भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को लेकर पिछले कुछ समय से वामपंथियों द्वारा बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है। दरअसल, उन्होंने हाल ही में ट्विटर पर टाटा अस्पताल के एक विशेषज्ञ डॉ चतुर्वेदी का ब्लॉग शेयर किया। अपने ब्लॉग में डॉक्टर चतुर्वेदी ने Lancet के उस विवादित लेख को जांच परखकर उसके खोखले दावों की धज्जियां उड़ाई थी, जिसमें Lancet की एक चीनी लेखक ने भारत में कोरोना त्रासदी के लिए अकेले PM मोदी को जिम्मेदार ठहराया था। परन्तु चूंकि उक्त डॉक्टर के ब्लॉग की थंबनेल पिक्चर के लिए एक बिल्ली की फोटो इस्तेमाल की गयी थी, इसलिए वामपंथियों ने अपनी निकृष्टता दिखाते हुए उस ब्लॉग का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।
The article literally has a sad cat face for a thumbnail. Thodi toh garima banaye rakho apni designation ki!!
— Shruti Chaturvedi 🇮🇳 (@adhicutting) May 17, 2021
जी हाँ, वामपंथियों ने उस ब्लॉग में बताए गए तथ्यों को परे रख सिर्फ उस थंबनेल के कारण ही लेख के औचित्य को स्वीकारने से मना कर दिया। उक्त ब्लॉग को ट्विटर पर शेयर करते हुए डॉ हर्षवर्धन लिखते हैं, “Lancet के पक्षपाती संपादकीय की धज्जियां उड़ाता है यह लेख। निस्संदेह कोविड 19 की दूसरी लहर ने विकराल रूप धारण कर लिया था, परंतु ये भी जरूरी था कि इसका विश्लेषण करते वक्त आप राजनीतिक रूप से प्रेरित बयानबाजी से बचते” –
A fair rebuttal to the imbalanced editorial in The Lancet titled ‘India’s Covid19 emergency’ published on May 8th.
While the Covid crisis did assume alarming proportions in India, it was indeed important to remain politically unbiased for a reputed journalhttps://t.co/k2L4dtwe7O— Dr Harsh Vardhan (Modi Ka Pariwar) (@drharshvardhan) May 17, 2021
लेकिन Lancet ने ऐसा भी क्या लिखा था, जिसके कारण भारत सरकार को उसपर आपत्ति जतानी पड़ी? एजेंडावादी संस्था Lancet ने अपने विवादित लेख में वुहान वायरस की दूसरी लहर के लिए सारा ठीकरा नरेंद्र मोदी की सरकार और हिन्दुत्व पर फोड़ने का प्रयास किया। एक मेडिकल जर्नल होते हुए भी Lancet ने ऐसे शब्दों का उपयोग किया, जिसके लिए आम तौर वामपंथी काफी कुख्यात हैं। हालांकि, ये कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि यह वही Lancet है, जिसने पिछले वर्ष भारत द्वारा Hydroxychloroquine बांटे जाने पर संदेह भी जताया था और भारत का मज़ाक भी उड़ाया था। जिस वक्त पूरी दुनिया में भारत की HCQ की मांग तेजी से बढ़ती जा रही थी, Lancet एक एजेंडावादी लेख लेकर सामने आया जिसमें HCQ को बेअसर सिद्ध कर दिया गया। हालांकि, बाद में Lancet को वह अपना रिसर्च पेपर वापस लेना पड़ा था।
ऐसे में जब स्वास्थ्य मंत्री ने एक ब्लॉग शेयर किया, जो इन वामपंथियों और Lancet के सारे खोखले दावों की धज्जियां उड़ाता हो, तो भला वामपंथी कैसे बर्दाश्त करते? क्योंकि वे तथ्यों के आधार पर उस लेख का मुकाबला नहीं कर सकते, इसीलिए उन्होंने उस ब्लॉग का सिर्फ इसलिए उपहास उड़ाया, क्योंकि उस ब्लॉग के थंबनेल में एक बिल्ली के बच्चे की फोटो थी।
उदाहरण के लिए विद्या कृष्णन के इस ट्वीट को पढिए। वे लिखती हैं, “आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ हर्षवर्धन उसी WHO के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जिसको भारत अक्सर निशाने पर लेता है”।
FYI, @drharshvardhan (seen here fighting with Lancet) continues to head @WHO 's executive board.@DrTedros https://t.co/BsaCCOp9uq
— Vidya (@VidyaKrishnan) May 18, 2021
लेकिन वे अकेली नहीं थी। कथित फिल्म क्रिटिक और वामपंथी ट्विटर यूजर सुचारिता त्यागी ने व्यंग्यात्मक लहजे में ट्वीट करने का प्रयास करते हुए लिखा, “अरे, इस पंकज चतुर्वेदी के ब्लॉग को पढ़ने के बाद Lancet ने अपना बोरिया बिस्तर समेटने का निर्णय कर लिया। देखो तो, जाने कैसे कैसे लोग Lancet को चुनौती देने चलते हैं” –
Lancet has decided to wrap up their business after reading Pankaj Chaturvedi’s blogpost rebuttal with a sad cat thumbnail. Serves you right for trying to science Lancet! https://t.co/vxPm3rKnk9
— Sucharita (@Su4ita) May 18, 2021
Ah pankajchaturvedithoughts, the authority on all things medicine. https://t.co/aisU68qthB
— Prajwal (@VadacurryNayaka) May 17, 2021
https://twitter.com/pitaji_ki_gufa/status/1394542242962886657?s=20
https://twitter.com/ilooseoften/status/1394575003065065472?s=20
लेकिन इनमें से किसी ने भी डॉ चतुर्वेदी के लेख को उनके तथ्यों के आधार पर घेरने का प्रयास नहीं किया गया। चाहे Lancet के विवादित लेख की Author का चीन से संबंध होने का तथ्य हो, या फिर उसके विवादित डेटा सैंपल का; डॉ पंकज चतुर्वेदी ने अपने विश्लेषण में Lancet के पक्षपाती रवैये की धज्जियां उड़ा दी। अगर इनमें से किसी ने भी इस लेख को पढ़ने की जहमत उठाई होती, तो उन्हें पता चलता कि कैसे भारत की Fatality Ratio अमेरिका, फ्रांस, इटली और जर्मनी जैसे सर्वाधिक पीड़ित देशों से कहीं पीछे हैं, और क्यों भारत की रिकवरी रेट दुनिया में सर्वोत्तम है।
बड़े बुजुर्ग सही कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीते बुद्धि’। मोदी विरोध में अंधे हो चुके ये वामपंथी अब इतने अंधे हो चुके हैं कि एक ब्लॉग के थंबनेल के आधार पर उसका उपहास उड़ाते हैं। ये कुछ ऐसा ही है कि आप पुस्तक के कवर को देखकर उसके बारे में अपने विचार प्रचारित करना शुरू कर दें! आखिर इन एजेंडावादी वामपंथियों से उम्मीद भी क्या की जा सकती है।