केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में एक अहम निर्णय लेते हुए नई शिक्षा नीति को लागू कर भारत की शैक्षणिक प्रणाली का पुनरुत्थान करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया। जिस अंग्रेज़ी शिक्षा पद्धति के कारण भारत वर्षों तक एक पिछड़ा देश बना हुआ था, उसे उखाड़ फेंकने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसी बीच अब नरेंद्र मोदी सरकार एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देश में बोर्ड एग्जाम सिस्टम को पूरी तरह से बदलने की तैयारी में है। सरकार द्वारा राज्य और केंद्रीय शिक्षा बोर्ड में समानता लाने के लिए काम किया जा रहा है और इसके लिए एक नई परीक्षा नियामक संस्था परख (PARAKH) बनाई गई है। सरकार इसके माध्यम से 10वीं और 12वीं क्लास के लेवल पर छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए एक समान फ्रेमवर्क तैयार कर रही है।
दरअसल, वर्तमान समय में देश में आपको सीबीएसई, आईसीएसई के साथ-साथ राज्यों के अलग-अलग शिक्षा बोर्ड भी देखने को मिलते हैं। सभी बोर्ड के पढ़ाने का तरीका भिन्न है और इसके साथ ही छात्रों के मूल्याकंन का भी अलग तरीका है। मूल्यांकन के लिए अलग-अलग मानक होने के कारण छात्रों के स्कोर में भी असमानताएं देखने को मिलती है, जिसके कारण कुछ राज्यों के बोर्ड के छात्र सीबीएसई की तुलना में पीछे रह जाते हैं।
अब सरकार सीबीएसई, आईसीएसई समेत देशभर में सभी स्टेट बोर्ड की परीक्षाएं एक समान करने की तैयारी में है, जिसके लिए सरकार द्वारा परख की स्थापना की योजना पर कार्य किया जा रहा है। PARAKH का पूरा नाम Performance Assessment, Review and Analysis of Knowledge For Holistic Development है, जो एनसीईआरटी (NCERT) के एक घटक इकाई के तौर पर काम करेगा। परख जैसा नाम से ही स्पष्ट होता है, यह पूरे देश के छात्रों को सामान तरीके से परखने यानी मूल्यांकन करने वाली संस्था होगी।
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खबरों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा बोर्ड परीक्षाओं को एक समान बनाने के लक्ष्य को लेकर पिछले कई महीनों से काम किया जा रहा है। इसके लिए NCERT ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के साथ कई बैठक भी की, जिसके बाद छात्रों के मूल्याकंन के लिए नया असेसमेंट रेगुलटेर ‘परख’ की स्थापना पर सहमति बनी। यह समान बेंचमार्क मूल्यांकन ढांचा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 यानी NEP के प्रस्ताव का भी एक हिस्सा है।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार बैठकों में राज्यों के साथ हुई चर्चाओं के दौरान अधिकतर राज्य वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने वाले के NEP के प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। जिसमें एक परीक्षा की सहायता से छात्रों को अपना स्कोर बेहतर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा बताया गया कि गणित विषय, जिसे लेकर अकसर ज्यादातर छात्रों में काफी डर देखने को मिलता है, उसके दो तरह की परीक्षा कराने के निर्णय पर राज्यों ने सहमति जताई है। जिनमें से पहली परीक्षा मानक परीक्षा होगी, जो उच्च स्तर की योग्यता का परीक्षण करने के लिए होगी। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इससे बच्चों में गणित का डर कम होगा और वो सीखने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देश के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों के बोर्ड्स में छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए एक समान नियम, मानक और गाइडलाइन तैयार करने का जिम्मा परख का होगा। मूल्याकंन का तरीका कुछ इस प्रकार होगा, जिससे कि 21वीं सदी के लिए आवश्यक स्किल्स बच्चों में विकसित की जाए और उसका असेसमेंट हो। इसके अतिरिक्त केंद्र द्वारा जारी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) में बताया गया कि परख नमूना-आधारित NAS (राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण) का कार्य करेगा, राज्य उपलब्धि सर्वेक्षणों का मार्गदर्शन करेगा और देश में सीखने के परिणामों की उपलब्धि की निगरानी करेगा। अगर सबकुछ योजना के मुताबिक ही होता है तो परख द्वारा वर्ष 2024 में NAS का संचालन किया जा सकता है।
यहां ध्यान देने योग्य यह भी है कि परख की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा सहायता के लिए 12 अगस्त 2022 को वैश्विक बोलियां भी आमंत्रित की गई थी। जिसके दस्तावेज में बताया गया कि “परख सभी मूल्यांकन से जुड़ी सूचनाओं और विशेषज्ञता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सिंगल विंडो सोर्स बनेगा। इसमें राष्ट्रीय और आवश्यकता के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी रूपों के मूल्यांकन की कला सीखा जा सकेगा। ऐसी उम्मीद है कि PARAKH सभी संबंधित संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा जिसमें बोर्ड ऑफ असेसमेंट (BoA), एनसीईआरटी समेत अन्य संगठन शामिल हैं।“ जानकारी के अनुसार, भारत और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को लेकर गहरी समझ रखने वाले प्रमुख मूल्यांकन विशेषज्ञ परख की टीम का हिस्सा होंगे।
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यकीनन जिस तरह से प्रतीत हो रहा है परख देश की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव लाने का काम करेगा। अभी तक हर शिक्षा बोर्ड के छात्रों का मूल्यांकन करने का तरीका अलग होता है, जिसके कारण कुछ राज्यों के छात्र पीछे भी रह जाते है, अब परख उस समस्या को दूर करेगा। इस पर शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि PARAKH कुछ राज्य बोर्ड के छात्रों की समस्या से निपटने में सहायता करेगा, जो कॉलेज में प्रवेश के दौरान सीबीएसई के छात्रों की तुलना में नुकसान में रहते हैं। देखा जाए तो मोदी सरकार लगातार देश की शिक्षा गुणवत्ता में बदलाव लाने पर काम कर रही है। इसी दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए वर्ष 2020 में सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू की थी, जिसे शिक्षा व्यवस्था में पहले ही एक बड़े बदलाव की तरह देखा जा रहा है। अब छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक समान नीति लाकर केंद्र सरकार शिक्षा सुधार में एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है।
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