अब तक मोदी के नाम से थर्राते थे, अब योगी का समय आ गया है। जी हां यह हाल है उस वर्ग का जिसको मोदी-योगी फूंटी आंख नहीं सुहाते हैं। नहीं नहीं, देश का विपक्ष नहीं बल्कि इस बार तो बात बाहरी दुश्मनों की है जिन्हें हम पड़ोसी देश और भारत का विभाजित अंग कहते हैं। एग्जिट पोल की मानें तो यूपी में योगी आदित्यनाथ के लिए सत्ता के गलियारे का रेड कार्पेट बिछ चुका है। देश के अलावा विदेशी मीडिया भी भी इसको मान चुका है और यही कारण है कि एक समय पर सीएम पद पर रहने वाले मोदी के नाम से बचाव करने वाला मीडिया आज योगी के नाम से भी दो गज की दूरी रखने में जुट गया है।
योगी का नाम लेने में खून ही सूख जाता है!
पाकिस्तान का चर्चित अखबार द डॉन में छपी यूपी चुनाव को लेकर विश्लेषणात्मक खबर में उसने सब बातों का ज़िक्र किया पर योगी का नाम लेने में खून ही सूख गया। दरअसल, द डॉन अखबार ने उत्तर प्रदेश चुनाव पर एक खबर प्रकाशित करते हुए लिखा कि, “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी एक शानदार जीत के लिए तैयार थी, लेकिन एग्जिट पोल का पूर्वानुमान देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चुनावों में उसे कम बहुमत के साथ काम सीट दिख रहा है।” खबर एक दम सीधी और स्पष्ट है कि भाजपा यूपी में सरकार बना रही है बस सीटों में कमी आएगी। यह तो सर्वविदित है कि कोई भी अमृत लेकर नहीं जन्मा है, सारे आंकड़े सदा हमारे पक्ष में नहीं होते हैं।
ऐसे में इस खबर का सबसे बड़ा केंद्र उसका यह शीर्षक बन गया है, इसमें भाजपा और मोदी की पार्टी बताने वाले द डॉन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दो बांस की दूरी इसलिए बनानी तय कि क्योंकि उसे इस बात की घबराहट है कि यदि अभी से सीएम योगी को मीडिया में वरीयता देकर उनके नाम को छापना शुरू कर दिया गया तो कहीं मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखी जा रही योगी आदित्यनाथ की छवि में बंपर विस्फोट न हो जाए।
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इस बात से भय खाते हुए द डॉन के अतिरिक्त कई अमेरिकी छापाखाने वाले योगी को आतताई बताने के साथ-साथ न जाने कैसी-कैसी संज्ञा देते रहते हैं। यह बिलकुल वैसा ही है जैसे प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें विदेशी मीडिया की बहुत लाइमलाइट मिलती थी, ऐसी स्थिति में योगी के भीतर मोदी की छवि प्रतिबिंबित होती देख द डॉन जैसे अखबार ने तय कर लिया है कि मोदी को ही वरीयता देंगे, योगी का नाम डालने से बच लेते हैं। क्योंकि आज योगी आदित्यनाथ की देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में पहचान विश्व में ख्याति पा चुकी है, से में मोदी के बाद कौन? वाले सवाल पर योगी का नाम आते ही सभी पश्चिमी मीडिया घरानों की घिग्घी बंध जाती है, कारण बड़ा साफ है कि जिस प्रकार की मजबूत और तटस्थ इच्छाशक्ति प्रधानमंत्री मोदी की है, योगी आदित्यनाथ भी कुछ कम नहीं हैं।
ऐसे में अब तक मोदी के फैसलों से जिन शरारती तत्वों पर नकेल कसी जा चुकी है उन्हें इस बात का पूर्ण आभास है कि पीएम मोदी तो बड़े शांतप्रिय ढंग से सामने वाले को जवाब देना जानते हैं पर योगी आदित्यनाथ के 2017-22 के मुख्यमंत्री कार्यकाल में उनकी स्पष्टवादिता और औचक निर्णय वाली शैली से सभी बगले झांकने लगते हैं। ऐसे में यह भय का माहौल देखते ही बनता है क्योंकि अभी तो मोदी हैं लेकिन अगर योगी आ गए तो यही पाकिस्तानी मीडिया जो मोदी की पार्टी और मोदी की जीत कह रहा है योगी आदित्यनाथ उस पाकिस्तान के प्रति कितनी नरमी और सख्ती दिखाएंगे वो स्वयं पाकिस्तान भी महसूस करने लगा है। ऐसे में जिस प्रकार कभी पीएम मोदी के नाम को साइडलाइन करने वाले पाकिस्तानी और पश्चिमी मीडिया ने अब योगी आदित्यनाथ के नाम को छापने से परहेज करने लगा है।
पाकिस्तान के कर्मों का फल जल्द मिल सकता है
यह योगी आदित्यनाथ का यूपी सरकार चलाने का ढंग ही था जो उनके कामकाज से थर्रा रहे सभी मीडिया घराने अब उन्हें और उनकी जीत देख आंख मूंदने लगे हैं। गुंडे, माफियाओं और सभी शैतानी तत्वों का जो हाल योगी सरकार में उत्तर प्रदेश में हुआ है, वो इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी है कि यदि योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी के उत्तराधिकारी बनते हैं तो पाकिस्तान के कर्मों का फल उसे बहुत तगड़ी तरह से मिलने की पूरी संभावना है।
अपने निर्णयों से 2014 के बाद पीएम मोदी ने भी सबको चौंका दिया था जब पहली बार पाकिस्तान के दुस्साहस का भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके दिया था। चीन से व्यापारिक संबंधों पर अंकुश लगाने की बात हो या अपनी सीमाओं पर मजबूती से डटने की यह सभी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और कार्यकाल में ही भारत को देखने मिला वरना यूपीए शासन में भारत इन सभी देशों पर आश्रित हुआ करता था तो वही मोदी के कामकाज में वो आत्मनिर्भर बनने का रिकॉर्ड दर्ज़ कर गया।
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पीएम मोदी अपने कूटनीतिक और सौम्य रुख से अबतक सभी विषैली ताकतों को धोते आए हैं, ऐसे में योगी आदित्यनाथ के कामकाज में जो फायर दिखती है सभी विरोधी ताकतें उसके सामने धराशाई हो जाते हैं। पीएम मोदी कुछ न कुछ नरमी बरत लेते हैं पर योगी के मामले में ढील का ‘ढ़’ भी शामिल नहीं है। इसी से दुखियारे पश्चिमी और पाकिस्तानी मीडिया के लिए बड़े दुःख की बात है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार पुनः वापसी कर रही है क्योंकि सीएम योगी का दूसरा कार्यकाल उनकी छवि में तो वैश्विक रूप से उछाल करेगा ही, उनके आगामी भविष्य की पटकथा भी लिख देगा जिससे सभी का कंपन छूट रहा है।
सौ बात की एक बात यह है कि, योगी आदित्यनाथ के काम करने के ढंग से इन सभी की जड़ें हिली हुई हैं। पाकिस्तान पर आगामी भविष्य में भारत का रुख उन्हें योगी के चेहरे के सामने आते ही उनका दिल बैठ जाता है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ को आज Boycott करने वाले इसी मीडिया को कल सर पर बिठाना पड़ेगा जैसा पीएम मोदी को बिठाना पड़ता है। शेष यह भौकाल और खौफ कायम रहे क्योंकि ये डर अच्छा है।