दुनिया में किसी भी चीज़ के बारे में जानकारी पाने के लिए आम व्यक्ति सबसे पहले विकिपीडिया पर ही जाता है। यही Wikipedia आज प्रोपोगेंडा के लिए सबसे बड़ा हथियार बना हुआ है जिसका इस्तेमाल भारत विरोधी तत्वों द्वारा किया जा रहा है। अगर फेसबुक और ट्विटर राजनीतिक पक्षपात करने में छोटे भाई हैं तो Wikipedia प्रोपोगेंडा फैलाने में इन सभी का बड़ा भाई है। विकिपीडिया का इस्तेमाल खासकर उन लोगों या website के खिलाफ किया जा रहा है जो भारत में दक्षिण पंथी विचारधारा के हैं।
विकिपीडिया का एजेंडे, पूर्वाग्रह, और इसके शीर्ष अधिकारियों और संपादकों का वैचारिक वामपंथी झुकाव को लंबे समय से सवालों के घेरे रहा है, लेकिन आज TFIPOST ऐसी रिपोर्ट लाया है, जो न सिर्फ Wikipedia के भारत के खिलाफ प्रोपोगेंडे को साबित करता है है, बल्कि स्पष्ट पक्षपात को भी एक्सपोज करता है।
हाल ही में TFIPOST ने विकिपीडिया के blacklisted मीडिया वेबसाइट और पोर्टल्स के लिस्ट की जांच की। इस लिस्ट की जांच करने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि हम जो अपने वेबसाइट से रिपोर्टिंग करते हैं या मत रखते हैं वो कई लोगों को अस्थिर कर देता है।
इस लिस्ट में भारत की तीन सबसे बड़ी दक्षिण पंथी मीडिया आउटलेट्स यानि TFIPOST, स्वराज्य और Opindia का भी नाम है यानि विकिपीडिया ने इन तीनों पोर्टल्स को ब्लैकलिस्ट किया हुआ है।
स्वयं विकिपीडिया के अनुसार स्पैम ब्लैकलिस्ट, Wikipedia में किसी बाहरी लिंक को नियंत्रित करने का एक सिस्टम है। यानि अगर किसी को Wikipedia के किसी इंग्लिश पेज पर एक वेबसाइट को सोर्स के रूप में दिखाना है लेकिन अगर वह वेबसाइट इस ब्लैकलिस्ट में है तो उसे एम्बेड नहीं किया जा सकता है।
यानि विकिपीडिया भारत के तीनों टॉप राइटविंग वेब पोर्टल्स यानि TFIPOST, स्वराज्य और Opindia को source के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि इस लिस्ट में लगातार फेकन्यूज़ फैलाने वालीं वेबसाइट जैसे The Wire, The Quint और Caravan का नाम नहीं है।
ऐसा लगता है कि इन तीनों पोर्टल्स द्वारा लेफ्ट लिबरल कबाल के खिलाफ लगातार रिपोर्टिंग से विकिपीडिया के संपादक नाखुश हैं और अपने कबाल के लोगों को एक्सपोज होते देखना रास नहीं आया।
सबसे हैरानी की बात तो ये है कि इस लिस्ट में हमारे वेबसाइट rightlog.in का भी नाम है जोकि tfipost का पुराना नाम था जिसे अब बदल दिया गया है।
यह समझने में देर नहीं लगनी चाहिए कि विकिपीडिया ने भारत के शीर्ष दक्षिणपंथी मीडिया आउटलेट्स को ब्लैकलिस्ट क्यों किया हुआ है। इसका एकमात्र कारण है Wikipedia में बैठे लेफ्ट लिबरल कबाल के संपादक और इसके कंट्रीब्यूटरी जो Wikipedia में अपना योगदान देते हैं।
यदि वे हमारे लिंक को स्रोतों के रूप में उपयोग करने की अनुमति देने लगेंगे तो लेफ्ट लिबरल के सदस्यों की विकिपीडिया पर पोल खुल जाएगी जो वो नहीं चाहते हैं।
उदाहरण के लिए दिल्ली दंगों का मामला देखते हैं। जब इन दंगों की रिपोर्टिंग हुई तब सभी पोर्टल ने अपने अपने तरीके से इसे कवर किया। राइटविंग पोर्टल और स्वयं को लिबरल कह कर फेकन्यूज़ फैलाने वाले पोर्टल्स दोनों ने इसकी रिपोर्टिंग की। लेकिन जब दिल्ली दंगों का विकिपीडिया पेज बनाया गया तो इसमें सिर्फ source के रूप में सिर्फ लिबरल पोर्टल को ही दिया जा सकता किसी राइटविंग पोर्टल की नहीं।
ऐसे में ये सभी फेक न्यूज़ फैलाने वाले वेबपोर्टल्स को चुनौती नहीं मिल पाती है और वे झूठ पर झूठ फैलाना जारी रखते हैं। यही कारण है कि, पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान, विकिपीडिया के पेज को मुस्लिम विरोधी के रूप में चित्रित किया जा सका। यही नहीं मुस्लिमों द्वारा पेट्रोल बम और पत्थर से हमला तथा अंकित शर्मा की हत्या पर पर्दा डालने की कोशिश की गयी। अगर TFIPOST, स्वराज्य और Opindia इन तीनों को ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया होता तो शायद लोगों तक विकिपीडिया के जरीये सही जानकारी और मुस्लिम भीड़ की बर्बरता के बारे में पता चलता। हास्यास्पद बात तो यह है कि दिल्ली दंगों के इस विकिपीडिया पेज पर New York Times की रिपोर्टिंग है।
आज अगर दिल्ली दंगों के विकिपीडिया पेज को मुस्लिम विरोधी पेश किया गया है तो यह सिर्फ इन तीनों बड़े राइट विंग पोर्टल्स की ब्लैकलिस्टिंग के कारण। आप स्वयं हमारे किसी URL को source की तरह इस्तेमाल कर किसी भी Wikipedia को एडिट करने की कोशिश कर सकते हैं।
यह सभी को पता है कि विकिपीडिया पर लगभग कोई भी बिना लॉग इन किए इसके पेज को संपादित कर सकता है। लेकिन “शीर्ष-संपादकों” द्वारा उस एडिट को मिनटों में अस्वीकार कर दिया जाता है।
लेकिन हमें विकिपीडिया द्वारा ब्लैक लिस्टेड क्यों किया गया है? इसका मुख्य कारण विकी पृष्ठों पर source के रूप में लोगों द्वारा TFIPOST, OpIndia या स्वराज्य का उपयोग करने से रोकना है।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि विकिपीडिया ने वास्तव में फेक न्यूज़ फैलाने वाले किसी भी पोर्टल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। यही नहीं फ़ैक्ट चेक के नाम पर प्रोपोगेंडा फैलाने वाले वेबसाइटों और उनके संस्थापकों को तो ये source मानता है।
पर घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इन तीनों ही पोर्टल्स में से कोई भी लेफ्ट लिबरल कबाल को एक्सपोज करने से कभी पीछे नहीं हटता।
यह मामला स्पष्ट संकेत देता है कि वामपंथियों ने अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किस तरह लगभग हर उल्लेखनीय संस्थान में घुसपैठ कर रखा है। विकीपीडिया वामपंथियों और लिबरलों का गढ़ बन गया है, जहां कोई भी आता है और छीछालेदर करके चला जाता है। और यहां किसी भी लेख को इतने शातिर तरीके से लिखा जाता है कि पहली बार पढ़ने वालों को यह दुनिया का परम सत्य लगेगा। विकीपीडिया का वास्तविक सच अब सामने आ गया है। ऐसे में अगर आप भी विकीपीडिया पेज पर लिखा कोई आर्टिकल पढ़ रहे हों तो उसे जरुर एक बार क्रॉस चेक कर लें, वरना आप भी वामपंथियों के काल्पनिक साहित्य को सार्वभौमिक सत्य मान बैठेंगे।