TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

गांधी इरविन समझौता: जब महात्मा गांधी के एक निर्णय के विरुद्ध पूरा देश हो गया

महात्मा गांधी चाहते तो भगत सिंह को बचा सकते थे?

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
28 February 2023
in इतिहास
गांधी इरविन समझौता

Source: Prabhasakshi

Share on FacebookShare on X

गांधी इरविन समझौता: “क्यों, क्यों यकीन करें आपका, इतिहास आपसे यह प्रश्न सदैव पूछेगा!” “द लीजेंड ऑफ भगत सिंह” में इस प्रश्न ने गांधी के किरदार को यूं ही नहीं निरुत्तर किया था। एक निर्णय के पीछे करोड़ों भारतवासी आज भी गांधी को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। अनजाने में हुई भूल को क्षमा किया जा सकता है, पर उसी भूल को बार बार दोहराना, भूल नहीं हो सकती।

इस लेख में पढ़िए कैसे गांधी इरविन समझौता निरर्थक सिद्ध हुआ, जिसके कारण कांग्रेस विशेषकर गांधी को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा।

संबंधितपोस्ट

कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है
और लोड करें

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन

1930 का दशक था। लगभग सम्पूर्ण संसार आर्थिक मंदी से जूझ रहा था, परंतु इसका तनिक भी प्रभाव भारत पर नहीं पड़ा। पड़ता भी कैसे, भारतवासी अंग्रेज़ों से अपनी स्वतंत्रता हेतु जी तोड़ प्रयास करने में जो उद्यत थे।

प्रारंभ में भारत औपानिवेशिक स्वराज्य यानी डोमिनियन स्टेटस की ही माँग करता रहा था किंतु 26 जनवरी, 1929 को लाहौर में आयोजित कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में प्रथमत्या “पूर्ण स्वराज” की घोषणा की गई और शपथ ली गई कि प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को “स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाएगा।

1930 का अंत आते-आते ब्रिटिश प्रशासन और कांग्रेस दो विपरीत धड़ों पर खड़े थे। एक ओर ब्रिटिश प्रशासन किसी भी तरह 1919 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट द्वारा सुझाए सुधारों को लागू करने को उद्यत था, तो वहीं कांग्रेस “सविनय अवज्ञा आंदोलन” पर अड़ी थी। इसी बीच क्रांतिकारियों ने एक के बाद एक अंग्रेज़ी संस्थानों पर धावा बोलते हुए उनकी रातों की नींद उड़ा रखी थी, और भगत सिंह की लोकप्रियता भी अब पूरे देश में छाने लगे थी।

और पढ़ें: महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी के ऊपर जो अत्याचार किए वो डरावने हैं

ऐसे में साइमन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार 1930 में लॉर्ड इरविन की संस्तुति से संवैधानिक सुधारों की समस्या के समाधान के लिए लंदन में एक गोलमेज़ सम्मेलन का आयोजन हुआ। परंतु गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया। इसके अतिरिक्त नमक कानून तोड़ने के कारण गांधी समेत हज़ारों सत्याग्रहियों ने गिरफ़्तारी दी।

गांधी ने आंदोलन किया स्थगित

ऐसे में 1931 आते-आते ब्रिटिश प्रशासन का कांग्रेस को वार्ता की मेज़ पर लाना अवश्यंभावी बन गया था। तब सर तेज बहादुर सप्रू ने मध्यस्थता की पेशकश की और गांधी को वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया। 5 मार्च 1931 को दोनों में वार्ता हुई, जिसके अंतर्गत कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, इसमें 21 धाराएँ थीं जिनके अनुसार गोलमेज कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए महात्मा गांधी तैयार हुए।

परंतु वह कौन-सी बातें थी, जिनके अंतर्गत गांधी अपने आंदोलन को स्थगित करने के लिए तैयार हुए और जिसके कारण आज भी अनेक भारतीय मोहनदास करमचंद गांधी को स्वतंत्रता की धार कुंद करने एवं भगत सिंह की मृत्यु का दोषी मानते हैं? वास्तव में वायसराय लार्ड इरविन और महात्मा गांधी के बीच 5 मार्च 1931 को जो गांधी इरविन समझौता सम्पन्न हुआ।

इस समझौते में लार्ड इरविन ने स्वीकार किया:

  • भारतीय शराब एवं विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना दे सकते हैं।
  • आन्दोलन के दौरान त्यागपत्र देने वालों को उनके पदों पर पुनः बहाल किया जायेगा।
  • आन्दोलन के दौरान जब्त सम्पत्ति वापस की जाएगी।
  • भारतीयों को समुद्र किनारे नमक बनाने का अधिकार दिया जाएगा।

इसके अलावा समझौते के अंतर्गत गांधी ने इन बातों पर स्वीकृति जताई:

  • पुलिस के कारनामों की जाँच नहीं होगी।
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन स्थगित कर दिया जाएगा।
  • कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेगी।
  • कांग्रेस ब्रिटिश सामान का बहिष्कार नहीं करेगी।

गांधी इरविन समझौता के अंतर्गत 1931 के द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी ने मदनमोहन मालवीय एवं सरोजनी नायडू के साथ भाग लिया। परंतु इस निर्णय से जनता में जबरदस्त आक्रोश उमड़ पड़ा।

इसके पीछे का कारण समझने के लिए हमें फरवरी 1931 की ओर रुख करना होगा, जब लंदन के सुप्रीम कोर्ट माने जाने वाले प्रिवी काउन्सिल में एक विशेष मुकदमा चल रहा था। भगत सिंह की लोकप्रियता केवल भारत तक ही सीमित नहीं थी, देश-विदेश में भी उनके चर्चे होने लगे थे।

और पढ़ें: “इस बैठक के बाद स्वतंत्रता आंदोलन की तस्वीर बदल गई”, वीर सावरकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने क्या बातचीत की थी?

ऐसे में ब्रिटिश अधिवक्ता डी एन प्रिट ने क्राउन vs सुखदेव एंड अदर्स के पक्षपाती मामले [जिसके अंतर्गत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को बिना किसी ठोस सबूत के मृत्युदंड दिया गया था] और उसके खोंखलेपन को ब्रिटिश न्यायपालिका के समक्ष पेश करने का प्रयास किया। परंतु ब्रिटिश साम्राज्यवादी भगत सिंह के व्यक्तित्व से इतना भयभीत थे कि उन्होंने प्रिट की एक न सुनी और 14 फरवरी को यह अंतिम अपील भी रद्द कर दी।

गांधी ने भगत सिंह को नहीं बचाया!

भगत सिंह अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार थे और वे अपने जीवन के प्रति मोहित भी नहीं थे। इसलिए चंद्रशेखर आज़ाद के अनेक प्रयासों के बाद भी वे जेल में ही रहना उचित समझते थे। परंतु इससे भगत सिंह के अनुयाइयों को कोई फर्क नहीं पड़ा और वे उन्हें छुड़ाने अथवा दंड को क्षमा कराने के लिए हरसंभव प्रयास करने लगे। इस अभियान में उन्हे मदन मोहन मालवीय से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक का साथ मिला।

ऐसे में क्रांतिकारियों एवं आम जनता के मन में गांधी के लिए तब भी थोड़ा सम्मान था। भले ही उनके विचारों से वे सहमत नहीं थे, परंतु वे हिंसा के पक्ष में भी नहीं थे, और ऐसे में वे अपने प्रभाव से भगत सिंह, सुखदेव थापर एवं शिवराम हरी राजगुरु के दंड को कम करा सकते थे।

परंतु वर्तमान दस्तावेज़ों एवं गांधी के संस्मरणों से ये स्पष्ट होता है कि या तो गांधी इन तीनों को दिए दंड को क्षमा कराने के पक्ष में नहीं थे, और अगर थे भी, तो उन्होंने लॉर्ड इरविन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं डाला।

और पढ़ें: जे बी कृपलानी, जो 1947 में कांग्रेस अध्यक्ष थे लेकिन नेहरू का विरोध किया तो…

विश्वास नहीं होता तो इन दो बातों पर ध्यान दीजिए। यदि गांधी इरविन समझौता भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के ‘हित’ में होता, तो उसमें इस बात पर ही क्यों जोर दिया गया कि केवल वही लोग रिहा होंगे, जिनका क्रांति के मार्ग से कोई संबंध नहीं?

इसके अतिरिक्त यदि गांधी और नेहरू क्रांतिकारियों के मातृभूमि के प्रति सम्मान का मान रखते थे, तो जवाहरलाल ने अपने संस्मरणों में इन्हे “फासीवादियों” के रूप में क्यों संबोधित किया?

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि गांधी इरविन समझौता भारतीयों के हित में कम और कांग्रेस के हित में अधिक था। परंतु कांग्रेस को भी इसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ, क्योंकि द्वितीय गोलमेज़ सम्मेलन में अपनी मांगें पूरी न होते देख गांधी पुनः आंदोलन एवं सत्याग्रह का रास्ता अपनाने लगे और उनकी छवि पर भगत सिंह को न बचाने का जो कलंक लगा वे उसे जीवन भर नहीं धो पाए।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: Congress lahor session 1929Gandhi-Irwin PactMahatma Gandhi & Bhagat Singhमहात्मा गांधी और भगत सिंह
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

गृह युद्ध के विस्फोटक पर बैठा है पाकिस्तान, किसी भी समय हो सकता है तहस-नहस

अगली पोस्ट

भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की वो कहानी जो दरबारी इतिहासकारों ने आपको कभी नहीं बताई

संबंधित पोस्ट

नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन
इतिहास

जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’

14 November 2025

ऐसे समय में जबकि अपने राष्ट्र नायकों को लेकर भारत में राजनीतिक बहसें तेज़ हो रही हैं,  विचारधाराओं की लड़ाई भी पहले से ज़्यादा गहरी...

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण
इतिहास

वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

10 November 2025

भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास में वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक चेतना और राष्ट्र की आत्मा का उद्घोष रहा है। यह...

वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04

How Javelin Missiles Will Enhance India’s Anti-Tank Dominance?

00:06:47
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited