कोरोना महामारी ने जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया तब भी गिरती GDP के बावजूद भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा था l हालांकि विदेशी निवेश मुख्यतः कम्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में रहा, जिसमें सबसे बड़ा योगदान रिलायंस जियो का रहा l कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र के बाद सबसे अधिक निवेश सर्विस सेवटर में हुआ है l होटल, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, ट्रेडिंग सेक्टर में निवेश कम रहा है जिसका एक कारण, लॉकडाउन के दौरान इनका बन्द रहना भी है l महामारी का सबसे अधिक लाभ टेक कंपनियों को हुआ है, यही कारण रहा है कि जियो में सबसे अधिक निवेश देखने को मिला है l
अप्रैल से जून के बीच भारत में 11.5 बिलियन डॉलर का जबकि जुलाई से सितंबर के बीच 28.1 बिलियन डॉलर का निवेश आया, अतः 2020-21 के वित्तीय वर्ष के प्रथम छमाही में भारत में कुल 39.6 बिलियन डॉलर का कुल निवेश हुआ l इसमें से 30 बिलियन डॉलर का निवेश इक्विटी के रूप में हुआ है l जो बताता है कि जिन कंपनियों ने निवेश किया है उनकी नजर वर्तमान परिस्थितियों पर नहीं बल्कि भविष्य में बनने वाली सम्भावनाओं पर है l भारत में डिजिटलाईजेशन तेजी से बढ़ रहा है, जियो, भारत में 5G क्रांति की योजना पर कार्य कर रहा है, जिसके कारण इक्विटी निवेश का सबसे अधिक लाभ उसे ही हुआ है l
एक चिंताजनक बात यह है कि निवेश केवल एक सेक्टर में अत्यधिक केंद्रित है l सॉफ्टवेयर सेक्टर को कुल निवेश का 58 प्रतिशत मिला है l जबकि सरकार ने आकर्षिक टैक्स रेट के जरिये निवेश बढ़ाने की योजना बनाई थी l किंतु महामारी के कारण अब तक इसका विशेष लाभ दिखाई नहीं दे रहा l एक बड़ी कॉरपोरेट सलाहकार फर्म Avocado Ventures के मैनेजिंग पार्टनर, महेंद्र स्वरूप ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा “निवेश वास्तविक के बजाए डिजिटल एसेट बनाने के लिए हो रहा है l यह विनिर्माण क्षेत्र में नहीं आ रहा, ये उन क्षेत्रों में नहीं आ रहा जहाँ सरकार की इच्छा हैl”
देखा जाए तो मोदी सरकार ने सितंबर 2019 में कॉरपोरेट टैक्स कम किये थे, जिसके जरिये निवेश आकर्षित करने की योजना थी l किंतु मार्च 2020 से ही दुनिया लॉकडाउन झेल रही है l किंतु अब भविष्य में इन परिस्थितियों के बदलने की उम्मीद जताई जा सकती है, जिसका एक बड़ा कारण सरकार की PLI योजना है l PLI योजना मार्च में लागू हुई है, जिसे पहले चिकित्सा उपकरणों, मोबाइल फोन और निर्दिष्ट सक्रिय दवा सामग्री के लिए लागू किया गया था l इसका उद्देश्य विदेशी देशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना था l अब इसे सौर्य ऊर्जा, टेक्सटाइल जैसे कुल 10 क्षेत्रों में लागू किया गया है l
साथ ही सरकार जिस तेजी से डिफेंस सेक्टर को बढ़ावा दे रही है, उम्मीद है कि भारत में जल्द ही विनिर्माण क्षेत्र में भी तेजी से निवेश होगा l कोल सेक्टर में भी जो सुधार लागू किये गए हैं उनके चलते निवेश बढ़ने की संभावना है l
आज वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही है इसके बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास एक अच्छा संकेत है l हाल ही में UN ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वर्ष 2021 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा l निवेशकों का विश्वास इस बात की उम्मीद को और मजबूत करता है l