वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट कॉपर प्लांट को फिर से मद्रास हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने तामिलनाडु सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए तूतीकोरिन स्थित कंपनी की स्टरलाइट कॉपर प्लांट (स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर प्लांट) को दोबारा खोलने की अनुमति नहीं दी है।
वेदांता ने मद्रास हाईकोर्ट में इस प्लांट को दोबारा खोलने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की थी। परंतु अब कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के इसे बंद करने के फैसले को सही बताते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है।
हालांकि, वेदांता ने हार नहीं मानी है और मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि मई, 2018 में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद तमिलनाडु सरकार ने इस प्लांट को बंद कर दिया था। इस प्लांट को लेकर मई, 2018 में बड़े स्तर पर प्रदर्शन होने लगे थे। कुछ एजेंडावादी पर्यावरणविदों ने तब इस प्लांट के खिलाफ जमकर हिंसक प्रदर्शन करवाए थे। विरोध- प्रदर्शन के दौरान भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई। माना जाता है कि इन प्रदर्शनों को जानबूझकर करवाए गए थे जिसकी फंडिंग चीनी कंपनियों और विदेशी एनजीओ द्वारा किया जा रहा था।
तब स्टरलाइट कॉपर की मालिकाना कंपनी, वेदांत समूह ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया था कि स्टरलाइट के खिलाफ चले इस प्रदर्शन को चीनी कंपनियों द्वारा वित्त पोषित किया गया था जो संयंत्र के बंद होने से लाभान्वित हो रहे हैं। इन कंपनियों ने स्टरलाइट के खिलाफ आंदोलन और विरोध को इतना भड़का दिया कि पुलिस को गोली चलानी पड़ी। चीन ने इस सयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की फौज खड़ी कर दी जिसके दबाव में आकर तत्कालीन राज्य सरकार को इसे बंद करना ही पड़ा। यह हैरानी की बात है कि एंटी-स्टरलाइट प्रदर्शनकारियों ने 22 मई 2018 को कंपनी को बंद करने की मांग के विरोध में 20,000 से अधिक लोगों को इकट्ठा करने में कामयाब रहे थे।
इतना ही नहीं, इन प्रदर्शनों में नक्सलियों ने भी प्रदर्शन किया था। कुछ प्रदर्शनकारियों के तार तो कमल हासन और चर्च से जाकर मिल रहे थे। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार एक प्रदर्शन के दौरान तकरीबन 20 हजार लोगों का हुजूम एक चर्च के पास एकत्र हुआ था। स्वराज मैगज़ीन ने इससे पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, इस इलाके में स्थित चर्च ने अपने सदस्यों से इस प्रदर्शन में शामिल होने को कहा था।
तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने से भारत 18 वर्षो के बाद रिफाइंड कॉपर के आयातक देशों में शामिल हो गया है। वित्त वर्ष 2017-18 तक भारत कॉपर कैथोड का शुद्ध निर्यातक हुआ करता था, लेकिन स्टरलाइट प्लांट के बंद होने से स्थिति बदल गई है। प्लांट के बंद होने से लगभग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 3 बिलियन डॉलर नुकसान होने की उम्मीद थी। संयंत्र के बंद होने के कारण देश भर में और मुख्य रूप से तमिलनाडु में 400 से अधिक व्यवसाय प्रभावित हुए और घरेलू मांग चीन से आयात से भर गई है।
भारत अगले कुछ वर्षों में तांबे का एक प्रमुख निर्यातक बनने जा रहा था, लेकिन संयंत्र के बंद होने से देश को चीन से धातु आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत के कॉपर निर्यात में 87.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, वहीं इसी अवधि के दौरान आयात में 131.2 फीसद का इजाफा हुआ। भारत के कुल कॉपर निर्यात में स्टरलाइट कॉपर यूनिट कंपनी की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हुआ करती थी, लेकिन इसके बंद होने के बाद अब भारत को कॉपर जापान, कांगो, सिंगापुर, चिली, तंजानिया, यूएई और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से आयात करना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार को अब स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी राज्य सरकार ऐसे देश के हित के खिलाफ किसी उद्योग को बंद न करा दे। हर फैसले से पहले देश का हित देखा जाना चाहिए। केंद्र सरकार को हस्तक्षेप कर इसके पीछे की साज़िशों की गहराई से जांच करवानी चाहिए।