इसरो का चंद्रयान 2 मिशन 95 प्रतिशत तक सफल रहा। इसरो सफलतापूर्वक अपना ऑर्बिटर चांद की कक्षा में स्थापित करने में सफल रहा लेकिन चांद की सतह पर उतरने से ठीक पहले इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया, ऐसे में चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बनने से भारत चूक गया। हालांकि, इससे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को बड़ा सुकून पहुंचा। पाकिस्तान के मंत्री से लेकर इस देश के आम लोगों ने इसरो और भारत के स्पेस प्रोग्राम का मज़ाक बनाना शुरू कर दिया।
भारत के चंद्रयान मिशन पर सबसे पहले पाकिस्तान के ‘विज्ञान और तकनीक मंत्री’ फवाद चौधरी का ट्वीट आया। फवाद चौधरी ने लिखा ‘जो काम आता नहीं हैं उससे पंगा नहीं लेते डियर इंडिया’। फवाद चौधरी उसी देश के ‘विज्ञान और तकनीक मंत्री’ हैं जिस देश की स्पेस एजेंसी और स्पेस प्रोग्राम भारत के सामने कहीं ठहरता ही नहीं है। आलम यह है कि पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी को दुनिया में कोई पूछता तक नहीं है, जबकि अमेरिका और रूस की स्पेस एजेंसियां भारत के चंद्रयान मिशन को प्रेरणादायी बता चुकी हैं।
Awwwww….. Jo kaam ata nai panga nai leitay na….. Dear “Endia” https://t.co/lp8pHUNTBZ
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) September 6, 2019
बता दें कि पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी का नाम है सुपारको यानि स्पेस एंड अपर एटमॉस्फेयर रिसर्च कमीशन! सुपारको की स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी लेकिन सुपारको अपने पहले संचार सैटेलाइट का प्रक्षेपण स्थापना के 50 साल बाद कर पाया और वह भी अपने आका चीन के लॉन्च व्हीकल से और चीन की ‘एयरोस्पेस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन’ की सहायता से। पाकिस्तान ने अब तक सिर्फ 5 उपग्रहों को ही लॉंच किया है और लगभग सभी लॉंच उसने चीन की तकनीक की मदद लेकर किया। पाकिस्तान ने अपना पहला उपग्रह 16 जुलाई 1990 को छोड़ा था, और उसका नाम था बद्र-1। यह एक आर्टिफिशियल डिजिटल उपग्रह था, हालांकि इसने सिर्फ 6 महीने बाद ही अंतरिक्ष में काम करना बंद कर दिया था।
अपने 58 साल के सफर में सुपारको को उन्नति करने और नवीनता बरकरार करने के लिए जरूरी संसाधन आर्थिक सहायता के लिए जूझना पड़ा है। पाकिस्तान के कर्ज में डूबे होने के कारण एजेंसी के बजट को बढ़ाने की संभावना शून्य के बराबर ही है। हालांकि, सुपारको की बदहाली के लिए पाक की आर्थिक स्थिति ही जिम्मेदार नहीं है, वहां के नेताओं में इसके लिए दिलचस्पी ही नहीं होने से भी हालात इतने खराब हुए हैं। एजेंसी के लिए सबसे खराब समय 1980 और 1990 का दशक रहा, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक ने सभी प्रमुख जारी प्रोजेक्ट्स की फंडिंग पर रोक लगा दी थी। इसकी जद में प्रमुख सैटेलाइट कम्यूनिकेशन लॉन्च कार्यक्रम भी आ गया। इसके अलावा पाक सेना का भी पाकिस्तानी स्पेस प्रोग्राम को तबाह करने में अहम रोल रहा है। सेना के जनरलों ने एजेंसी में शीर्ष पदों पर अपने हिसाब से वैज्ञानिकों को नियुक्त किया और यह एजेंसी स्वतंत्र रिसर्च से भटक कर भारत का मुकाबला करने की कोशिश में लग गई। पाकिस्तान की बेशर्मी की हद तो देखिये कि पाकिस्तान आर्मी के प्रवक्ता भी भारत का मज़ाक बनाने में पीछे नहीं हटे। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ़ ग़फ़ूर ने ट्वीट कर कहा है, ‘बहुत बढ़िया इसरो। किसकी ग़लती है? पहला- बेगुनाह कश्मीरियों जिन्हें क़ैद कर रखा गया है? दूसरा- मुस्लिम और अल्पसंख्यक की? तीसरा- भारत के भीतर हिन्दुत्व विरोधी आवाज़? चौथा- आईएसआई? आपको हिन्दुत्व कहीं नहीं ले जाएगा।’
Well done @isro
Who to blame:
1. Under siege innocent Kashmiris of IOJ&K?
2. Muslims & minorities of endia?
4. Sane anti hindituva voices of endia?
4. ISI?hindituva will take you nowhere, let alone moon.
For another stream of lies & fake claims see replies!#AnotherVirChakar— Asif Ghafoor (@peaceforchange) September 6, 2019
अब ज़रा भारत की स्पेस एजेंसी इसरो की सफलता की कहानी भी सुन लीजिये! एक वक्त ऐसा था कि इसरो अपनी ज्यादातर जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। अपने सैटलाइट के निर्माण और उनके लॉन्च के लिए इसरो की निर्भरता अन्य देशों पर थी। हालांकि, इस दिशा में इसरो ने अब बहुत तरक्की की है और अब भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में विश्व के कई देशों की मदद कर रहा है। 15 फरवरी 2017 को इसरो ने 104 सैटलाइट एक साथ लॉन्च किया जो आज तक विश्व रिकॉर्ड है। इनमें से ज्यादातर सैटलाइट दूसरे देशों के थे।
पिछले 3 साल में इसरो ने 239 कर्मशल सैटलाइट लॉन्च किए हैं जिससे इसरो की कमर्शियल इकाई एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन ने करीब 6,289 रेवेन्यू कमाया है। आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इसरो विश्व के अग्रणी संस्थानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। नासा के साथ हाल ही में इसरो ने सिंथेटिर अपरचर रडार (निसार) पर मिलकर काम करने के लिए करार किया है। इसमें इसरो और नासा बराबर की सहयोगी हैं। इतना ही नहीं जापान के साथ चंद्रमा और मंगल के मिशन में भी इसरो और नासा मिलकर काम करने वाले हैं।
इसके साथ ही नासा व यूएई स्पेस एजेंसी ने कल इसरो के प्रयास को सराहा और बताया कि कोई भी स्पेस प्रोग्राम कितना कठीन होता है जो कि पाकिस्तान के मंदबुद्धियों के लिए करारा तमाचा है।
Space is hard. We commend @ISRO’s attempt to land their #Chandrayaan2 mission on the Moon’s South Pole. You have inspired us with your journey and look forward to future opportunities to explore our solar system together. https://t.co/pKzzo9FDLL
— NASA (@NASA) September 7, 2019
The #UAESpaceAgency assure their full support to the @isro following the loss of contact with their spacecraft, Chandrayaan-2 which had to land on the moon. #India proved to be a strategic player in the #space sector & a partner in its development & achievements pic.twitter.com/f3j14gsMqS
— وكالة الإمارات للفضاء (@uaespaceagency) September 7, 2019
भारत को स्पेस मिशन में अभी बहुत आगे जाना है, और हमारे देश को पाकिस्तान जैसे विफल देश और उसके मंत्री की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। जिनके पास खुशी मनाने की कोई उपलब्धि नहीं होती है, वे दूसरों की विफलता पर ही मज़ाक उड़ाते हैं। हमें लगता है कि पाकिस्तान के मंत्री ने अपने इस बेवकूफाना ट्वीट से अपने ही देश की फजीहत करवाने का काम किया है।