युग बदलें, काल बदला, परिस्थितयां बदली और यह सब इसलिए बदलें क्योंकि बदलाव या यूं कहें कि परिवर्तन ही सच्चाई है। जिस प्रकार युद्ध का अर्थ आजतक मारकाट हुआ करता था आने वाला समय बौद्धिक युद्ध का होगा यह भी शाश्वत सत्य है। इस बौद्धिक युद्ध में कई सकारात्मक बिंदु हैं तो हैकिंग जैसे दुष्परिणाम भी हैं। एक जमाना था जब युद्ध शुरू होने की आहट ज़ोरदार धमाकों से होती थी पर भविष्य में युद्ध ऑनलाइन क्रियाकलापों में अधिक होगा यह भी तय है। अब युद्ध में धन की हानि कम, संसाधनों पर पैसा कम लेकिन बौद्धिक ताकतों का दुरूपयोग अधिक होगा। मौजूदा समय में भी रक्तपात नहीं ऑनलाइन मानदंडों का उल्लंघन करना ही युद्ध का सबसे बड़ा कारक हो गया है।
भारत के लिए पहला शत्रु तो हमारा पडोसी ही है, फिर चाहे वो पाकिस्तान हो या चीन हो। इन शत्रु पड़ोसी देशों के कारण भारत को कई सीमा पार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है लेकिन अब खतरे का चेहरा बदल गया है। आज के सैनिक शस्त्रागार से लड़ने वाले नहीं हैं बल्कि वे हैं जो कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर दुश्मन की संस्थाओं, पावर ग्रिड आदि पर अतिक्रमण कर सकते हैं। युद्ध अब एक राष्ट्र की उपग्रह सेवाओं को उड़ाने और अर्थव्यवस्था के मुक्त पतन की शुरुआत करने में स्थानांतरित हो गया है और भारत ऐसे हमलों का शिकार है यह कोई छिपाने वाली बात नहीं है।
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भारत के खिलाफ साइबर जिहाद
हालिया घटनाक्रम गुजरात से जुड़ा हुआ है। अहमदाबाद पुलिस ने एक अहम खुलासे में कहा है कि मलेशियाई और इंडोनेशियाई हैक्टिविस्ट भारत को निशाना बना रहे हैं। अहमदाबाद साइबर क्राइम सेल ने दावा किया है कि विभिन्न देशों के हैकर्स समूहों ने पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणी के बाद सरकारी एवं निजी वेबसाइटों और डेटाबेस पर हमला करके भारत के खिलाफ “साइबर युद्ध” शुरू किया है।
साइबर क्राइम के डीसीपी अमित वसावा के अनुसार, दो हैकर समूहों ‘ड्रैगन फोर्स मलेशिया’ और ‘हैक्टिविस्ट इंडोनेशिया’ ने भारत के खिलाफ साइबर युद्ध या यूं कहें कि ‘साइबर जिहाद’ शुरू किया है। डीसीपी के अनुसार, “हैकर समूहों द्वारा 2,000 से अधिक वेबसाइटों को हैक किया गया था। अहमदाबाद साइबर क्राइम ने दोनों समूहों के लिए लुकआउट नोटिस हेतु इंटरपोल को पत्र लिखने के साथ-साथ मलेशियाई और इंडोनेशियाई सरकारों को भी पत्र लिखा है।”
हैक की गई वेबसाइट्स में सरकारी, एजुकेशनल और बिजनेस से लेकर हर तरह की वेबसाइट शामिल है। साइबर सेल ने यहां तक दावा किया कि वेबसाइट्स से गोपनीय डेटा लीक किया गया है जिसमें सरकारी फाइलें, आधार कार्ड विवरण, पैन कार्ड और कुछ नागरिकों के पासपोर्ट विवरण आदि शामिल हैं। यह जिहादी समूहों के नियंत्रण में भी हो सकता है क्योंकि इस जांच के अनुसार भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की जानकारी, एड्रेस, ई-मेल आईडी, कॉन्टैक्ट नंबर आदि भी सरकारी वेबसाइट से लीक कर दिया गया है।
भारत को इस खेल को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की जरुरत है
इससे पहले भी हैकर्स नूपुर शर्मा के बयान का ‘बदला’ लेने के लिए सरकारी वेबसाइट्स को निशाना बना चुके हैं। जून में यह बताया गया था कि ड्रैगन फोर्स ने भारत के खिलाफ OpsPatuk या “स्ट्राइक बैक” नामक एक हमला शुरू किया था। फिर बेंगलुरु की एक साइबर सुरक्षा फर्म CloudSEK ने सरकारी वेबसाइट्स पर इसे ढूंढ निकाला था, जिसमें दुनिया भर के मुस्लिम हैकर्स से “मिशन” में शामिल होने की अपील की गई थी।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस तरह के हमलों की तीव्रता और मात्रा में तेजी से वृद्धि होने वाली है। ऑनलाइन दुनिया में व्यक्तियों की बढ़ती ऑनलाइन उपस्थिति के साथ यह और अधिक सुविधाजनक होता जा रहा है। भारत बहुत लंबे समय से आतंकी हमलों का सामना कर रहा है और समय के साथ आतंकवादी भी तकनीक के जानकार होते जा रहे हैं। भारत को साइबर युद्ध में अपने ‘खेल’ को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की जरूरत है। तत्काल उन्नयन के बिना भारत भविष्य के संघर्षों से उत्साही तरीके से निपटने में पिछड़ सकता है। भारत की अपनी शक्ति का कोई सानी नहीं है और इसमें कोई दोराय नहीं है कि आने वाले भविष्य में भारत ईंट का जवाब पत्थर से दे सकता है। ऐसे में ऑनलइन युद्ध का प्रतिकार करने और विरोधियों के अच्छे-अच्छे तंत्र को ध्वस्त करने हेतु हमें जोर-शोर से अभी से ही अपनी तैयारियों में लग जाना चाहिए।
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