नूपुर शर्मा के बयान की आड़ में मजहबी कट्टरपंथी एक बार फिर देश को हिंसा की आग में झोंकने की कोशिशों में हैं। दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में प्रदर्शन के नाम पर दंगाईयों ने आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ मचाई। इस दौरान सबसे अधिक बेकाबू होते हुए हालात पश्चिम बंगाल के दिखे। बंगाल में अलग-अलग जगहों से कई हिंसक घटनाएं सामने आईं। हांवड़ा से उठी विरोध की यह चिंगारी मुर्शिदाबाद से लेकर दक्षिण 24 परगना तक पहुंच गई।
कट्टरपंथियों ने यहां जबरदस्त उपद्रव मचाया। संपत्तियों में तोड़फोड़ की। घरों में आग लगा दी। पुलिस को निशाना बनाकर हमला किया गया। परंतु इस दौरान ममता बनर्जी की सरकार दंगों को रोकने में नाकामयाब सी होती नजर आई या फिर यूं कहें ममता दीदी दंगाईयों पर रहम दिखाती नजर आई। इसी वजह से बंगाल में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद शुरू हुए यह दंगे शनिवार शाम तक थमते नहीं दिखे। बंगाल में मचे इस बवाल के बाद ममता बनर्जी और उनकी सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। हिंसा तो कई जगहों पर हुए। उत्तर प्रदेश में, महाराष्ट्र में और रांची में भी… परंतु इतने बड़े स्तर पर बवाल कहीं नहीं मचा, जितनी कि बंगाल में? तो इसके पीछे की आखिर वजह क्या रहीं? क्यों ममता बनर्जी की सरकार ने दंगाईयों पर सख्ती नहीं दिखाई?
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वोटबैंक के लिए बंगाल को हिंसा की आग में झोंकती ममता बनर्जी
ममता बनर्जी के राज में बंगाल का क्या हाल रहा है, यह तो किसी से छिपा नहीं। घुसपैठियों और दंगाईयों को अपने वोटबैंक के लिए इस्तेमाल करने वाली ममता दीदी राज्य में इन्हें संरक्षण देती आई हैं। अब बंगाल में हिंसा के बाद ममता बनर्जी जिस तरह दंगाईयों पर रहम दिखाती रही हैं, इसको लेकर उन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, जैसे ही अलग-अलग राज्यों में हिंसा शुरू हुई, राज्य सरकारें एकदम से अलर्ट हो गईं। हालातों पर काबू पाने और हिंसा रोकने की कोशिशें हुई। हिंसा करने वालो पर पुलिस ने लाठियां बरसाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश दे दिए कि उपद्रवियों के खिलाफ इतनी कठोर कार्रवाई की जाए, जो उदाहरण बने और फिर कोई भी प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की सोच भी ना सके। उपद्रवियों को सबक सिखाने के लिए बाबा ने अपने बुलडोजर का भी इस्तेमाल किया। इसके अलावा रांची में भी दंगाईयों से सख्ती से निपटा गया और हिंसा की जांच के लिए SIT जांच का भी गठन किया गया।
वहीं, बात बंगाल की करें तो यहां कार्रवाई के नाम पर दिखावे के लिए महज कुछ लोगों की गिरफ्तारी ही अब तक हुई है। इसके अलावा न तो ममता बनर्जी और न ही उनकी पुलिस ने दंगाईयों से निपटने के लिए सख्त रूख अपनाया। इसी वजह से कट्टरपंथियों को बढ़ावा मिला और उन्होंने विरोध प्रदर्शन की आड़ में बंगाल को हिंसा की आग में झोंक दिया।
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हिंसा करने वालो को खुली छूट है बंगाल में
यह ममता बनर्जी का बंगाल हैं, जहां एक ओर हिंसा करने वालों, दंगा-फसाद फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती। वहीं, अगर कोई शांति की बात करे तो उसे जेल में डाल दिया जाता है। दरअसल, मुर्शिदाबाद की बेलदंगा पुलिस ने एक कॉलेज छात्रा को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार कर लिया, जिसमें उसने दंगाईयों से संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की बजाए देश छोड़कर चले जाने की बात लिख दी थीं। सिर्फ इस पोस्ट के लिए ममता बनर्जी की पुलिस ने छात्रा को गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं उपद्रवियों ने लड़की के घर में भी तोड़फोड़ मचाई।
पूरे मामले पर ममता बनर्जी जो रूख अपनाए हुए हैं, उससे तो ऐसा लग रहा है कि मानो वो यह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि अगर आप हिंसा फैलाओगे, तोड़फोड़ करोगे, दंगा-फसाद मचाओगे, तो ही आप बंगाल में सुरक्षित रहोगे, लेकिन शांति की बात करोगे तो जेल में डाल दिए जाओगे!
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