धार्मिक कथा (DHARMIK KATHA) का हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व है। वैदिक काल से जुड़ी सभी कथाओं का संग्रह अपने धर्म के प्रति व्यक्ति का एकात्म जुड़ाव सुनिश्चित करता है। यह इन कथाओं का ही परिणाम है जो हिन्दू संस्कृति को विश्वभर में इतना प्रचलित और आत्मसात करने वाली संस्कृति बनाता है।
जिन कथाओं का प्रभुत्व सबसे ज़्यादा आभामंडल में गुंजायमान है उनमें से प्रमुखतः संस्कृत-महाभारत, रामायण, पुराण, तमिल-संगम साहित्य समेत अनेक अन्य कृतियाँ उल्लेखनीय हैं।
संस्कृत की अधिकांश सामग्री महाकाव्यों के रूप में सुरक्षित है। धार्मिक कथा (DHARMIK KATHA) के अतिरिक्त इन महाकाव्यों में तत्कालीन समाज, दर्शन, संस्कृति, धर्म तथा जीवनचर्या पर विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। वैदिक धर्म को अपने धार्मिक विप्रकृतिपरक कहा गया है, क्योंकि इस धर्म में मुख्य रूप से प्राकृतिक शक्तियों एवं घटनाओं की पूजा की जाती थी, हालाँकि यह पूर्णत कही कथा या वैदिक शास्त्र नहीं है।
आध्यात्मिक उपदेशों में कथा-साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। धार्मिक कथा (DHARMIK KATHA) द्वारा जो सत्य प्रत्यक्ष ढंग से नहीं बताया जा सकता, वह कहानी के संकेतों से बताया जा सकता है।
काव्यात्मक, प्रतीकात्मक तरीके से उपमाओं से अवर्णनीय की ओर इशारा संभव है। पानी को निचली सतह की ओर बहने के लिए कोई प्रयास नहीं करना पड़ता। यही बात मनुष्य के साथ भी है। उसे ऊपर उठाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ता है। इस प्रयास में निरंतरता का होना भी आवश्यक है।
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बोध-कथाएं जीवन के वास्तविक मूल्यों की जानकारी देकर सतत प्रयास के लिए प्रेरित करती हैं। शास्त्र सिद्धांतों की विवेचना करता है, इसलिए प्रायः वह सामान्य मानस की पकड़ से दूर रह जाता है।
धार्मिक कथा (DHARMIK KATHA) का अर्थ है प्राचीन कथाओं का विशद वर्णन। भारतीय जनमानस और विश्व जनमानस पर पौराणिक साहित्य और चरित्रों का बहुत गहन प्रभाव परिलक्षित होता है। पुराण विश्व साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। उनमें लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं।
पुराणों से पहले वेदों ने भारतीय जनमानस को विश्वगुरु बनाया था। वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है। इस कारण पुराणों का सृजन हुआ पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं।
उनमें जटिल तथ्यों को धार्मिक कथा (DHARMIK KATHA) के माध्यम से समझाया गया है। पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, विज्ञान तथा अन्य विषय हैं। विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवा-देवताओं, राजाओं, और ऋषि-मुनियों के साथ साथ जन साधारण की कथाओं का भी उल्लेख किया गया हैं जिस से पौराणिक काल के सभी पहलुओं का चित्रण मिलता है। इन्हीं कथाओं को सनातन धर्म में हम धार्मिक कथाओं में सुनते हैं।