इन दिनों भारत की राजनीति में यदि किसी का सिक्का सबसे अधिक चल रहा है तो वह है AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का। जब से उनकी पार्टी ने बिहार में 5 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया है, तभी से राष्ट्रीय राजनीति में उनका प्रभाव काफी बढ़ गया है। अब जब ये स्पष्ट हो चुका है की असदुद्दीन ओवैसी बंगाल के विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आज़माएंगे, तो अटकलें लगाई जा रही हैं कि ओवैसी राजस्थान में भी अपना सिक्का जमाने का प्रयास करेंगे। इस खबर ने अब कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है।
हिंदुस्तान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, “सूत्रों के मुताबिक बंगाल चुनावों के बाद औवेसी राजस्थान में अपनी पार्टी के अध्यक्ष का ऐलान कर सकते हैं। ओवैसी के लिए यहां एक बड़ी सभा बुलाने की तैयारी सोशल मीडिया के जरिए की जा रही है”। इसका अर्थ है कि जल्द ही राजस्थान में AIMIM पार्टी अपनी सक्रियता बढ़ा सकती है।
कभी तेलंगाना के हैदराबाद तक सीमित रही AIMIM ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 5 सीटों पर विजय प्राप्त की। इसके अलावा उनकी पार्टी ने कांग्रेस और आरजेडी के वोट बैंक में भी जबरदस्त सेंध लगाई, क्योंकि जब मुसलमानों के हितों के लिए लड़ने वाली एक वास्तविक पार्टी मैदान में है तो भला मुस्लिम वोटर्स अल्पसंख्यक कार्ड खेलने वाले नेताओं को प्राथमिकता क्यों देंगे?
अब इससे राजस्थान कांग्रेस को क्या नुकसान होगा? सत्ताधारी पार्टी ओवैसी का संभावित राजस्थान आगमन चिंता की बात है क्योंकि यहां करीब 40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर अपना प्रभाव रखते हैं, जिनमें से 10 पर फिलहाल मुस्लिम विधायक हैं। इन सीटों पर वर्षों से कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा है, और अब तक यहां के वोट कांग्रेस के खाते में जाते रहे हैं। एआईएमआईएम यदि राजस्थान में भी अपने पैर पसार लेती है तो कांग्रेस के इस वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की आशंका है।
इसके पीछे एक अहम कारण है – राजस्थान कांग्रेस में मुसलमानों की कथित अनदेखी। हिंदुस्तान की ही रिपोर्ट के अनुसार, “..निकाय चुनावों में टिकट नहीं मिलने और महापौर को लेकर मुस्लिम संगठनों की नाराजगी को देखते हुए ही कांग्रेस के कई असंतुष्ट मुस्लिम नेता औवेसी से संपर्क कर रहे हैं। प्रदेश में मौजूदा समय में 10 मुस्लिम विधायक हैं और ये सभी फिलहाल कांग्रेस के सदस्य हैं। इसमें एक विधायक सालेह मोहम्मद सरकार के कैबिनेट मंत्री भी हैं”।
अब राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस के पास इस समय 105 सीटें है, यानि बहुमत से 4 सीटें ज्यादा। ऐसे में यदि कांग्रेस के 10 विधायक ओवैसी के साथ जाते हैं तो राजस्थान सरकार अल्पमत में आ जायेगी। यदि कांग्रेस किसी तरह वर्तमान हालात को संभाल लेती है तो भी आने वाले चुनाव यानि 2023 के चुनावों में उसे बहुत भारी नुकसान होना तय है।
तो इससे किसको सबसे अधिक फायदा होगा? AIMIM के राजस्थान से जो सेक्युलर वोट एकमुश्त तरह से कांग्रेस को जाते थे, उनमें अब AIMIM पार्टी सेंध लगाएगी। स्पष्ट है यहां ओवैसी की पार्टी का कद बढ़ेगा और राजस्थान में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। जब भी किसी राज्य में मुकाबला त्रिकोणीय हुआ है, तब तब भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया है। उदाहरण के लिए बिहार को ही देख लीजिए। पहले यह लड़ाई केवल नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के गठबंधन दलों के बीच दिखाई दे रही थी, लेकिन ओवैसी के आगमन से पासा पूरी तरह पलट गया, जिसका सर्वाधिक लाभ भाजपा को ही मिला। अब जब AIMIM ने राजस्थान में सेंध लगाने का खाका बुना है, तो आगामी चुनावों में उनकी पार्टी की मौजूदगी बीजेपी की जीत सुनिश्चित करेगी परन्तु कांग्रेस को यहां भी बड़ा घाटा होगा।