भारत का कूटनीतिक संबंध दुनिया के कई देशों के साथ काफी बेहतर है। अमेरिका, रुस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देशों के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ भी भारत के संबंध बेहतर होते जा रहे हैं। वैश्किव स्तर पर भारत की बढ़ती पहुंच को देखकर हमारे दुश्मनों के पेट में मरोड़े आ रही है। अपने कारनामों की वजह से पूरी दुनिया में बॉयकॉट हो चुके चीन और पाकिस्तान को भारत की बढ़ती लोकप्रियता से समस्या कुछ ज्यादा ही है! पड़ोसी देश मालदीव के साथ भारत के रिश्ते काफी बेहतर है। कोरोना संकट के दौरान भारत पूरी मजबूती के साथ मालदीव के साथ खड़ा रहा, साथ ही देश मालदीव में कई बड़ी परियोजनाओं पर काम भी कर रहा है।
लेकिन इसके बावजूद भारत और मालदीव के बेहतर संबंधों से जलने वाले देशों ने एक भारत विरोधी कैंपेन चलाया। ट्विटर पर इंडिया आउट, गो इंडिया कैम्पेन चलाए गए, भारत के सम्बन्धों को निहित स्वार्थ का आधार बताकर इसे एकपक्षीय कूटनीतिक लाभ वाला संबंध भी कहा गया। इस कैंपेन के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ बताया जा रहा है, जो भारत के कूटनीतिक रिश्तों को बिगाड़ने में लगे हुए है। हालांकि, मामले को बढ़ता देख मालदीव सरकार ने खुद सामने आकर इस मसले पर सफाई दी है और इस कैंपेन को देश विरोधी बताते हुए खारिज कर दिया है।
मालदीव सरकार ने जारी किया बयान
मालदीव सरकार ने बीते बुधवार को ‘इंडिया आउट’ नारे को दृढ़ता के साथ खारिज कर दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि मीडिया व सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा यह तथाकथित नारा झूठा और गलत सूचना पर आधारित है। मालदीव सरकार ने अपने बयान में कहा है कि यह नारा दोनों देशों की सरकारों के बीच द्विपक्षीय सहयोग और मालदीव की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को कमजोर करता है।
मालदीव की ओर से बयान में कहा गया है कि मालदीव और भारत के बीच मजबूत संबंध साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित है और गतिशील लोगों के संपर्कों से मेल खाता है। भारत हमेशा मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी और भरोसेमंद पड़ोसी रहा है और मालदीव के लोगों को सभी मोर्चों पर निरंतर और लगातार समर्थन देता रहा है।
Maldives Govt strongly rejects attempts to spread false information through media & across social media platforms, using so-called “India Out” slogan, alleging that bilateral cooperation b/w Govts of Maldives & India undermines national security&sovereignty of Maldives: Statement pic.twitter.com/sUXhN7cowZ
— ANI (@ANI) November 17, 2021
मालदीव में भारतीय सैन्य मौजूदगी पर मालदीव की ओर से कहा गया कि “भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए सहयोग और समर्थन, विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है।”
इसमें यह भी कहा गया है कि खोज और बचाव क्षमताओं, तटीय निगरानी और समुद्री टोही जैसे क्षेत्रों में भारतीय समर्थन मालदीव के लोगों को “सीधे लाभ” देता है। इसी बीच मालदीव में भारत के हाल ही में नियुक्त उच्चायुक्त मुनु महावर ने बुधवार को राष्ट्रपति सोलिह को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति और उच्चायुक्त ने दोनों देशों के पारस्परिक लाभ की दिशा में सभी प्रयासों में और सहयोग एवं सहायता की इच्छा व्यक्त की है।”
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1988 से ही मालदीव में तैनात है एक भारतीय टुकड़ी
आपको बताते चलें कि भारतीय सेना काफी लंबे समय से मालदीव में है। दरअसल, साल 1988 में मालदीव में श्रीलंका के उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम का उत्पात काफी बढ़ गया था। यहां तक कि नवंबर 1988 में इस संगठन ने तख्ता पलट की योजना को अंजाम देने की सोची, इसके तहत वहां की राजधानी माले पर कब्जा कर लिया गया।
खतरा देखते हुए वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन गयूम ने कई देशों को मदद का इमरजेंसी संदेश भेजा। भारत ने इस संदेश पर सबसे पहले कार्रवाई की और मालदीव को उग्रवादियों के कब्जे से सुरक्षित निकाल लिया। तब से भारतीय सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी वहां तैनात है। इसके अलावा मालदीव में अतिरिक्त भारतीय अफसर मौजूद हैं, जो भारतीय सेना की ओर से मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स को उपहार में दिए गए हेलिकॉप्टर ऑपरेट करते आए हैं।
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मालदीव में GMCP परियोजना पर काम कर रहा है भारत
इससे इतर भारत GMCP के रूप में मालदीव इतिहास की सबसे बड़ी योजना पर काम कर रहा है। GMCP एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसमें 6.74 किमी लंबा पुल और सेतु लिंक शामिल होगा जो मालदीव की राजधानी माले को विलिंगली, गुल्हिफाल्हू और थिलाफुशी द्वीपों से जोड़ेगा। चीनी परियोजनायें व्यावसायिक रूप से शोषक ऋणों द्वारा वित्त पोषित होती है, लेकिन जीसीएमपी को भारत से $100 मिलियन के अनुदान और $400 मिलियन लोन द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। इस पड़ोसी देश में भारत की पहुंच और दोनों देशों के बेहतर संबंधों को लेकर चीन और पाकिस्तान भीतर ही भीतर सुलग रहे हैं। जिसके तहत सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह फैलाई गई, कैंपन चलाए गए। जिसके बाद अब मालदीव सरकार को खुद सामने आ कर सफाई देनी पड़ी है।