दुनिया एक बार फिर आर्थिक मंदी की कगार पर पहुंचने लगी है। आर्थिक मंदी के साए ने दुनिया के तमाम बड़े और विकसित देशों को भी डराकर रख दिया। कोरोना महामारी ने पहले से ही तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारकर रख दिया। वहीं रही सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी कर दी। इसके चलते अब कई देशों के हालात बेकाबू होते नजर आने लगे है। हालांकि भारत के लिहाज से देखें तो देश को आर्थिक मंदी से खतरा नहीं है। तमाम विशेषज्ञ यह दावा कर रहे है कि भारत आर्थिक मंदी के साए से अछूता रहने वाला है।
अब ब्लूमबर्ग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में ताजा सर्वे के आधार पर बताया कि भारत के आर्थिक मंदी की चपेट में आने की आशंका न के बराबर है, जबकि अन्य एशियाई देशों का हाल खराब होने वाला है। सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों के अनुसार एशिया के कई देशों में मंदी की आशंका गहराने लगी है। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि श्रीलंका इस वक्त बेहद ही खराब आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से वे अगले वर्ष आर्थिक मंदी की चपेट में आएगा। सर्वेक्षण के अनुसार श्रीलंका के आर्थिक मंदी में फंसने की संभावना 85 प्रतिशत है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक मंदी में पहुंचने की संभावना 20%, न्यूजीलैंड की 33%, ताइवान की 20% और फिलीपींस की 8% है।
भारत को छोड़ ज्यादातर बड़े देशों पर पड़ेगी मंदी की मार
सर्वे के आधार पर तैयार यह रिपोर्ट आगे बताती है कि इन देशों के अलावा दक्षिण कोरिया और जापान के आर्थिक मंदी का शिकार होने की संभावना 25-25 प्रतिशत है। वहीं बात अगर चीन की करें तो उसके मंदी की चपेट में आने की 20 फीसदी आसार है। अगर भारत के संदर्भ में देखा जाए तो यह सर्वे दावा करता है कि देश के आर्थिक मंदी का शिकार होने की संभावना शून्य है। यानि सर्वे तो यही बताता है कि आर्थिक मंदी का साया भारत को छुने भी नहीं वाला। अन्य देशों की बात करें सर्वे रिपोर्ट के अनुसार हांगकांग के आर्थिक मंदी में फंसने की संभावना 20 प्रतिशत, पाकिस्तान के 20 प्रतिशत, मलेशिया 13 प्रतिशत, इंडोनेशिया 3 प्रतिशत है।
सर्वे रिपोर्ट आगे यह भी बताती है कि एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था पर जोखिम बढ़ रहा है, परंतु यहां अमेरिका या यूरोप की तुलना में प्रभाव कम होगा। मूडीज एनालिटिक्स इंक में एशिया पैसिफिक के चीफ इकोनॉमिस्ट स्टीवन कोचरन के अनुसार सामान्य तौर पर बात देखें तो एशिया में मंदी का खतरा 20-25 प्रतिशत के करीब है। वहीं अमेरिका में इसकी संभावना लगभग 40 फीसदी है और यूरोप में 50-55 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के कारण जर्मनी और फ्रांस जैसे देश सबसे अधिक प्रभावित हुए है, जिससे उस क्षेत्र के बाकी हिस्सों पर प्रभाव पड़ा है।
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भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में
इस सर्वे से यह स्पष्ट हो जाता है कि सभी एशियाई देशों पर मंदी का प्रभाव पड़ने वाला है, जबकि भारत पर इसका असर जीरो फीसदी रहेगा। यह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के ही प्रयासों का नतीजा है कि आज भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में बनी हुई है। कोरोना काल के बाद भी आज भारत स्वयं को संभालने में कामयाब होता नजर आ रहा है। देखा जाए तो आज के समय में विश्व में सबसे तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था ही बढ़ रही है। जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की आहट से परेशान है, तब भी भारत की अर्थव्यवस्था शानदार प्रदर्शन कर रही है।
मोदी सरकार ने देश को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए कई कदम उठाए। कोरोना महामारी सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में आई जरूर थी, परंतु भारत ने इस आपदा को अवसर में बदलने का काम किया। आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसे अभियानों का जोर-शोर पर बढ़ावा दिया गया। बड़े स्तर पर चीजों का भारत ने ना केवल स्वयं के लिए उत्पादन किया बल्कि अन्य देशों में निर्यात बढ़ाने के भी प्रयास किए। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए हालातों से भी भारत खुद को बचाने में कामयाब रहा।
क्योंकि इस दौरान मोदी सरकार ने युद्ध के चलते उलझनों के कारण अपना साफ स्टैंड दुनिया के सामने रखा। भारत युद्ध के पक्ष में नहीं खड़ा रहा। परंतु इस युद्ध के चलते उसने रूस के साथ अपने संबंध भी खराब नहीं किए। साथ ही भारत अपने देश का लाभ देखते हुए रूस के साथ व्यापार को बढ़ाता रहा और कम कीमत पर चीजें खरीदता रहा। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए तमाम कदमों का ही नतीजा है कि आज भारत की जनता मंदी के साए से दूर है, जबकि पूरी दुनिया मंदी की आहट से घबराई हुई है।
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