‘कांग्रेस’ देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जिसने छह दशकों से अधिक समय तक सत्ता की बागडोर संभाली, लेकिन समय दर समय यह पार्टी ताश के पत्तों की तरह बिखरती जा रही है! साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही कथित तौर पर कांग्रेस का पतन शुरू हो गया। एक प्रसिद्ध कहावत है कि “जब अपने में ही खोट हो, तो दूसरों की बुराई करने से पहले एक बार अवश्य सोच लेना चाहिए”, यही हाल अब कांग्रेस का हो गया है। कांग्रेस पार्टी के सबसे विश्वसनीय नेता अब अपनी पार्टी से ही मुंह मोड़ने लगे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस के बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना इस बात का संकेत है कि एक समय में कभी सत्ता के शिखर पर रहने वाली कांग्रेस अब राजनीतिक मैदान में धराशायी होती जा रही है। खबरों की मानें तो बुजुर्ग और नयी पीढ़ी के बीच चल रहे सियासी दावं-पेंच से कांग्रेस दो खेमों में बंटने के कगार पर है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने दिग्गज नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद पर सख्त एक्शन लिया है, जिसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचलें तेज हो गई है।
खबर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को कांग्रेस पार्टी ने अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति से हटा दिया है। आज़ाद के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुट मिथि को भी इस पैनल से हटा दिया है। गौरतलब है कि समिति के सदस्य सचिव मोतीलाल वोहरा की मृत्यु के साथ अनुशासनात्मक पैनल में सुधार की आवश्यकता थी। आज़ाद की जगह कांग्रेस महासचिव तारिक़ अनवर अब सदस्य सचिव होंगे, जबकि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों में अंबिका सोनी, दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश अग्रवाल समेत कई अन्य सदस्य शामिल होंगे।
कांग्रेस की टूटी नैया पर सवार नहीं रहेंगे आज़ाद!
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कठुआ में बड़ी रैली की, जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया। वहीं, उनके करीबी माने जाने वाले जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के 20 नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद कांग्रेस ने एक्शन लेते हुए, उन्हें डिसिप्लिनरी ऐक्शन कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बताते चलें कि पिछले महीने CWC की एक बैठक में सोनिया गांधी ने G-23 के कुछ नेताओं की ओर संकेत करते हुए कहा था कि वो “एक पूर्णकालिक और व्यावहारिक कांग्रेस अध्यक्ष” हैं। उन्होंने यह भी कहा कि “मैंने हमेशा खुलेपन की सराहना की है और मुझसे मीडिया के जरिये बात करने की जरूरत नहीं है।”
दूसरी ओर इस राजनीतिक घटनाक्रम पर ग़ुलाम नबी आज़ाद ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि “वो वहीं करेंगे, जो जम्मू कश्मीर के लोग राज्य की बेहतरी के लिए उनसे कराना चाहते हैं।” इस मामले के बाद अब यह साफ़ हो गया है कि ग़ुलाम नबी आज़ाद अधिक समय तक कांग्रेस की टूट रही नैया पर सवार नहीं रहने वाले हैं। गौरतलब है कि आज़ाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, कई बार केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाला है, वो अपने गृह प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी द्वारा उनपर इस तरह का एक्शन लेने का परिणाम आगामी चुनाव में पार्टी के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
जल्द ही पूरे देश से हो जाएगा कांग्रेस का सफाया!
बताते चलें कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, रीता बहुगुणा जोशी जैसे नाम इनमें प्रमुख हैं। अब भाजपा में शामिल होकर ये नेता लगातार जन कल्याण के लिए काम करते दिख रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी अपने पतन की ओर अग्रसर हो चली है। कांग्रेस शासित राज्यों में भी हालात कुछ सामान्य नहीं है। मध्यप्रदेश और पंजाब इसका हालिया उदाहरण है। इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी ने कैसे अपनी भद्द पिटवाई, यह पूरे देश ने देखा। मौजूदा समय में राजस्थान और छतीसगढ़ की सियासत में भी हालात कुछ वैसे ही हैं। केंद्र के साथ-साथ राज्यों की राजनीति में भी कांग्रेस पार्टी शून्य की ओर बढ़ती जा रही है, लेकिन कथित तौर पर आलाकमान की अकड़ अभी भी जस की तस बनी हुई है। अब वह दिन दूर नहीं, जब पूरे देश से ही कांग्रेस का सफाया हो जाएगा!
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