पुणे पुलिस के हाथों माओवादियों के ‘‘अंदरूनी संवाद’’ वाला एक पत्र लगा है जिसमें माओवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे। माओवादी 21 मई 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे। पुणे पुलिस के हाथ लगे इस पत्र में बताया गया है कि वो क्यों पीएम मोदी की हत्या जरुरी है। इसमें कहा गया है कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी ने कई राज्यों में अपनी सरकार बनाई है जो माओवादियों के अस्तित्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। पुणे की पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान गिरफ्तार किये गये 5 लोगों में से एक के निवास से ये पत्र बरामद किया गया है। इससे पहले टाइम्स नाउ के हाथ लगे एक पत्र से जिग्नेश मेवानी के माध्यम से कांग्रेस-माओवादी के बीच के लिंक का खुलासा हुआ था। ये पत्र हाल ही में जारी किया गया था, विषय एक पत्र से दूसरे पत्र तक लेकिन दोनों का ही लक्ष्य देश में शांति को भंग करना और अराजकता फ़ैलाने पर केंद्रित है। भारत में माओवादी के प्रति सहानुभूति रखने वालों की कोई कमी नहीं है, ये शहरी नक्सली लंबे समय से देश में आतंकवादियों का समर्थन करते आये हैं। इस मामले को और बदतर बना दिया जाता है जब इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर महत्वपूर्ण पदों पर मौजूद कुछ लोग आधारहीन और बेतुके बयान देते हैं। मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष और कांग्रेस के पूर्व सांसद संजय निरुपम भी इसी तरह के लोगों में से एक हैं।
पीएम मोदी की हत्या की साजिश वाले पत्र को लेकर सबा नकवी ने ट्विटर पर अपनी समझदार प्रतिक्रिया दी। उनकी राय थी कि माओवादियों ने आतंकी प्लोट की चर्चा के लिए मेल और पत्र का उपयोग करने से वो दुनिया में ‘सबसे कमजोर चरमपंथी’ बन गए हैं। अतीत में किये गये अपने ट्वीट में सबा नकवी ने हमेशा इस मुद्दे को सनसनीखेज करने पर ज्यादा ध्यान दिया और कभी भी आतंकी साजिश के खिलाफ उनकी कोई चिंता नजर नहीं आयी है। उनकी सीमित सोच उन्हें इस बात की अनुमति नहीं देती कि जिस मुद्दे पर वो बयान दे रही हैं उसके परिणाम क्या हो सकते हैं। एक सच्चे माओवादी चैंपियन की तरह उन्होंने साजिश की निंदा करने की बजाय इसपर सवाल खड़े करने का विकल्प चुना।
एएनआई को दिए अपने बयान में कांग्रेस के संजय निरुपम ने कहा है कि, हालांकि उन्हें माओवादियों द्वारा बनाई गई योजना पर पूरी तरह से संदेह नहीं है, लेकिन उन्हें लगता है कि ये पीएम मोदी की लोकप्रियता हासिल करने के लिए एक चाल है। संजय निरुपम कभी समझदारी वाली बातें नहीं करते और इनकी इस समझ की कोई सीमा नहीं है। यहां तक कि कांग्रेस भी उनके बयानों से दूर भागती नजर आती है। यही वजह है कि उनके शब्दों को उतना महत्व नहीं दिया जाता है। लेकिन वो कांग्रेस में जिस दर्जे पर हैं और वो भी महाराष्ट्र में जो उनका स्थान है वो उनके बयान को और घटिया बना दिया है। सबा नकवी और संजय निरुपम जैसे लोग माओवादी और शहरी नक्सल को बढ़ावा देते हैं जो अब पुख्ता सबूत मिलने के बाद से रोना रो रहे हैं। इस तरह के मूर्खतापूर्ण बयान और इंटरव्यू उनका बचाव करते हैं जिसकी आड़ में वो अपनी घृणास्पद गतिविधियों को पूरा करना चाहते हैं।
I am not saying this is completely untrue but it has been PM Modi's old tactic, since he was CM, whenever his popularity declines, news of an assassination plot is planted. So it should be probed how much truth is in it this time: Sanjay Nirupam,Congress pic.twitter.com/lDVVvPDbwM
— ANI (@ANI) June 8, 2018
संजय निरुपम को वो समय याद करना चाहिए जब कर्नाटक में कांग्रेस के शासन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने अपने प्लेन में हुई छोटी सी गड़बड़ी को बड़ा षड़यंत्र बनाकर पेश किया था। राहुल गांधी को जरा भी वक्त नहीं लगा था इसे दुश्मनों की साजिश करार देने में जबकि ये कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा बुक किया गया एक निजी विमान था। इन सभी के बावजूद पीएम मोदी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने राहुल की खैरियत पूछी थी। ये बीजेपी और पीएम मोदी की राजनीतिक शैली को दर्शाता है। संजय निरुपम और सबा नकवी के बयानों की निंदा की जानी चाहिए और कांग्रेस को संजय निरुपम के बेतुके बयान के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, सबा नकवी को खुलकर माओवादियों के समर्थक के रूप में बाहर आना चाहिए और अपनी निष्ठा को खुले आम ज़ाहिर कर देना चाहिए।