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बीएचयू घटना की सारी मसालेदार खबरें पढ़ ली? अब सच भी पढ़ लीजिये

Shubham Upadhyay द्वारा Shubham Upadhyay
26 September 2017
in मत
बीएचयू

PTI Photo (PTI9_24_2017_000078B)

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पिछले 3 वर्षों से देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में अचानक ही ऐसी गतिविधियाँ हो रहीं है जो राष्ट्र, समाज, व्यक्ति के किसी भी तरह हित में नहीं है। अभी हाल ही में काशी के ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू)’ से ख़बरें आ रहीं है कि विवि की छात्राओं ने बड़ा आंदोलन कर रखा है जिसमें पुलिस ने कुछ असामाजिक और हिंसक छात्र-छात्राओं पर लाठियां भी चलाई है। अब जो हिंसा करेगा तो उसे लाठियां तो मिलेंगी ही ना, इसमें कोई संदेह किया जाना भी गलत है। पिछले 2 दिनों से चल रहे इस आन्दोलन में एक बात निकल कर आई है कि छात्र-छात्राओं को आन्दोलन तो करना है लेकिन वो खुद किसी मुद्दें पर एकमत नहीं है कि उनकी मांगे क्या क्या हैं। कभी लड़कियों की सुरक्षा को लेकर मांगे उठ रही तो कभी वीसी को हटाने को लेकर। कभी वो फीस की बात कर रहें हैं तो कभी हॉस्टल की। यदि उन्हें हॉस्टल और फीस की ही इतनी बात करनी थी तो उन्होंने वही दिन क्यों चुना जब प्रधानमंत्री बनारस में ही थे ? आखिर कवरेज नाम की भी कोई चीज होती है ना! बस वही करना था।

मामला शुरू हुआ था एक लड़की की छेड़खानी से। 3 दिन पहले बीएचयू में हॉस्टल जाते वक़्त एक लड़की के साथ शाम के समय कुछ लड़कों ने छेड़खानी की। जिसके बाद छात्रा और उसके दोस्तों ने मिलकर धरना और आन्दोलन करने की योजना बनाया। घटना के बाद कुछ छत्राएं गर्ल्स हॉस्टल में धरने पर बैठ गई। इसके बाद अगले दिन भी छात्राओं ने बीएचयू परिसर के लंका गेट के सामने जाकर धरना प्रदर्शन किया।

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बीएचयू परिसर में किसी भी छात्रा के साथ हुए छेड़छाड़ का हम खुले तौर पर विरोध करते हैं और चाहते भी हैं कि छेड़खानी करने वालों की कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।

महिलाओं की सुरक्षा, छात्राओं की सुरक्षा ना सिर्फ बीएचयू परिसर बल्कि किसी भी स्थान में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। त्रिवेणी हॉस्टल की छात्राएं जिन्होंने ये आन्दोलन शुरू किया था अब वो खुद कह रहीं हैं कि बाहरी तत्व आकर इस आंदोलन में घुस चुके हैं। अब क्या जब छेड़खानी करने वाले ही आन्दोलन का हिस्सा हो ? तब क्या जब प्रोपगंडा के लिए आन्दोलन हो ? तब क्या जब छात्र आन्दोलन के नाम पर बमबाजी हो ? कुलपति ने भी कहा कि छात्र आन्दोलन के नाम पर अन्य कॉलेजों और बाहर से आये कुछ लोग भी आन्दोलन में शामिल है।

 

आन्दोलन कर रहे छात्राओं की पहले मांग थी की कुलपति इन छात्राओं से मिले और सुरक्षा का आश्वासन दें। जिसपर कुलपति ने विचार कर शाम को मिलने के लिए बुलाया। आन्दोलन कर रहे छात्राओं के बीच से 10 छात्राओं के समूह से कुलपति ने खुद बात की।
बीएचयू कुलपति ने छात्राओं की सारी बातों को सुना। अब कुलपति से मिलने के बाद इन छात्राओं की तो जैसे डिमांड बढ़ती ही गई।

अब इन्होंने मांग रखा की कुलपति हॉस्टल आकर छात्राओं से खुद मुखातिब हो। जब कुलपति ने एक बार मिलने की मांग को मान लिया और सुरक्षा का आश्वासन दे दिया इसके बाद भी इन छात्राओं ने इसलिए धरना देना शुरू कर दिया कि कुलपति ने सभी छात्राओं से हॉस्टल परिसर में जाकर एड्रेस नहीं किया। वहीं विरोध करने के लिए सर मुंडवाने वाली छात्रा की खबरें भी मीडिया में अच्छे से प्लांट की गई जबकि उस ने छात्रा विरोध के लिए नही बल्कि अपने आर्ट के लिए अपने सर मुंडवाएँ थे।

लेकिन सोचने वाली बात यह है कि बीएचयू परिसर के एक छात्र आंदोलन में पुलिस का लाठीचार्ज और पुलिस बल की जरूरत कैसे पड़ी ? तो इस पर जब विचार करते हैं तो कहानी खुलकर सामने आती है। छात्र आन्दोलन की आड़ में ये कथित छात्र-छात्राएं हिंसात्मक होते चले गए। पहले इन्होंने सुरक्षाकर्मियों से बहस और मारपीट की। जब सुरक्षाकर्मियों ने इन पर लाठीचार्ज किया तब इन्होंने जमकर पथराव किया। इन कथित छात्र-छात्राओं के भारी पथराव के कारण सुरक्षाकर्मी घायल हो गए और कुछ को अस्पताल ले जाना पड़ा। आधी रात में हॉस्टल के अंदर से इन छात्र-छात्रा रूपी गुंडों ने कई पेट्रोल बम फेंके और भारी आगजनी और बवाल किया। सिर्फ पेट्रोल बम और पथराव पर ही ये गुंडे रूपी छात्र-छात्रा नहीं रुके इसके बाद उन्होंने बीएचयू के सिंह द्वार के बाहर खड़ी गाड़ियों को आग लगाकर भारी आगजनी की। इन सब के बाद उन्होंने पुलिस बूथ को भी उखाड़ फेंका। सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुँचाने और समाज के अराजकता लाने भर से उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने अमानवीयता का परिचय देते हुए सर सुन्दरलाल अस्पताल में घुसकर जमकर पथराव किया। जिससे अस्पताल में रहे मरीजों को काफी परेशानी आई और कुछ अस्पताल कर्मी घायल भी हुए हैं। हिंसक प्रवत्ति दिखाने के साथ साथ इन छात्र-छात्रा रूपी गुंडों ने आखिर अपनी सोच को दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। आन्दोलन कर रहे छात्राओं में से एक समूह ने ‘बनारस हिन्दू विवि’ के संस्थापक महामना मदनमोहन मालवीय की मूर्ति पर कालिख पोतने की भी कोशिश कर रहे थे।

अब आप खुद सोचिए और निर्णय लीजिए कि क्या ऐसा होता है छात्र प्रदर्शन ? क्या ऐसे होते हैं विद्यार्थी ? क्या ऐसे लोगो को छात्र कहा जाए ? क्या ये गुंडे नहीं है ?

वहीं कुछ लोगो का समूह जो फर्जी नारीवादी बना फिरता है, जो कहता है कि “लड़की है तो क्या लडक़ों की तरह सिगरेट नहीं पी सकते, शराब नहीं नहीं पी सकते, रात में बाहर नहीं घूम सकते? आखिर लड़की और लड़के बराबर ही हैं ना!” ऐसा कहने और लिखने वाले लोग ‘लड़की’ होने की दुहाई देते हुए कह रहें हैं कि ‘ “लड़कियों” पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया’, लड़कियों को मारा गया। अरे भाई जब लडक़ों के प्रोटेस्ट में पुलिस द्वारा उन्हें डंडे मारे जाते हैं, तो लड़कियों को भी मारे जाएंगे। पुलिस पुरे संविधान को मानती है, कोई लैंगिक भेदभाव नहीं। जब अराजकता फ़ैलाने पर लड़कों को लाठी पड़ेगी तो लड़कियों को भी पड़ेगी। यहाँ पर इनका बराबरी का सिद्धांत गायब हो जाता है।

जब राम रहीम के भक्त, आसाराम के भक्त, रामपाल के भक्त सरकारी संपत्ति का नुकसान कर रहे थे, लॉ एन्ड आर्डर अपने हाथ में ले रहे थे तब तो उन्हें गोली मारने तक की बात हो रही थी। लेकिन जब पेट्रोल बम बरसाया जा रहा है, आगजनी की जा रही है, पुलिस बूथ उड़ाये जा रहें हैं, अस्पताल में मरीजों पर पथराव हो रहा है, गाड़ियां जलाई जा रही है तो फिर इन पे क्या लाठीचार्ज भी ना किया जाए ? एक छात्र आन्दोलन शांति से भी किया जा सकता है। छात्र आन्दोलन में आगजनी और बमबारी की जरुरत कैसे पड़ गयी ? जब कानून हाथ में लिया जायेगा तो पुलिस तो आएगी ही। और जरुरत पड़ेगी तो लाठियां भी भांजेगी।

Tags: बीएचयू
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टिप्पणियाँ 3

  1. sourabh shukla says:
    8 years पहले

    lekin aandolan chala kyo jab mang man liya gaya tha?
    kulpati ko nishkriya kyo rahne diya gaya?
    kulpati ke andar tatparta ki kami dikhi wobhi tab jab modi aa rahe the?
    kulpati ji ko interview dene bhi nhi aata? Rahul gandhi ko bhi nahi aata. matlab kulpati is rahul gandhi?
    kulpati naye nahi the,3 saal purane, kar kya rahe the?
    petrolbomb bhu me hamesha uplabdh hai, kyo? rokne wala koi nahi.
    3 saal se VC ke raaj me 119 choti badi ghatnae hui jinpe FIR hua h or 5 me petrol bomb chale to unhone ispar rok lagane k liye kuch kyo nahi kiya?

    Reply
  2. Archit says:
    8 years पहले

    आपकी सूझ समझ अविस्मरणीय है, आँखें खोल दीं बिलकुल, आपका ताउम्र शुक्रुगुज़ार रहूंगा।

    Reply
  3. Ashiq says:
    8 years पहले

    Shriman,sabse pahle apko is chhadma patrakarita ke liye saadhuvaad,ye jo analysis hai naa apki qabil e taareef hai mgr un logo ke dwara jo iske samarthak hai aur haan sbse pehla kaam jo ye ki is rightblog ko dislike !
    Mere saath ke 15 log khud #BHU KE STUDENT HAI ABHI TO APKI IS REPORT KI KOI JAROORAT NHI HAI….
    AABHAR APKA

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