यूपी चुनाव में चले कन्हैया मित्तल के गाने “जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे” को बड़ी प्रसिद्धि मिली। बहरहाल, चुनाव में भाजपा को एक बार पुनः जीत मिली और योगी आदित्यनाथ पुनः मुख्यमंत्री बने। जिसके बाद उनकी प्राथमिकता वही प्रभु राम हो गए हैं जिनके आशीष से उन्हें एक बार पुनः प्रदेश की कमान हासिल हुई है। अयोध्या नगरी को रामराज्य की सूरत प्रदान करने के लिए सीएम योगी ने बेहद अहम कदम उठाया है।
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सीएम योगी का आदेश
सीएम योगी ने अयोध्या के नगर निगम को मठों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर टैक्स लगाने पर रोक लगाने का आदेश दिया है और साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि रामनवमी के दौरान अष्टमी और नवमी पर कोई भी VIP अयोध्या नहीं जाएंगे। यदि वो जाते हैं तो आम जन की तरह ही दर्शन करें और अपनी सुरक्षा अपने स्तर पर देखें। इस कदम के बाद चहुओर असल रामराज्य की झांकी प्रस्तुत हुई है जिसके लिए राम की नगरी इतने वर्षों से जद्दोजेहद कर रही थी।
प्रभु राम की अयोध्या में सब जन एक समान थे, उसी पर आधारित यह निर्णय योगी आदित्यनाथ का सबसे पहला ऐसा निर्णय है जो राम की नगरी की नई दशा और दिशा कैसी होगी उसकी तस्दीक करता है। दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या का दौरा किया जहां 10 दिवसीय रामनवमी उत्सव होना निश्चित हुआ है जिसका समापन 10 अप्रैल को होगा।
योगी ने रामजन्मभूमि और हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना की और उत्सव की तैयारियों की समीक्षा की। नवमी मेला जो हर वर्ष 10 लाख तीर्थयात्रियों के आस्था को समाहित करता है और यह मेला दो साल कोरोना महामारी के बाद आयोजित किया जा रहा है। ऐसे में सीएम योगी के निर्देशानुसार विशेष रूप से अधिकारियों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अयोध्या को दर्शाने और उसकी उत्तम छवि को प्रदर्शित करने का ज़िम्मा होगा जो कि इस बार 2022 में पुनः सरकार बनने के बाद और अहम हो जाता है।
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सबको समान रखने की दृष्टि
रामराज्य की तरह सबको समान रखने की दृष्टि से जहां सीएम योगी VIP तंत्र को अष्टमी और नवमी पर न जाने और किसी भी विशिष्ट सत्कार से वंचित किया है, साथ ही अयोध्या में धार्मिक संगठनों पर लग रहे टैक्स से छूट ने वास्तव में अयोध्या को आज अयोध्या होने का पूर्ण एहसास करा दिया है जहां न माया की चिंता है और न घर भरने की ललक। सीएम योगी ने अयोध्या नगर निगम को मंदिरों, मठों और धार्मिक संगठनों को कर/टैक्स से छूट देने का निर्देश दिया। नगर निकाय को प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा, “नगर निगम को मठों, मंदिरों, धर्मशालाओं और धर्मार्थ संगठनों से वाणिज्यिक दरों पर घर, पानी और सीवर कर नहीं वसूलना चाहिए क्योंकि ये संस्थान सार्वजनिक सेवा करते हैं। इन धर्मार्थ निकायों को वित्तीय सहयोग के रूप में एक टोकन धन का भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है।
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रामनवमी मेले की तैयारियों की समीक्षा करते हुए, योगी आदित्यनाथ ने कहा, राम मंदिर निर्माण की गति के साथ, राम नवमी के बाद भी हजारों भक्त अयोध्या आएंगे और अधिकारियों को रामायण युग को फिर से बनाने के लिए मंदिर शहर का पुनर्निर्माण करना चाहिए। इन दो बड़े निर्देशों ने यह तो सिद्ध कर दिया धार्मिक आस्थाओं और मुद्दों पर औचक निर्णय लेने की हिम्मत एक ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में है, अन्य सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री उनके फैसलों का अनुसरण ही करते हैं। ऐसे में योगी राज ने रामराज्य की वापसी सुनिश्चित कर दी है जो एक बहुत बड़ा कदम है।