पिछली बार सर्व सम्मति से इंदौर की तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन को लोकसभा के स्पीकर पद पर बैठाया गया था। उन्होंने इस दौरान अपनी जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वाह किया और संसद की गरिमा को बनाए रखा। इसके साथ ही लोकसभा की कार्यवाही में अवरोध पैदा करने वाले सांसदों को भी आड़े हाथों लिया। हालांकि, अपनी उम्र के चलते उन्होंने लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले ही चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया था और अब उनके बाद पार्टी में किसे लोकसभा स्पीकर का पद दिया जायेगा इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। 17 जून से संसद का सत्र शुरू होने वाला है और अब नया लोकसभा स्पीकर कौन होगा इसको लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह और वीरेंद्र कुमार सहित भाजपा के कई वरिष्ठ सांसद लोकसभा अध्यक्ष पद की रेस में हैं। पर इन नामों में से एक नाम जो सबसे आगे नजर आ रहा है वो है भाजपा के वरिष्ठ नेता राधामोहन सिंह।
राधामोहन बिहार भाजपा के दिग्गज नेताओं में से हैं और वो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्ष 1967 में राधामोहन ने एक छात्र नेता के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी और वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नगर प्रमुख भी रह चुके हैं। यही नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका जुडाव भी किसी से छुपा नहीं है। एबीवीपी और जनसंघ से लेकर बीजेपी के साथ पूरी निष्ठा से काम किया है और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह भी करते आये हैं। राधा मोहन सिंह संसदीय नियम कायदों को अच्छे से समझते हैं। संगठन के प्रति उनके समर्पण की सराहना सभी करते हैं और तो और वो पार्टी में अनेक प्रतिष्ठित पदों पर भी रहें हैं। राधा मोहन सिंह नौंवी, ग्यारहवीं, तेरहवीं, पंद्रहवीं और सोलहवीं लोकसभा के सांसद निर्वाचित हुए हैं। वर्तमान में वो पूर्वी चंपारण, बिहार से लोकसभा सांसद हैं। उनकी छवि मिलनसार और सौम्य नेता की रही है जिस कारण लोकसभा स्पीकर के पद के लिए राधा मोहन सिंह भी प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं। उनके कठिन परिश्रम और निष्ठा को देखते हुए ही उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में कृषि मंत्रालय का कार्यभार संभालने का अवसर प्राप्त हुआ था।
कृषि मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल काफी सफल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब अपने पहले कार्यकाल में ‘मोर ड्रॉप मोर क्रॉप’ का नारा दिया था तब पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने इस नारे को सफल बनाने हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाये और सिंचाई व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए बजटीय आवंटन भी बढ़ाया। सूक्ष्म सिंचाई योजना से छोटे-बड़े सभी किसानों को लाभ भी मिल रहा है। यही नहीं अपने कार्यकाल में उन्होंने दलहन और दुग्ध विकास योजनाओं पर ख़ास ध्यान भी दिया था। इसके साथ ही उन्होंने अपने कार्यकाल में मिट्टी की सेहत से जुड़े कई बड़े कदम उठाए थे।
इसमें सूक्ष्म सिंचाई योजना काफी अहम है जिससे छोटे-बड़े सभी किसानों को फायदा पहुंच रहा है। राधा मोहन सिंह के कार्यकाल में दलहन और दुग्ध विकास योजनाओं पर खासा ध्यान दिया गया था और फंड में भी बढ़ोतरी हुई थी। जिस तरह से उन्होंने अपने हमेशा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया है वो सराहनीय है। इसके साथ ही उनका विपक्षी नेताओं के साथ भी व्यव्हार काफी मिलनसार रहा है। पार्टी में भी सभी उनका काफी सम्मान करते हैं। उनके पिछले कार्यकाल के शानदार प्रदर्शन और अभी तक के अनुभवों को देखते हुए अगर उन्हें लोकसभा स्पीकर का पद दिया जाता है तो ये वाकई एक बढ़िया निर्णय होगा।
हालांकि, इस रेस में मेनका गांधी और वीरेंद्र कुमार का नाम भी सामने आ रहा है। मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ सुरक्षित सीट से वीरेंद्र कुमार सात बार सांसद रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में उन्हें महिला एवं बाल विकास तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद मिला था। वहीं सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी का नाम भी इस बार लोकसभा स्पीकर के लिए सामने आ रहा है वो वह आठ बार की सांसद भी हैं। प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में वो कैबिनेट में भी शामिल थीं।
अब इन तीन चेहरों में लोकसभा स्पीकर कौन बनेगा, यह तो वक़्त ही बताएगा, पर एक बात तो साफ है, कि नए स्पीकर पर लोकसभा को निर्विरोध संचालित करने का जिम्मा भी रहेगा और साथ ही साथ लोकसभा की गरिमा को बनाए रखने की आशा भी रहेगी।