कोरोना वायरस के कारण चीन से बाहर आ रही कंपनीयों को लुभाने के लिए अब हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के राज्य असम ने भी कमर कस ली है। असम राज्य इन कंपनी को लुभाने के लिए ना सिर्फ रोडमैप तैयार कर चुका है बल्कि विदेशी संस्थाओं के संपर्क में रहकर असम सरकार यह सुनिश्चित करने में भी लगी है कि यह कंपनियां अधिक से अधिक संख्या में असम में ही आएं।
असम की सरकार ने अब तक Corona को राज्य में काबू रखने में बड़ी सफलता हासिल की है। यह सफलता दुनिया भर की कई सरकारें प्राप्त नहीं कर सकी। अब असम सरकार का नया उद्देश्य चीन को छोड़ रही जापानी, कोरिया और अमेरिकी कंपनियों को लुभाने का है।
असम के उद्योग मंत्री चंद्रमोहन पटवारी के मुताबिक- असम अब इन कंपनियों को लुभाने के लिए पूरी तैयारी कर चुका है। उन्होंने बताया कि असम का उद्योग और वाणिज्य विभाग ‘अर्नेस्ट एंड यंग‘ के साथ मिलकर चीन को छोड़ रही कंपनी को लुभाने के लिए लगातार काम कर रहा है।
असम अब इस अवसर को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए देश का व्यवसायिक केंद्र बनना चाहता है। पटवारी के मुताबिक–
“ऐसी खबरें आ रही हैं कि अमेरिका, जापान और कोरिया के कई कंपनियां चीन को छोड़कर भारत में अपने कारखाने शिफ्ट करना चाहती हैं। असम सरकार इन्हें लुभाने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार हैं“।
और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि असम सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा देश भर में स्थापित किए जाने वाले तीन फार्मा पार्क्स में से एक फार्म पार्क को अपने यहां स्थापित करने की गुहार भी की है, ताकि एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredient) के लिए भारत को चीन पर आश्रित ना होना पड़े।
पटवारी के मुताबिक “उन्होंने केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्री के साथ बात कर एक फार्मा पाक को असम में स्थापित करने की बात कही है”। इसके अलावा असम की सरकार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के संपर्क में भी है ताकि अमेरिकी, जापानी और कोरियन कंपनियों को असम में लाया जा सके। असम सरकार ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने सभी योजनाओं को केंद्र सरकार के साथ साझा कर दिया है।
असम की सरकार सिर्फ देश में ही इन कंपनियों को लुभाने के प्रयास नहीं कर रही है बल्कि जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन और यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर भी अधिक से अधिक कंपनियों को आसाम में स्थापित करने के लिए असम सरकार जी तोड़ प्रयास कर रही है।
असम सरकार मुख्य तौर पर जापानी कंपनी को लुभाने के लिए अधिक से अधिक कोशिश कर रही है। असम सरकार का मानना है कि अगर उनकी कोशिशें रंग लाती हैं, तो असम में जापानी कंपनियां एक औद्योगिक टाउनशिप को भी खोल सकती हैं।
बता दें कि जापान पहले ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश करने को लेकर इच्छुक रहा है। इसी को लेकर पिछले साल असम के गुवाहाटी में भारत के पीएम मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे के बीच एक मुलाकात भी होनी थी, लेकिन सीएए विरोधी प्रदर्शनों की वजह से वह मुलाकात तब टल गई थी।
इसी कारण से असम जापानी कंपनियों पर विशेष तौर पर फोकस कर रहा है क्योंकि जापान को असम में निवेश करने का पहले अनुभव रहा है। ऐसे में असम की सरकार को इन कंपनी को लुभाने के लिए अधिक प्रयास भी नहीं करने पड़ेंगे।
असम सरकार पहले ही पूर्वोत्तर राज्यों में देश का सबसे ज्यादा औद्योगिक राज्य है। यहां पर एक तरफ ब्रह्मपुत्र नदी है, तो दूसरी तरफ उपजाऊ जमीन। यहां पर प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है, इसके साथ ही यहां पर सस्ती दरों पर मजदूर भी उपलब्ध हैं। ऐसे में कोई भी कंपनी इस राज्य में अपने उद्योग स्थापित करने से पीछे क्यों हटना चाहेगी?
राज्य में उद्योग क्षेत्र कुल जीडीपी का 39% योगदान देता है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में लगभग 4 लाख लोग काम करते हैं और अप्रत्यक्ष तौर पर भी यह क्षेत्र लगभग 20 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तब से इस सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़कों के निर्माण पर अधिक ध्यान दिया है। आज यही कारण है कि असम सरकार भी अपने आप को इन कंपनियों को लुभाने की रेस में सबसे आगे पा रही है।
सोचिए अगर केंद्र सरकार ने इन राज्यों में आज भी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित नहीं किया होता, तो आज कंपनियां असम में जाने का कभी नहीं सोचती। जैसा हमने आपको बताया कि देश के उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्य पहले ही इन कंपनी को लुभाने के लिए कड़ा प्रयास कर रहे हैं, अब अगर असम भी इस रेस में जुड़ जाता है तो ना सिर्फ यह कंपटीशन और कड़ा होगा बल्कि अधिक से अधिक कंपनियां देश में आएंगी इससे भारत का आर्थिक विकास और अधिक तेजी से होगा।