दुनिया में महाभिखारी देश कौन सा है? संसार के किसी भी कोने में, किसी भी जगह इस सवाल को पूछा जाए तो उत्तर एक ही आएगा। यह तो अब एक प्रकार से सार्वभौमिक सत्य होने जा रहा है कि पाकिस्तान से बड़ा भिखमंगा कोई नहीं है। पैसा ले लेकर, उसकी हालत यह हो चुकी है कि वह जब इस बार अपने लिए कर्ज लेने गया, तब पैसा देने वालों ने सीधे हाथ जोड़कर माफी मांग ली है।
हुआ यह कि पाकिस्तान फिर कटोरा लेकर IMF पहुंचा लेकिन IMF ने उसे वित्तीय सहायता देने से सीधे मना कर दिया है। पाकिस्तान में चल रहे वित्तीय संकट के बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने इस्लामाबाद के केंद्रीय बैंक से उधार लेने के लिए दरवाजा खोलने के अनुरोध को खारिज कर दिया है। और तो और, उसने तो यह भी कह दिया है कि वह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की किसी भी सार्थक जवाबदेही पर भी सहमत नहीं है।
IMF ने की पाकिस्तान की घनघोर बेइज्जती
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि “वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान (IMF) स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की किसी भी सार्थक जवाबदेही पर सहमत नहीं था और इसके चलते उसने यह अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती शुरू की है।”
IMF ने पाकिस्तान सरकार के चालू वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2 प्रतिशत के बराबर ऋण लेने की अनुमति देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है कि “IMF ने पाकिस्तान के भीख मांगने के तर्क पर भी चोट किया है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा ऐसा कहा जाता है कि अपने कार्यों के लिए वित्तपोषण ऋण लेना पाकिस्तान का संवैधानिक अधिकार है।”
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रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया है कि “IMF कार्यक्रम के तहत सितंबर 2022 तक स्टेट बैंक से सरकारी उधारी पर प्रतिबंध है” लेकिन सरकार अब हार मान चुकी है और कानून के जरिए इस दरवाजे को स्थायी रूप से बंद करने पर सहमत हो गई है। मतलब इस प्रकार की हालत के क्या ही कहने हैं? ये तो ऐसी बेइज्जती है कि हंसने के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता है। छोटे खलीफ़ा इमरान खान बतियाने को तो बावन बीघा में पुदीना बोते हैं लेकिन हकीकत यह है कि उनको अब उधार भी नहीं दिया जा रहा है।
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हालांकि, IMF ने सोमवार को एहसान करते हुए घोषणा कर दी है कि “पाकिस्तान के साथ हफ्तों की बातचीत के परिणामस्वरूप इस्लामिक देश के लिए $6 बिलियन के आर्थिक खैरात को फिर से शुरू करने के लिए एक अस्थायी समझौता हुआ है।” अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, अब नए प्रस्ताव के तहत, IMF पाकिस्तान को लगभग 1 बिलियन डॉलर जारी करेगा। साल 2019 के बाद से कुल ऐसे उधार 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर लगभग 6 बिलियन डॉलर हो जाएगा।
सामने आया पाकिस्तान का 226 मिलियन डॉलर का घोटाला
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने कोविड -19 पर किए गए खर्च की ऑडिट रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें लगभग 226 मिलियन डॉलर का घोटाला स्पष्ट दिख रहा है। पाकिस्तान के महालेखा परीक्षक के निष्कर्षों में गलत खरीद, अपात्र लाभार्थियों को भुगतान, नकली बायोमेट्रिक्स के माध्यम से नकद निकासी और उपभोग के लिए यूटिलिटी स्टोर्स कॉर्पोरेशन द्वारा घटिया सामानों की खरीद को दिखाया गया है। ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, रक्षा मंत्रालय और अन्य सभी सरकारी विभागों को इमरान खान के कोविड राहत पैकेज से अपने हिस्से की कटौती मिली है। मार्च 2020 में, इमरान खान ने 1.24 ट्रिलियन रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज को मंजूरी दी थी। राहत पैकेज का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 महामारी को रोकना, नागरिकों को चिकित्सा और राहत प्रावधान और व्यापार और अर्थव्यवस्था को समर्थन देना था। AG की रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्त मंत्रालय ने पीएम के प्रोत्साहन पैकेज से 314 बिलियन रुपये कम का अनुदान जारी किया, जिसके कारण पाकिस्तान के नागरिक घोषित पैकेज का पूरा लाभ नहीं उठा सके। ” ट्रिब्यून (पाकिस्तान) के अनुसार, दिहाड़ी मजदूरों से किए गए 200 अरब रुपये की वित्तीय सहायता के वादे के विपरीत, केवल 16 अरब रुपये उनके बीच वितरित किए गए थे। कमजोर परिवारों को 150 अरब रुपये देने का वादा किया गया था लेकिन 145 अरब रुपये दिए गए। यूटिलिटी स्टोर्स का पैकेज 50 अरब रुपये का था लेकिन 10 अरब रुपये दिए गए थे। 100 अरब रुपये बिजली और गैस बिल का भुगतान करने का वादा किया गया था लेकिन वास्तविक भुगतान 15 अरब रुपये था।
बड़े आर्थिक संकट में है पाकिस्तान!
पाकिस्तान में बाहरी ऋण 2021 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 127,023 USD मिलियन हो गया है, जो 2021 की दूसरी तिमाही में 122,199 USD मिलियन था। GDP के अनुपात में उधार कितना है? इसपर जवाब देते हुए पाकिस्तान के मंत्रालय ने कहा कि, “कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के जवाब में यह स्पष्ट किया जाता है कि राष्ट्रीय कर्ज राजकोषीय घाटे के अनुरूप बढ़ा है।” हालांकि, सकारात्मक विकास यह है कि पाकिस्तान का सकल घरेलू उत्पाद पर कुल कर्ज 30 जून 2021 को घटकर जीडीपी का 83.50% हो गया है, जो 30 जून 2020 में 87.6% था।
पिछले साल अप्रैल 2020 में, IMF ने पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर आवंटित किए, ताकि उसे कोरोनोवायरस घातक वृद्धि के कारण हुए आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिल सके। अब और नए ऋण देने के लिए IMF चाहता है कि पाकिस्तान अपने बजट घाटे को और कम करे, बिजली और गैसोलीन की लागत बढ़ाए और मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से मुकाबला करे। हाल के हफ्तों में सरकार ने IMF के अधिकांश मानदंडों का पालन किया है लेकिन ऐसा करने से प्रधानमंत्री इमरान खान जनता के बीच बेहद अलोकप्रिय हो गए हैं, क्योंकि मुद्रास्फीति और महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों की कीमत आसमान छू रही है।
क्यों हुई पाकिस्तान की ऐसी हालत?
इसका सिर्फ 2 कारण है! अभिमान और भ्रष्टाचार। पाकिस्तान और IMF के बीच किसी समझौते पर पहुंचने में देरी पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण हुई। जब से खान ने पदभार संभाला है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनसे संपर्क करने से परहेज किया है।
इस साल खान ने सार्वजनिक रूप से अफगानिस्तान में ऑपरेशन के लिए वाशिंगटन को बेसों की आपूर्ति करने से इनकार कर दिया था। उस समय तो उसको अपना यार चीन लग रहा था लेकिन अब चीन में भी हालत गम्भीर है तो बाप की याद फिर आ गई है। एक तरफ ये बात है और दूसरी ओर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भ्रष्टाचार विरोधी संस्थान ने रावलपिंडी रिंग रोड परियोजना से जुड़े घोटाले की जांच शुरू कर दी है, जिसमें प्रधानमंत्री इमरान खान का भी नाम सामने आ रहा है।
रावलपिंडी रिंग रोड (RRR) परियोजना ने पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने पहले इमरान खान के साथ-साथ रावलपिंडी रिंग रोड परियोजना के घोटाले में कथित रूप से शामिल अन्य मंत्रियों से इस्तीफे की मांग की है।
पाकिस्तान को बर्बाद कर रहे हैं इमरान खान
सबूत सामने आए हैं कि इमरान खान और उस्मान बुजदार ने RRR परियोजना में कुछ झोलझाल किया है। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, “आरोप इतने घातक हैं कि जुल्फी बुखारी, जिनका नाम रिपोर्ट में संदर्भित किया गया था, उसने भी प्रधान मंत्री के विशेष सहायक के रूप में इस्तीफा दे दिया है।”
हाल ही में आई एक रिपोर्ट में इस घोटाले की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि 2017 में RRR परियोजना की शुरुआत के बाद से संपत्ति सौदों में 130 अरब रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है।
भारत से मदद मांग नहीं सकते क्योंकि अभिमान का सवाल है और चीन की तो अपनी ही हालत खस्ता है। अमेरिका से सम्बन्ध खराब हैं। मजहबी महत्वकांक्षा भी आसमां जितनी बड़ी है। इन सबके बीच यह कहना गलत नहीं होगा कि इमरान खान पाकिस्तान को इस कदर बर्बाद कर रहे है कि अब पाकिस्तान के पास कोई मित्र नहीं है। IMF द्वारा लात मारना इसी संबंधो के संकट का प्रमाण है।