“घरवापसी” – विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों द्वारा चलाया गया एक धर्मपरिवर्तन कार्यक्रम था, जो २०१५ में विवाद का एक बड़ा विषय बन गया था। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उन हिंदुओं को वापस हिंदू धर्म में परिवर्तित करना था, जो पैदा तो हिंदू हुए थे, लेकिन विदेशी शक्तियों के कारण उन्हें दूसरे धर्मों को अपनाना पड़ा था, विशेष रूप से उन्होंने अपने आप को इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित कर लिया था। जैसा कि इस कार्यक्रम के नाम से ही पता चलता है, कि विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों ने जन्मजात मुस्लिमों या ईसाईयों को हिन्दू धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश नहीं की, बल्कि उन्हीं लोगों को हिंदू धर्म में परिवर्तित किया जो जन्मजात हिंदू थे और किन्हीं कारणों से दूसरे धर्म में परिवर्तित हो गए थे। एमएसएम और धर्मनिरपेक्ष, वामपंथी, बुद्धिजीवी और उदारवादी समूहों ने इस धर्म-परिवर्तन कार्यक्रम के लिए इन हिन्दू संगठनों की कड़ी निंदा की थी।
अक्सर ही ऐसा देखा गया है कि, केवल दो बड़े अल्पसंख्यक समूह घरवापसी जैसे कार्यक्रमों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, जबकि अन्य अल्पसंख्यक समूह अपेक्षाकृत इस मुद्दे पर शांत रहते हैं। इसका कारण यह है कि घरवापसी कार्यक्रम ने इन दो अल्पसंख्यक समूहों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। इन दो अल्पसंख्यक धर्मों के कई संगठनों द्वारा चलाए गए नियमित सामूहिक धर्मपरिवर्तन के खिलाफ घरवापसी कार्यक्रम एक विरोधी प्रतिक्रिया की तरह था। शायद ही आपने कभी सिख, जैन, बौद्ध, पारसी या यहूदी संगठनों को भारत में धर्म परिवर्तन का प्रचार करते हुए देखा हो। शायद ही आपने कभी किसी सिख, जैन, बौद्ध, पारसी धर्म द्वारा बल का प्रयोग करके या कुछ पैसे देकर, दूसरे धर्म के लोगों को अपने धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास करते हुए देखा हो।
इसी तरह की एक घटना लोगों के सामने तब आई, जब पुलिस ने हैदराबाद में गरीब हिन्दू छात्रों को इस्लाम में परिवर्तित करने वाले नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
१९ नवंबर, २०१७ को, रचाकोंदा पुलिस ने जिले के बाल कल्याण अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर कार्यवाही करते हुए १७ लोगों को बचाया, जिसमें सात लड़कियां शामिल थीं, जिनका धर्म परिवर्तन किया जा रहा था। साथ ही उस समूह में ४ से १४ वर्ष तक के बच्चे भी शामिल थे, जिनको धर्म परिवर्तन का शिकार बनाया गया था। पुलिस ने नौ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, जो हैदराबाद के मौला अली इलाके में शांति अनाथ गृह संस्था चला रहे थे। यह समूह तेलंगाना के गरीब परिवारों के हिंदू बच्चों को भोजन, आश्रय और नि: शुल्क शिक्षा दिलवाने का लालच देकर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर रहा था। इस समूह ने गरीब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के हिंदू परिवारों, विशेषकर आदिवासी और गरीबी से भरे इलाकों जैसे भद्रचलम, महबूबनगर, खम्मम और वारंगल जैसे इलाकों के बच्चों को लालच में फँसाया। इन समूहों ने बच्चों को बरगलाया (Brainwash) और उन्हें नियमित शिक्षा देने की बजाय, अरबी और उर्दू सीखने तथा उनके धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने के लिए मजबूर किया। पुलिस ने उनके घरों में धार्मिक किताबों और ग्रंथों की प्रतियां प्राप्त कीं। पुलिस ने यह भी पता लगाया कि इनमें से कुछ बच्चों के माता-पिता को भी इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था, लेकिन इस बात का अभी तक कोई सत्यापन नहीं हुआ है।
प्रमुख आरोपी मोहम्मद सिद्दीक उर्फ बुरुगुपल्ली सत्यनारायण राजमुन्द्री का मूल निवासी है।
उसने अपने आप को एक मुस्लिम संगठन की मदद से २००३-२००४ के दौरान इस्लाम धर्म में परिवर्तित कर लिया था। अपने धर्म-परिवर्तन के बाद उसने एक मुस्लिम महिला से शादी कर ली। पुलिस का मानना है कि वह दो साल पहले एक धर्म परिवर्तन करने वाले गिरोह का हिस्सा बन गया। नौ लोगों में से मोहम्मद सिद्दीकी और उसके दो सहभागी इस अपराध में शामिल होने के लिए इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो गए थे। सिद्दीकी को छोड़कर उसके गिरोह के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
१. मोटाकोथुला प्रवीण ऊर्फ अब्दुल्ला
२. सैयद अब्दुल्ला
३. मोहम्मद शकील अहमद
४. मोहम्मद इस्माइल
५. अब्दुल्ला उर्फ बाटिना सोमेश्वर राव
६. सागर
७. आमेर मोहम्मद रब्बानी
८. मोहम्मद फयाजुद्दीन
मोहम्मद सिद्दीकी ने दो साल पहले वारंगल में अनाथालय शुरू किया था और पिछले साल से हैदराबाद में एक स्कूल और छात्रावास चला रहा था। यह संस्था पूरी तरह से अवैध है और संबंधित विभागों से इसके संचालन की कोई अनुमति नहीं ली गई है। पुलिस संस्था को प्राप्त हो रहे फंड के बारे में जाँच कर रही है, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि संस्था को अलग-अलग समूहों और लोगों से धन प्राप्त हो रहा है। पुलिस का मानना है कि इस मामले में कम से कम १५-२० लोग शामिल हैं और पुलिस इसके बारे जाँच कर रही है कि क्या आरोपी मोहम्मद सिद्दीकी धर्म परिवर्तन के पिछले किसी भी मामले में शामिल था या नहीं।
पहले से इस्लाम धर्म स्वीकार कर चुके अभियुक्तों ने अवैध धर्म-परिवर्तन प्रक्रिया को सुधारने के लिए जानबूझकर हिन्दू नाम रख लिया था। हिन्दू नाम को बनाए रखने का एक अन्य कारण भविष्य में सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण सुविधा का लाभ प्राप्त करना था। पूछताछ के दौरान समूह ने स्वीकार किया कि उनके पास ऐसे विचारक थे, जो अपने पद का उपयोग करके, भारी संख्या में गरीब हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित कर सकते थे। समूह इतना चालाक था कि वह किसी भी संदेह से बचने के लिए, प्रमाण पत्र में बच्चों के मूल नाम को परिवर्तित नहीं करता था। हालांकि, अपराधियों ने प्रत्येक बच्चे को एक नया नाम दिया था। एसीपी जी. संदीप ने कहा, “उन लोगों ने बच्चों की आस्था को बदल दिया, लेकिन उनके नाम को बरकरार रखा। चूंकि, सभी बच्चे पिछड़े वर्ग से सम्बन्धित थे, इसलिए वे बड़े होकर सरकारी सेवाओं के पात्र होंगे। इसी प्रकार वे और अधिक लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने की योजना बना रहे थे।”
जब भाजपा के रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकित किया गया, तो कई धर्म-निरपेक्ष पार्टियों ने भाजपा पर दलितों के प्रति राजनीति का दांव खेलने का आरोप लगाया। कुछ समाचार चैनलों ने भी श्री रामनाथ कोविंद द्वारा कहे गए कुछ शब्दों पर साम्प्रदायिक प्रकाश डालते हुए उसे प्रकाशित किया। २०१० में समर्थन के साथ उन्होंने मुस्लिम और ईसाई को अनुसूचित जातियों में शामिल करने के खिलाफ विरोध किया था। आज, हम देख सकते हैं कि मोहम्मद सिद्दीकी जैसे लोगों के पास आरक्षण जैसी सुविधा है, जो पिछड़े वर्ग के लोगों के सामाजिक कल्याण को बचाव के रूप में उपयोग करके धर्म-परिवर्तन करने का प्रयास करते हैं।
मोहम्मद सिद्दीकी का बयान है कि वे धर्म परिवर्तन करने के लिए सरकारी पद पर आसीन लोगों का उपयोग कर सकते हैं, यह बयान समाज के लिए बहुत ही चौंकाने वाला है। वास्तव में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कई सरकारी कर्मचारी इस रैकेट में शामिल हो सकते हैं। २४ नवंबर, २०१७ को डेक्कन क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, रचाकोंदा पुलिस ने इस मामले में भागीदारी के लिए एतुर्नागाराम अभयारण्य क्षेत्र में कार्यरत एक वन अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया था। धार्मिक रूपांतरण रैकेट की जड़ हैदराबाद में है और उस वन अधिकारी की पहचान आमेर नामक व्यक्ति के रूप में की गई है। आमेर वारंगल जिले से है, इसलिए वह पिछड़े और आदिवासी समुदाय के निवास स्थान के बारे में अच्छी तरह से जानता था। उसने उन स्थानों को लक्ष्य बनाया और अपने समूह के लिए वारंगल से दो बच्चों को शिकार बनाया। आमेर समूह के लिए बच्चों की आपूर्ति का प्रभारी था।
इससे पहले इस्लामिक धर्म-परिवर्तकों ने लव जिहाद, बल पूर्वक धर्म-परिवर्तन आदि जैसे मामलों के द्वारा उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दबाव डाला है। लेकिन सोशल मीडिया पर सामाजिक जागरुकता बढ़ने के कारण इन समूहों ने अपनी रणनीति बदलकर, ईसाई धर्मप्रचारकों द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए प्रयोग की जाने वाली सुचारु योजनाओं को अनुकूल बनाया है।
मोहम्मद सिद्दीकी और उसके समूह ने लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दबाव डालने बजाय गरीब परिवारों से संपर्क किया और उनके बच्चों को भोजन, आश्रय और शिक्षा दिलवाने का झूठा आश्वासन दिया।
तेलंगाना सरकार को ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों की तरह धर्मपरिवर्तन-विरोधी मजबूत कानून लागू करने की आवश्यकता है। तेलंगाना में गरीब, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं, जो इन धर्म-परिवर्तन करने वाले दलालों के संभावित लक्ष्य हैं। यहाँ पर ऐसी संभावना है कि धर्म परिवर्तन में सहयोग करने वाली संस्थाएं तेलंगाना में फैली हुई हैं। आखिरकार, पुलिस को काकीनाड़ा में एक और ऐसी संस्था मिली है, जो इस तरह के धर्म-परिवर्तन करने का काम करती है। आखिरकार, यह सब काकीनाड़ा में हो रहा था, जहाँ मोहम्मद सिद्दीकी ने मुस्लिम संगठन की मदद से इस्लाम धर्म को अपना लिया था।