेहद गहरे हैं। बौद्ध धर्म, विशेष रूप से थेरवाद बौद्ध परंपरा, इन दोनों देशों के बीच एक मजबूत आध्यात्मिक कड़ी का काम करता है।
थाईलैंड की लगभग 93.4% जनसंख्या थेरवाद बौद्ध धर्म का पालन करती है, जो चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है, जहां करीब 64 मिलियन बौद्ध अनुयायी हैं।
भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव – सनातन संस्कृति की विजय यात्रा
भारत अध्ययन केंद्र की स्थापना से न केवल भारत-थाईलैंड संबंधों को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह सनातन संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर पुनर्स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह केंद्र बौद्ध धर्म, योग, आयुर्वेद और भारतीय दर्शन से जुड़े शोध को प्रोत्साहित करेगा और वैश्विक बौद्ध समुदाय को भारत से और गहराई से जोड़ने में मदद करेगा।
भारत की यह सांस्कृतिक और बौद्ध कूटनीति भविष्य में दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों तक भी पहुंचेगी, जिससे सनातन परंपरा और भारतीय विरासत का विश्वव्यापी पुनर्जागरण संभव होगा।