जिस प्रकार भारत ताबड़-तोड़ तरीके से अपने वैक्सीन-मैत्री अभियान के तहत दुनियाभर के देशों में वैक्सीन सप्लाई कर रहा है और अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, उसने यूरोप के देशों को चिंतित कर दिया है। शायद यही कारण है कि अब यूरोप के देश भारत और अफ्रीका के उस प्रस्ताव का खुलकर विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत वैक्सीन सप्लाई करने हेतु सभी प्रकार के Intellectual Property Rights को किनारे कर छोटे और गरीब देशों को भी कम से कम कीमत में वैक्सीन प्रदान की जा सकती है। भारत की मांग है कि वैक्सीन से जुड़े Intellectual Property Rights के प्रावधानों पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी जाये ताकि दुनियाभर की सभी प्रकार की वैक्सीन का सस्ते दरों पर उत्पादन कर उन्हें गरीब और पिछड़े देशों को भी बांटा जा सके। हालांकि, यूरोप को भारत का ये प्रस्ताव पसंद नहीं आया है और यूरोप के देशों ने खुलकर भारत का विरोध किया है।
इतना ही नहीं, यूरोप ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने यहां ऐसा कानून लागू कर दिया है जिसके तहत कोई भी वैक्सीन निर्माता यूरोप के देशों में वैक्सीन सप्लाई करने के बाद ही उसे एक्सपोर्ट कर पाएगा। यानि वैक्सीन के मामले में यूरोप के देशों ने गरीब और पिछड़े देशों के हितों को नकारते हुए “Europe First” के नारे को बुलंद कर दिया है। यूरोप के इस फैसले का अफ्रीकी और कैरीबियाई देशों ने जमकर विरोध किया है। कैरीबियाई देशों समेत कोलम्बिया, कोस्टा रिका और पनामा जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों ने यूरोप की आलोचना करते हुए कहा है कि यूरोप के देश IPR और trade secrets का बहाना बनाकर जान-बूझकर हमारे लिए वैक्सीन की किल्लत पैदा कर रहे हैं।
दूसरी ओर इन देशों ने वैक्सीन सप्लाई करने के लिए भारत का धन्यवाद किया है। कैरीबियाई देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे St Lucia ने भारत के लिए कहा “भारत और PM मोदी की दरियादिली के कारण Barbados और Dominica को 1 लाख 70 हज़ार वैक्सीन प्रदान करने के लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं।” बता दें कि भारत ने 5 कैरीबियाई देशों को अलग से 1 लाख 75 हज़ार वैक्सीन भी प्रदान की हैं।
इतना ही नहीं, भारत अपने वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत अन्य देशों को अब तक 4 करोड़ 64 लाख वैक्सीन डोज़ एक्सपोर्ट कर चुका है। स्पष्ट है कि भारत वैक्सीन प्रदान करने के मामले में अपने साथ-साथ दुनिया के सभी देशों को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है।
भारत ने सफल वैक्सीन डिप्लोमेसी के कारण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, और एशियाई देशों में अपना प्रभवा बढ़ाया है। भारत ने Serum Institute of India द्वारा निर्मित AstraZeneca की वैक्सीन को दुनियाभर के कई देशों में export किया है। इसके साथ ही भारत बायोटेक द्वारा निर्मित भारतीय वैक्सीन Covaxin की 81 प्रतिशत efficacy सिद्ध होने के बाद इस वैक्सीन के export बढ़ने के आसार हैं। ऐसे में भारत जहां अपनी वैक्सीन डिप्लोमेसी को लेकर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है, उसने यूरोप के देशों में चिंता पैदा कर दी है। यूरोप के देशों को फिक्र हैं कि अगर वैक्सीन पर से Intellectual Property Rights को हटा दिया गया, तो भारत को इन वैक्सीन्स का उत्पादन करने का free hand मिल जाएगा और इससे भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी को जोरदार बूस्ट मिलेगा। हालांकि, भारत का सफल वैक्सीन मैत्री अभियान शायद ही यूरोप के देशों को भारत की वैक्सीन कूटनीति के विजय रथ को रोकने में कोई सफलता प्राप्त होने दे।