बीबीसी या ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन दुनिया के एक बड़े और पुराने न्यूज़ नेटवर्कों में से एक है लेकिन इसकी एकतरफा रिपोर्टिंग किसी से छिपी हुई नहीं है। अब ये एक तय एजेंडे के तहत “India: The Modi Question” नाम की एक अंग्रेजी सीरीज लेकर आया है। इसका एक भाग बीबीसी नेटवर्क के ‘बीबीसी टू’ चैनल पर प्रसारित भी हो चुका है। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी को एक मुस्लिम विरोधी नेता के रूप में दिखाने का पूरा प्रयास किया गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर लोग इसका जमकर विरोध भी कर रहे हैं।
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एजेंडा ही एजेंडा
यहां पर प्रश्न यह है कि आखिरकार India: The Modi Question सीरीज को बनाने के पीछे का उद्देश्य क्या है और इसे एक ऐसे चैनल पर ही क्यों प्रसारित किया गया है जिसके अधिकतर दर्शक इंग्लैंड के ही हैं या फिर भारत में कम से कम लोग ही इस चैनल को देखते हैं। क्या इसके पीछे कोई निर्धारित एजेंडा है? आइए विस्तार से समझते हैं।
दरअसल, “India: The Modi Question” सीरीज में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को एक मुस्लिम विरोधी नेता के रूप में दिखाया गया है और बीबीसी ने इसका आधार 2002 के गुजरात दंगे, सीएए-एनआरसी, अनुच्छेद 370 को निस्प्रभावी करने जैसे विषयों को बनाया है। India: The Modi Question सीरीज का पहला भाग पूर्ण रूप से गुजरात दंगों के ऊपर आधारित है जिसमें बीबीसी ने कई प्रकार के तर्कों से यह सिद्ध करने का प्रयास किया है गुजरात दंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही कारण हुए थे। जबकि सच्चाई यह है कि गुजरात दंगे अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को ट्रेन में जलाने के बाद शुरू हुए थे जिसे सरकार द्वारा रोकने का भरपूर प्रयास भी किया था।
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नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट
ध्यान दीजिए कि एक लंबी जांच-पड़ताल के बाद दंगों से जुड़ी रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में गहन चर्चा भी हो चुकी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट भी दिया है। इसके अलावा इसके दूसरे भाग में सीएए-एनआरसी और अनुच्छेद 370 पर चर्चा की जाएगी। अब यहां ध्यान देना होगा सीएए-एनआरसी पर, तो सीएए एक ऐसा बदलाव था जिसे संसद द्वारा पास किया गया था जिसमें गैर भारतीयों को नागरिकता देने को लेकर सुधार किया गया था। यदि हम एनआरसी की बात करें तो सरकार के द्वारा अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है न ही इस पर कोई चर्चा की गई है। फिर इसे मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है।
India: The Modi Question सीरीज का तीसरा मुद्दा है अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करना। जिसमें कश्मीर में बढ़ती हिंसा को आधार बनाया गया है। जबकि बीते साल 2022 में सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में बहुत कमी आई है। उदाहरण के लिए साल 2018 में 417 आतकंवादी हमले हुए थे जबकि 2021 में इसकी संख्या घटकर 229 पर पहुंच गई। वहीं दूसरी ओर आतकियों द्वारा की जा रही हत्याओं में भी कमी आई है।
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India: The Modi Question सीरीज के पीछे का उद्देश्य क्या है?
बीबीसी द्वारा बनाई गई India: The Modi Question सीरीज में मुद्दे चाहे जो रखे गए हों लेकिन एक प्रश्न यह है कि बीबीसी ने इसे आखिरकार बनाया ही क्यों है। इसका उत्तर है ब्रिटेन की घटती अर्थव्यवस्था, भारत-ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड डील और 2024 में भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव। दरअसल, मार्च 2022 में ब्लूमबर्ग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट ने बताया था कि भारत की अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है। ब्लूमबर्ग ने यह निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के आधार पर निकाला था, जिसमें भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर की थी जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी।
वहीं दूसरी ओर लंबे समय तक भारत और ब्रिटेन फ्री ट्रेड डील पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन वहां कुछ भारत विरोधी मानसिकता रखने वाले राजनीतिक दल नहीं चाहते कि भारत के साथ फ्री ट्रेड डील सफल हो। कुल मिलाकर भारत का ब्रिटेन से आगे बढ़ना भारत विरोधी मानसिकता रखने वालों को खल रहा है, तभी तो बीबीसी के कंधों पर रखकर बंदूक चलाने का एक प्रयास किया गया है। ताकि भारत की विश्व में नकारात्मक छवि बन जाए लेकिन उनका यह प्रयास सफल नहीं होने वाला है। इस सीराज को लाने के पीछे एक और उद्देश्य है वो है भारत में 2024 का लोकसभा चुनाव। बीते सालों में मोदी सरकार ने जिस प्रकार पश्चिमी देशों के विरुद्ध खुलकर बोला है उसके चलते वहां की कुछ राजनीतिक पार्टीयां नहीं चाहतीं की भारत में मोदी सरकार बने।
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बीबीसी के खिलाफ विरोध के स्वर
बीबीसी ने जैसे ही India: The Modi Question सीरीज को प्रसारित करने की घोषणा की उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर लोग बीबीसी के विरोध में मुखर रूप से बोल रहे हैं। यही नहीं टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार इंडिक सोसाइटी के सदस्य अदित कोठारी ने बीबीसी की ऑफिस के सामने जाकर इस सीरीज का विरोध किया था। उनका कहना है कि यह सीरीज एंटी इंडिया की मानसिकता के साथ बनाई गई है।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी लोग अपने गुस्से को प्रदर्शित कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले अपने पूर्वजों द्वारा भारतीयों पर किए अत्याचारों के बारे में बात करो। अगर सीरीज बनाना है तो बंगाल के अकाल पर “UK:The Churchill Question” बनाओ या फिर औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों द्वारा दुनिया में कितने अत्याचार किए गए उस पर बनना चाहिए। एक प्रकार से देखा जाए तो यह कहना सही भी है। जिन लोगों ने दुनियाभर की सभ्यताओं को नष्ट करने का प्रयास किया, आज वो मानवाधिकार की बात कर रहे हैं। यही नहीं एक ऐसे मुद्दे को उठा रहे हैं जिसमें भारत की सबसे बड़ी कोर्ट ने अपना फैसला सुना भी दिया है।
बीबीसी की India: The Modi Question सीरीज पर यदि संक्षेप में कहा जाए तो ये सीरीज पूर्ण रूप से एकतरफा और वैश्विक स्तर पर तेजी से विकास कर रहे भारत की छवि को खराब करने का प्रयास है। यही नहीं इसके पीछे ब्रिटेन की राजनीतिक दलों के अपने निजी हित भी छुपे हुए हैं।
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