जब से जो बाइडन अमेरिका की सत्ता पर काबिज हुए हैं अमेरिका ने अपने सहयोगियों के लिए मुसीबतें बढ़ाई हैं। ताजा उदाहरण युक्रेन संकट है जहां अनावश्यक रूप से रूस को आक्रोशित करके यूक्रेन को उसके हाल पर छोड़ दिया गया। ताइवान के साथ चीन के बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका मौन धारण किए हुए है। भारत जो कि स्वयं सशक्त है उसकी मुसीबत बढ़ाने के लिए अमेरिका ने अपनी मूर्खता से आतंकवादी तत्वों को मजबूत कर दिया है।
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कश्मीर के अलगाववादियों तक पहुंच रहे हैं हथियार
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज के पलायन के समय बायोडर्म द्वारा इस बात का ध्यान नहीं दिया गया कि अमेरिकी फौज के पलायन के बाद अमेरिकी हथियार तालिबान के हाथ न लगे। नतीजा यह हुआ है कि तालिबान के माध्यम से अमेरिका में बने अत्याधुनिक हथियार कश्मीर के अलगाववादियों तक पहुंच रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि जैसा कि सुरक्षा विशेषज्ञों को संदेह है, अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान अमेरिका के नेतृत्व वाले सहयोगी बलों द्वारा इस्तेमाल किए गए गैजेट्स ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी समूहों के लिए अपना रास्ता खोज लिया है।
जम्मू-कश्मीर सुरक्षा ग्रिड के अधिकारियों ने बताया है कि आतंकवादियों के पास से इरिडियम सैटेलाइट फोन प्राप्त हुए हैं जिनका प्रयोग अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना द्वारा अफगानिस्तान युद्ध में किया जा रहा था। आतंकवादियों के पास से अत्याधुनिक वाई-फाई सक्षम थर्मलइमेजिंग उपकरणों की प्राप्ति हुई है। आतंकवादी इनका प्रयोग सुरक्षा बलों के घेरे से बचने के लिए कर रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि इरिडियम सैटेलाइट फोन की उपस्थिति के प्रमाण फरवरी से पहले उत्तरी कश्मीर में और अब दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्सों में पाए गए हैं। National Technical Research Organisation और Defence Intelligence Agency को इन सेटेलाइट फोन की पहचान करने का कार्य किया गया है ताकि आतंकियों की स्थिति का पता लगाया जा सके।
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ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है
यह पहले से तय था कि अफगानिस्तान की विजय भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा नहीं बनेगी क्योंकि भारत इसके लिए पहले ही तैयार था। TFI ने अपने एक लेख के माध्यम से इस पर प्रकाश भी डाला था। यह कोई पहला अवसर नहीं है जब सुरक्षा एजेंसियों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि तालिबान द्वारा कश्मीर के आतंकवादियों को अमेरिका से प्राप्त आधुनिक उपकरणों और हथियार पहुंचाए जा रहे हैं। इसके पूर्व फरवरी माह में भी इस प्रकार की सूचनाएं भारतीय सुरक्षा बलों को प्राप्त हुई थीं।
सुरक्षाबलों को प्राप्त सूचनाओं के अनुसार कश्मीरी अलगाववादियों को न केवल हथियार उपलब्ध कराए जा रहे हैं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से तालिबान के लड़ाके स्वयंसेवकों के रूप में भारत विरोधी अभियान के लिए भर्ती हो रही हैं। भारत एशिया की महाशक्ति है और तालिबान यह नहीं चाहता है वह भारत के साथ संबंध बिगड़े। वह भी एक ऐसे समय में जब तालिबान के नेतृत्व वाला का अफगानिस्तान भयंकर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। किंतु तालिबान का अपने लड़ाकों पर जोर नहीं है और कई भागों में बंटा यह संगठन कोई नियंत्रित विदेश नीति नहीं अपनाता है। तालिबान के चिथड़े को भारत विरोधी रवैया अपनाना है वह अपना कार्य संचालित करने के लिए स्वतंत्र है।
हालांकि भारत किसी भी प्रकार की सामरिक चुनौती का सामना नहीं कर रहा होता यदि अमेरिका योजनाबद्ध तरीके से पलायन करता है किंतु अमेरिका द्वारा इतनी तेजी से और कायरता पूर्ण पलायन किया जाएगा इसकी उम्मीद किसी देश को नहीं थी। अमेरिका द्वारा किया गया तेज पलायन भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाला था। भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता एवं फुर्ती के कारण भारत इस चुनौती का सामना भी कर लेगा।