वर्ष 2015 में अमेरिका के ओबामा प्रशासन ने इज़रायल के सबसे कट्टर दुश्मन ईरान के साथ Joint Comprehensive Plan of Action यानि JCPOA पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद वर्ष 2018 में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते को रद्द कर दिया था और बदले में ईरान पर कई प्रतिबंध भी लगा दिये थे। ट्रम्प का कहना था कि इस JCPOA समझौते की आड़ में ईरान अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम आगे बढ़ा रहा था। अब जब अमेरिका में दोबारा Democrats की सरकार बनी है, तो जो बाइडन वापस ईरान के साथ JCPOA समझौता करने पर अड़े हैं। ऐसे में ईरान के सबसे कट्टर दुश्मन इज़रायल ने अब अमेरिका के नाम “अंतिम चेतावनी” जारी कर दी है।
दरअसल, इजरायली डिफेंस फोर्सेस यानि IDF के अध्यक्ष (चीफ़) ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल Aviv Kohavi ने अमेरिका की धरती पर जाकर अमेरिका को सबसे बड़ी चेतावनी जारी की है। IDF के अध्यक्ष द्वारा सार्वजनिक तौर पर अमेरिका की विदेश नीति की आलोचना करना कोई सामान्य बात नहीं है। हालांकि, जिस प्रकार अमेरिका खुलेआम ईरान के साथ समझौता कर इज़रायल के “अस्तित्व” के लिए खतरा पैदा कर रहा है, उसने इज़रायल को अब ऐसी धमकी देने पर मजबूर कर दिया है।
IDF द्वारा जारी बयान के अनुसार, “IDF के अध्यक्ष ने अमेरिकी पक्ष से मुलाक़ात कर मौजूदा समझौते की शर्तों की कमियों के बारे में आगाह किया। हमने बताया कि ईरान किस प्रकार इस समझौते की आड़ में अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को आगे बढ़ा सकता है और आने वाले कुछ सालों में Uranium की मात्रा और गुणवत्ता को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकता है। इसके साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि मौजूदा स्थिति में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को मॉनिटर कर पाना भी बेहद मुश्किल है और इस प्रोग्राम में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है।” आगे बयान में IDF के अध्यक्ष ने अमेरिका को चेताया कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गयी तो यह क्षेत्र के लिए बेहद खतरनाक होगा।
बता दें कि IDF के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल Kohavi अभी अमेरिका की 4-दिवसीय यात्रा पर हैं जहां वे बाइडन प्रशासन के उच्चाधिकारियों से मुलाक़ात कर रहे हैं। वे रक्षा मंत्री Lloyd Austin, NSA Jake Sullivan, सेनाध्यक्ष Mark Milley, अमेरिकी सेंट्रल कमांड के अध्यक्ष Gen Kenneth Mckenzie और अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन कमांड के अध्यक्ष Gen Richard Clark से मुलाक़ात कर रहे हैं। इससे पहले वे जनवरी में IDF को यह निर्देश दे चुके हैं कि अगर ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को इसी प्रकार आगे बढ़ाकर इज़रायल के लिए खतरा पैदा करता है, तो हमें ईरान को निशाना बनाने के लिए एक रणनीति पर काम करना होगा।
हाल ही में हमास के साथ युद्ध के दौरान IDF ने हमास के आतंकियों को धूल चटाई है और ऐसे में बाइडन प्रशासन के अधिकारियों से मुलाक़ात के दौरान उनका हाथ ऊपर रहने की संभावना है। IDF के अध्यक्ष जनरल Kohavi का एक और साफ संदेश यह भी है कि बेशक Netanyahu सत्ता से बाहर हो गए हों लेकिन उनकी विरासत को इज़रायल में कोई भूला नहीं है। IDF के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री Netanyahu के साथ बेहद नजदीकी सहयोग कर चुके हैं और ऐसे में IDF के अध्यक्ष जनरल Kohavi यह सुनिश्चित करेंगे कि ईरान के किसी भी इज़रायल-विरोधी कदम का मुंहतोड़ जवाब दिया जाये।
अब गेंद बाइडन प्रशासन के पाले में है। अगर बाइडन चाहें तो अब भी अपनी JCPOA डील के साथ आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन इसके नतीजे में वे पश्चिम एशिया को आग के हवाले कर बैठेंगे। ईरान के पास न्यूक्लियर हथियार होने का मतलब है इज़रायल पर अस्तित्व का खतरा बढ़ना और ऐसे में इज़रायल अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी हद तक जाएगा, फिर चाहे वह ईरान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करना ही क्यों न हो!