केन्द्र की मोदी सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पांच बड़े फैसले लेकर देशवासियों को खुश कर दिया है। इन पांच फैसलों से मोदी सरकार ने देश के हर वर्ग को कवर किया है। ये पांचों निर्णय ऐसे हैं, जिसने देश की लगभग-लगभग पूरी आबादी को कवर किया है। इन फैसलों में एससी-एसटी ऐक्ट, प्रमोशन में आरक्षण, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, तीन तलाक और हाल ही में सवर्णों को आरक्षण देने से जुड़े फैसले हैं। पहले चार मुद्दों से जुड़े फैसलों से देश की लगभग 75% आबादी कवर हो रही थी। अब इस बार मोदी सरकार ने जरूरतमंद सवर्णों को 10% आरक्षण देकर लगभग शेष बची 25% आबादी को भी खुश कर दिया है। इस तरह से इन 5 फैसलों से कुछ को छोड़कर देश की लगभग पूरी आबादी कवर हो रही है। आइए मोदी सरकार के इन पांच फैसलों पर नजर डालते हैं।
मुद्दा नं. 1: एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट
मार्च में सर्वोच्च न्यायालय ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव कर दिया था। ऐक्ट में बदलाव करते हुए कोर्ट ने कहा था कि, ऐसे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। मामले में शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं होगा। उसके बाद केंद्र सरकार ने अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ बिल लाने का फैसला किया। इस बिल के जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया गया। इस तरह से केन्द्र की मोदी सरकार ने देश में 16.6% एससी और 8.6% एसटी आबादी (2011 की जनगणना के मुताबिक) पर अपना प्रभाव स्थापित किया। बता दें कि, इस वर्ग के लिए कुल 84 लोकसभा सीटें रिजर्व हैं। यह देश की कुल 200 लोकसभा सीटों पर असर डालते हैं। मंडल कमीशन के मुताबिक देश में एससी और एसटी आबादी 22.5% है।
मुद्दा नं. 2: प्रमोशन में आरक्षण
इसके बाद केंद्र सरकार ने एससी-एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण मिलने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में पूरी ताकत लगा दी थी। सितंबर में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने अपने निर्णय में कहा था कि, सरकारी नौकरियों में बराबरी देने वाले प्रावधानों के अनुसार प्रमोशन में भी आरक्षण होगा। इससे केंद्र और राज्य सरकारें नौकरियों में एससी-एसटी समुदाय के लोगों के लिए प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। सरकार ने अपने इस कदम से देश के लगभग एक चौथाई आबादी को अपनी ओर आकर्षित किया।
मुद्दा नं. 3: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
मोदी सरकार ने पिछले साल अगस्त में पिछड़ा वर्ग को ध्यान में रखते हुए वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा एक बड़ा फैसला लिया। केन्द्र सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में 123वां संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई। यह बिल दोनों सदन से पास भी हो गया। अब नया आयोग पिछड़े वर्गों के विकास, परेशानियों और उत्थान के लिए सुझाव देगा, निर्णय लेगा और नीतियां लागू करेगा। बता दें कि, मंडल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 52% आबादी ओबीसी है। ओबीसी वोटर देश में करीब 350 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस तरह से केन्द्र की मोदी सरकार ने इस निर्णय से एक बड़ी आबादी में अपनी लोकप्रियता पा ली।
मुद्दा नं. 4: तीन तलाक
इसके बाद बात आती है तीन तलाक की। मोदी सरकार ने 3 साल से ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी घोषित करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। इसके लिए सरकार दो बार अध्यादेश भी ला चुकी है। मौजूदा संसद के शीतकालीन सत्र में भी ट्रिपल तलाक से जुड़ा विधेयक एक बार फिर लोकसभा में पास हो गया, लेकिन राज्यसभा में जाकर एक बार फिर से अटक गया। बीजेपी सरकार के इस फैसले और प्रयासों से उसे मुस्लिम समुदाय, खासकर मुस्लिम महिलाओं के बीच काफी लोकप्रियता मिली है। देश में 17.2 करोड़ यानी 14.2% आबादी मुस्लिम है। बता दें कि मुस्लिम महिलाओं ने कई राज्यों में भाजपा को बंपर वोट भी दिए हैं।
मुद्दा नं. 5: गरीब सवर्णों को आरक्षण
मोदी सरकार का पांचवा फैसला कल यानी सोमवार को लिया गया है। इस फैसले के अंतर्गत सरकार अब गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देगी। सरकार का उद्देश्य गरीब सवर्णों का आर्थिक व सामाजिक उत्थान करना है। मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्णों में काफी खुशी का माहौल है। 1983 में पेश मंडल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 25.5% आबादी सवर्ण हैं। पिछले चार फैसलों से मोदी ने 75 फीसदी जनता को कवर कर लिया है और अब देश की आबादी के करीब एक चौथाई सवर्णों के लिए आरक्षण लाने का फैसला कर बीजेपी ने सवर्णों को भी अपने पाले में सुरक्षित कर लिया है। जरूरतमंद सवर्णों के हितों का ध्यान रखते हुए उन्हें 10% आरक्षण दिलवाने का फैसला ले मोदी सरकार ने उन 25% सवर्णों का ख्याल किया है, जिनकी ओर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया था। ये हर सरकार द्वारा उपेक्षा का शिकार होते रहे थे। सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला लेकर मोदी सरकार ने अपने परंपरागत वोटों को खुश कर दिया है।
इस तरह से इन पांच फैसलों से मोदी सरकार ने देश की करीब-करीब पूरी आबादी पर अपना प्रभाव स्थापित किया है। मोदी सरकार का यह निर्णय बताता है कि, वे अपने उस वादे पर अटल हैं, जिसमें उन्होंने कहा था।