इस्तीफे के दौर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहूल गांधी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज बैठक करेंगे। इस बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए मनाने की कोशिश की जा सकती है।
2019 के आम चुनाव में करारी हार के बाद भी कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 134 वर्ष पुरानी पार्टी का अस्तित्व अब खतरे में नजर आ रहा है। पार्टी में नेतृत्व संकट का दौर शुरू हो हो गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बड़े और कद्दावर नेता अपने गढ़ माने जाने वाले लोकसभा क्षेत्र से हार चुके है। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली अमेठी को भी राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी के हाथों गंवा दिया।
चुनावी हार के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी में इस्तीफे की होड़ मच गयी। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद विभिन्न राज्य के प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष के इस्तीफे की खबरें सामने आयीं थी। लेकिन इन इस्तीफ़ों के समय पर भी सवाल उठना लाज़मी है क्योंकि यह चुनावी हार के बाद नहीं बल्कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद आया था। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय कार्यकारिणी कमिटी ने राहुल के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़े को अस्वीकार कर दिया था। गांधी परिवार के वफादारों से भरी केंद्रीय कार्यकारिणी से यही उम्मीद भी थी। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष अपने इस्तीफे पर अड़े रहे और यह ड्रामा चुनाव खत्म होने के एक महीने बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
अब यह ड्रामा एक नए दौर में पहुंच गया है। राज्य सभा सांसद और पंजाब कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी कमिटी के सचिव को एक पत्र लिखा है जिसमें यह लिखा है कि राहुल गांधी ने हार की ज़िम्मेदारी लेकर इस्तीफे का फैसला लिया और यह फैसला पार्टी-हित में है और इसी तरह पार्टी के सभी सीनियर पदाधिकारी को इस्तीफा देना चाहिए।‘ उन्होनें आगे लिखा कि,‘मैं एक नये नेतृत्व कि मांग कर रहा हूं इससे कार्यकर्ताओं में एक नया जोश आएगा। इन इस्तीफ़ों से राहुल गांधी और मजबूत होंगे और अपने मन मुताबिक राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में सुधार ला पाएंगे।‘
बाजवा के इस पत्र से सारे अनुमान सही साबित हुए जिनमें यह कहा गया था कि इन इस्तीफे का मतलब सिर्फ राहुल गांधी को पार्टी का बेताज बादशाह बनाना है। ताकि वह अविवादित रूप से पार्टी अध्यक्ष बने रहे। उनके इस्तीफे के बाद विभिन्न राज्य के प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष के इस्तीफे के नाटक का एक ही उद्देय है कि लोगों को लगे कि राहुल गांधी के बिना कांग्रेस पार्टी बिखर जाएगी। और कांग्रेस को एकजुट रखने के लिए राहुल गांधी का पार्टी सुप्रीमो बने रहना आवश्यक है। यह रणनीति भी प्रियंका गांधी को 2024 आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार बनाने का एक हिस्सा नज़र आ रहा है। इन सभी नाटकों का एक ही मकसद है कि कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार का वर्चस्वता बनी रहे। अब यह तो वक़्त ही बताएगा कि किसे कौन सा पद मिलेगा। लेकिन यह तय है कि इस ड्रामे को भी जनता ध्यान से देख रही है और वो आगामी चुनावों में कांग्रेस के इस प्रपंच का अपने मताधिकार से जवाब देगी।