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मनमोहन सिंह तो यूं ही बदनाम हो गए, असली रोबोट तो जो बाइडन हैं

देखिए, कैसे ‘अल्टीमेट रोबोटिक्स टेस्ट’ में जीत रहे हैं जो बाइडन!

Utkarsh Upadhyay द्वारा Utkarsh Upadhyay
27 June 2022
in मत
मनमोहन सिंह तो यूं ही बदनाम हो गए, असली रोबोट तो जो बाइडन हैं

Source: TFI

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मज़ाकिया माहौल में जितना बड़ा रोबोट, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बोला जाता है, वो सही तो है लेकिन थोड़ा ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बोल दिया जाता है जबकि असली रोबोट तो अमेरिका में बैठा है। प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह भले ही रिमोट से चलते थे लेकिन कभी-कभार उनके कुछ ऐसे हाव-भाव दिख जाते थे, जिससे लगता था कि थोड़ा-बहुत इंसान तो हैं- लेकिन अमेरिका वाले रोबोट में ऐसा कुछ नहीं है- वो पूरा-पूरा रोबोट है।

यूँ तो वर्ष 2004 में यूपीए सरकार की बागडोर इटली मूल की सोनिया गांधी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में दी जानी एकदम तय थी। लेकिन जब इसके विरोध में सुब्रमण्यम स्वामी और राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम उतर आएं, जो यह कैसे संभव था।

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राजनीतिक हलकों में तो यह बातें भी खूब चलती हैं कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने विदेशी मूल के मुद्दे और बोफ़ोर्स कांड के नाम पर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया था। अन्तोत्गत्वा जो गांधी परिवार की राजनीतिक परिधि रही है उसके अनुसार एक ऐसे व्यक्ति को सोनिया ने प्रॉक्सी के रूप में चुना जो उनकी ही सुने और उनकी ही कहे। सोनिया गांधी ने तबके प्रणब मुखर्जी से कद्दावर कांग्रेसी नेताओं को पीछे रखते हुए डॉ मनमोहन सिंह का चुनाव किया। एक ऐसा चुनाव जो सभी को हतप्रभ कर गया।

इसके बाद डॉ मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने और लगभग दो कार्यकाल संभालने के साथ ही 10 साल चार महीने का कार्यकाल पूर्ण किया। इस कार्यकाल में एक दिन-एक क्षण ऐसा नहीं था जब “बोल वो रहे हैं पर शब्द हमारे हैं” वाला 3 इडियट्स का डायलॉग मनमोहन सिंह पर चरितार्थ ना हुआ हो।

कांग्रेस समेत सरकार की नीतियां तय करने का एकाधिकार उस दौरान भी सोनिया गांधी के हाथ में ही था। सरकार को रिमोट कंट्रोल से चलाने में 1 कार्यकाल निपटा और जैसे ही दूसरे कार्यकाल का आरंभ हुआ तो घोटालों का अंबार लग गया। घोटाला दर घोटाला लेकिन मनमोहन सिंह चुप रहे- रहे नहीं उन्हें रखा गया- यानी रोबोट का स्विच ऑफ़ रखा गया।

यही नहीं, पीएमओ को और पीएमओ में बैठने वाले आधे रोबोट यानी मनमोहन सिंह को कैसे अपने इशारों पर नचाया जाए, यह भी सोनिया गांधी ने NAC बनाकर पूरा कर लिया था। जो भी फैसला वहां से आता था, हमारे रोबोट यानी प्रधानमंत्री जी उस पर हस्ताक्षर कर देते थे। चलने की चाल से लेकर बात करने की शैली सभी तरह से रोबोट की ही थी। इन्हीं सब चीजों की वज़ह से उन्हें रिमोट से चलने वाले कहा जाने लगा यानी रोबोट लेकिन वो आधे रोबोट थे। आधे इसलिए क्योंकि वो कभी-कभार संसद में शायरी कर लेते थे।

वो कभी-कभार अपने दिमाग से कोई ना कोई बयान दे देते थे- जैसे उनका यह बयान कि संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। उन्हें निर्णय लेने का अधिकार नहीं था पर साइन कहां करना है, कहां क्या बोलता है, इतना पता था- “इतिहास हमें अच्छे के लिए याद रखेगा।” इससे यह प्रदर्शित होता है कि रोबोट के आदी हो चुके मनमोहन सिंह के भीतर अब भी निजी राय रखने की समझ थी।

वहीं, दूसरी तरफ बात अगर जो बाइडन की तो उनके केस में बिल्कुल साफ है कि वो असली रोबोट हैं…2019 में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडेन ने एक सभा में अपनी पत्नी जिल बाइडन का हाथ चबा लिया। यह काम कोई सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति तो नहीं ही करता है। यह तब होता है जब आदमी उम्रदराज़ हो जाए और उसे पता ही ना हो कि वो क्या कर रहा है। मार्च 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एयर फ़ोर्स वन में सवार होते हुए तीन बार गिरे। इंसान एक बार गिरता है दो बार गिरता है तीन बार गिरता है पर भविष्य में संभलता भी है, पर नहीं बाइडन जून 2022  को फिर गिर पड़े।

यह स्थिति एक वयोवृद्ध व्यक्ति होने के साथ ही उस व्यक्ति की होती है जिसे चाबी दी गई हो। जैसे ही उनकी पत्नी के हाथ पीछे किया तो उनके नाखून चबा लिए, एक बार लड़खड़ाए तो बार बार सीढ़ियों पर लड़खड़ाते ही चले गए। यही नहीं हाल ही में कई बार बाइडन को उनके संबोधन के बाद हवा से हाथ मिलाते देखा गया। यह एक बार नहीं अनेकानेक बार हुआ है जब अदृश्य व्यक्ति से बाइडन को हाथ मिलाते देखा गया।

यह साफ-साफ दिखाता है कि बाइडेन असली रोबोट हैं। और तो और एक बार बाइडेन ने एक चीट शीट का खुलासा कर दिया जिसमें व्हाइट हाउस ने उन्हें कैसे तौर तरीकों से काम करना है उसके निर्देश दिए थे।  मतलब जो लिखा है वही करना है, कैसे चलना है, कहाँ मुड़ना है, कहाँ बैठना है, जो कुछ भी होगा व्हाइट हाउस द्वारा दिए गए विशिष्ट निर्देशों के आधार पर होगा। ऐसे में यह तो सिद्ध हो गया कि रोबोट कौन है उसकी असल पहचान मनमोहन सिंह नहीं जो बाइडन कराते हैं।

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