जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है। यह नाश कम पढ़े लिखे या अशिक्षित लोगों पर छा जाए तो कोई तुक भी बने पर जब जाहिलपन की बयार उन शिक्षित और तथाकथित प्रबुद्ध वर्ग की ओर मुड़ जाए तो मामला जटिल हो जाता है। IAS बनाने के दावे करने वाले शिक्षक जब कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा दें तो उससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या ही होगी? कुछ ऐसा ही महाराष्ट्र स्थित आईएएस प्रशिक्षण संस्थान IQRA IAS से जुडी कक्षाओं में हुआ जिसके एक संकाय सदस्य अवध प्रताप ओझा की विकृत मानसिकता सोशल मीडिया पर खूब जमकर शेयर की जा रही है। वीडियो में ओसामा बिन लादेन को महान बताने से लेकर इस्लाम को अन्य सभी धर्मों की अपेक्षा सबसे प्यारा धर्म बताने वाले ओझा जी की बुद्धि को जमकर लताड़ लगाई जा रही है।
ओझा सर अपनी कक्षाओं में ये क्या पढ़ा रहे हैं?
दरअसल, महाराष्ट्र के इस आईएएस शिक्षण संस्थान से जुड़े पेशे से वकील और IQRA IAS में संकाय सदस्य के रूप में छात्रों को पढ़ाने वाले अवध प्रताप ओझा अपने उस प्रताप को फैलाने में तल्लीन हैं जिसका सरोकार आतंक से प्रेम और इस्लाम से लगाव से है। ओझा UPSC परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पढ़ाने के बजाय एक धर्म और विचार विशेष को परोसने का काम करते वायरल हो रही कई वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।
https://twitter.com/erbmjha/status/1501176913095626752
ट्विटर पर शेयर हो रही एक वीडियो में यही अवध प्रताप ओझा यह कहते दिख रहे थे कि 9/11 का हमला अल-कायदा के आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के लिए एक उपलब्धि था। उन्होंने कहा, ‘ओसामा बिन लादेन जानता था कि उसे किससे लड़ना है। उसने अमेरिका पर हमला किया और ट्विन टावर्स को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद दुनिया को उसका नाम पता चला। उसने संयुक्त राज्य अमेरिका में घुसकर उसे तमाचा मार दिया, यह एक उपलब्धि है। उसने केवल एक बार हमला किया। इसे एक सपना कहा जाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अमेरिकी सेना ने उसे बाद में एबटाबाद से उठाया।”
नाम से अवध और सोच से वध!
क्या ही करेंगे ऐसे तुर्रम खानों का जो आतंकी तत्वों की सराहना तो करते ही हैं, UPSC के परीक्षार्थियों को यह पढ़ाना कि ओसामा ने जो किया वो उपलब्धि थी जैसे न जाने उसने IAS ही निकाल लिया हो इससे बड़ा नीचता का काम क्या ही होगा? नाम से अवध और सोच से वध ओझा जी यहां तक रुकने से कहां बाज आते, एक और वीडियो में महाशय कहते दिख रहे हैं कि, इस्लाम की उत्पत्ति कैसे हुई। “इस्लाम के इतिहास के बारे में पढ़ें। चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था, यूरोप में डायन-शिकार के नाम पर महिलाओं को जलाया जा रहा था, भारत में सती प्रथा थी। चीन में लड़कियों की हत्या की जा रही थी। चारों तरफ अंधेरा था और अंधेरे के बीच मोहम्मद साहब हाथ में लैम्प लिए खड़े थे, इस्लाम…प्यार…मैसेज।”
इस्लाम को महान बताने वाले ओझा बहुत कुछ भूल गए!
जिस सती प्रथा को टारगेट कर ओझा अपने छात्रों को इस्लाम के मुकाबले हिन्दू धर्म की इस कुरीति को प्रकाशित कर रहे थे शायद वे यह भूल गए कि सती प्रथा का उल्लेख किसी भी धार्मिक ग्रन्थ में इस कारण नहीं हुआ कि किसी के पति के मरने के उपरांत उन्हें जबरन शरीर त्यागने का आदेश दिया गया हो या उन्हें पति की देह पर ही जलाने का निर्देश दे दिया गया हो। इस्लाम को महान बताने वाले ओझा यह भूल गए कि इस्लाम की उत्पत्ति के बाद से उसमें चली आ रही कुरीतियों को सुधारने का काम किसी ने नहीं किया पर वह राजा राम मोहन रॉय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे समाज सुधारक ही थे जिन्होंने लेश ही सही पर चली आ रही सती प्रथा के विरुद्ध अपनी आवाज़ डटकर उठाई।
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ऐसा करने की हिम्मत इस्लाम के किसी अनुयायी में नहीं थी, इतना ही अमन-चैन का पैरोकार होता तो क्यों न्यायालय के रस्ते तीन तलाक जैसी कुप्रथा को हटाना पड़ा,क्यों कोई इस्लामिक संस्था आगे नहीं आई जैसे राजा राम मोहन राय आगे आए थे।
https://twitter.com/erbmjha/status/1501217757047955457
जिस प्रकार ओझा जी ने सीधे हिन्दू धर्म के ही इतिहास को उठाकर उसके कुछ बड़े घटनाक्रमों का बखान करते हुए उन्हें मानवता विरुद्ध बताने का प्रयास किया और इस्लाम को सबसे बड़ा मानवता का हिमायती दर्शाने का प्रयास किया सारी बात उसी क्षण साफ़ हो गई कि कैसे अवध प्रताप ओझा के मन में हिन्दू धर्म के प्रति जहर तो भरा ही पड़ा है वो उसे कैसे छात्रों में प्रसारित कर रहे हैं जोकि बहुत आपत्तिजनक है। मोहम्मद साहब-मोहम्मद साहब कर इस्लाम की चरणवंदना करने वाले ओझा जी शायद संस्थान के दबाव में अधिक रहते हैं तभी इस्लाम ही इस्लाम पढ़ाने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
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बड़े खतरे की घंटी हैं ऐसी संस्थाएं
यह बहुत बड़े खतरे की घंटी से कम नहीं है जो UPSC जिहाद बीते वर्ष में सबके सामने आ रहा है, ऐसे शिक्षक और उनकी सोच इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ऐसा नहीं है कि इस्लाम और इस्लाम धर्म के आराध्य TFI के लिए जिहादी हैं, ये जिहादी सोच अवध ओझा जैसे शिक्षकों की है जो IAS के लिए पढ़ाने के नाम पर निजी कट्टरपंथ संस्थान चला रहे हैं।
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IQRA IAS के संस्थापक फैसल शेख को यदि यह लगता है कि अपने पाठ्यक्रमों में वो हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि वो उनका संस्थान है तो ऐसे किसी भ्रम से स्वयं को दूर कर लेना चाहिए। यह समझना चाहिए कि अहंकार और घमंड तो रावण का भी नहीं रहा था, ऐसे संस्थानों और इसके फेकल्टी की तो क्या ही बिसात।
https://twitter.com/RMVikrant/status/1501274955035545601
यह भी सत्य है कि अच्छाई फैलने में समय लगता है पर बुराई प्रसारित होने में क्षणभर नहीं लगता। यही कारण है कि जबसे Vision IAS वालों की जिहादी सोच से पर्दा उठा है, आए दिन कोई नए आईएएस या अन्य शिक्षण संस्थान में पढ़ा रहे शिक्षक की वीडियो वायरल हो जाती है और उसकी कुंठित सोच का पर्दाफाश हो जाता है। इसी बीच ख्याति पाने का अवसर मान बैठे कई महानुभाव ऐसी फेक वीडियो भी प्रचारित करने से नहीं चूक रहे।